श्रेयांश द्विवेदी कुलपति महर्षि वाल्मीकि विश्वविद्यालय का जीवन परिचय Shreyash dwivedi biography in hindi

Shreyash dwivedi biography in hindi

Shreyash dwivedi – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से महर्षि वाल्मीकि विश्वविद्यालय के कुलपति  श्रेयांश द्विवेदी के जीवन परिचय के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर श्रेयांश द्विवेदी के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं ।

Shreyash dwivedi biography in hindi
Shreyash dwivedi biography in hindi

श्रेयांश द्विवेदी के बारे में –  श्रेयांश द्विवेदी संस्कृत के महान विद्वान हैं । जो महर्षि वाल्मीकि विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं । श्रेयांश द्विवेदी जी यह प्रयास कर रहे हैं कि भारत की प्राचीन भाषा संस्कृत का प्रचार प्रसार किया जाए क्योंकि संस्कृत भाषा धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है । वह भारत देश के अन्य राज्यों और जिलों में संस्कृत के विश्वविद्यालय खोलने के लिए मेहनत कर रहे हैं ।  उन्होंने अपनी मेहनत और लगन के बल पर कई जगह संस्कृत विश्वविद्यालय स्थापित भी किए हैं ।

एक बार जब श्रेयांश द्विवेदी संस्कृत विश्वविद्यालय के उद्घाटन के लिए गए तब उन्होंने वहां पर अपने विचार व्यक्त किए थे और श्रेयांश द्विवेदी जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा था कि यदि हम भारतीय संस्कृति को बचाना चाहते हैं तो हमें प्राचीन इतिहास के बारे में जानना बहुत जरूरी है । जब तक युवा पीढ़ी को भारतीय इतिहास और भारत की प्राचीन भाषा संस्कृत का ज्ञान नहीं होगा  तब तक भारतीय संस्कृति की कल्पना करना संभव नहीं है । महर्षि वाल्मीकि विश्वविद्यालय के कुलपति श्रेयांश द्विवेदी जी का कहना है कि आज की जो स्थिति है वह स्थिति यह है कि विद्यार्थियों को उचित शिक्षा से वंचित रखा जा रहा है ।

वह ज्ञान प्राप्त करने की वजह सिर्फ नौकरी प्राप्त करने के उद्देश्य शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं । कई बार महर्षि वाल्मीकि विश्वविद्यालय के कुलपति श्रेयांश द्विवेदी जी ने अपने भाषण में यह कहा है कि भारत देश के लोग प्राचीन संस्कृति को अपना कर अपना जीवन जीना चाहते हैं । उन्होंने यह भी कहा था कि भारत अर्पण , समर्पण एवं तर्पण की भूमि है । यहां पर भारत के सभी नागरिक अपने देश की सुरक्षा के लिए हमेशा समर्पित रहते हैं । जब भी देश की संस्कृति को नष्ट करने की कोशिश की जाती है तब भारतीय नागरिक आगे आकर उस संस्कृति को नष्ट होने से बचाते हैं ।

प्राचीन इतिहास और प्राचीन संस्कृति का ज्ञान विद्यार्थियों को होना चाहिए परंतु हमारे देश में युवा पीढ़ी विद्यार्थियों को भारतीय संस्कृति , प्राचीन इतिहास से दूर रखा जा रहा है जिसके कारण काफी निराशाजनक परिणाम आ रहे हैं ।विद्यार्थियों को रोजगार के झांसे में डाला जा रहा है जिसके कारण रोजगार के चक्कर में युवा पीढ़ी संस्कार विहीन शिक्षा की ओर अपने कदम आगे बढ़ा रही है । यदि ऐसा ही होता रहा तो आने वाले समय में काफी समस्या उत्पन्न होने वाली है जिसका दुष्प्रभाव भारतीय समाजों पर भी पड़ेगा । यदि भारतीय संस्कृति को नष्ट होने से हम सभी को बचाना है तो प्राचीन इतिहास और प्राचीन भाषा संस्कृति का ज्ञान सभी को होना अति आवश्यक है ।

इसी प्रयास के साथ में आगे बढ़ रहा हूं यह सब मैं अकेले नहीं कर सकता हूं इस कार्य को करने के लिए आप लोगों का साथ होना बहुत जरूरी है । इस तरह से महर्षि वाल्मीकि विश्वविद्यालय के कुलपति श्रेयांश द्विवेदी अपने विचार व्यक्त करते हैं । भारत देश में पूर्वांचल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राजेंद्र सिंह रज्जू भैया के द्वारा शोध संस्थान एवं विज्ञान अध्यन में जो बदलाव आ रहे हैं उन बदलावों को रोकने के लिए एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया था ।

जिस आयोजन में डॉ श्रेयांश द्विवेदी जी को मुख्य अतिथि के रुप में आमंत्रित किया गया था और उन्होंने मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित होकर वहां पर संस्कृत की विचारधारा , संस्कृत भाषा से लोगों को परिचित कर संस्कृत भाषा को अपनाने की बात कही थी । इसके साथ-साथ उन्होंने युवा पीढ़ी को संस्कार और प्राचीन इतिहास से भी परिचित कराया था ।

 दोस्तों हमारे द्वारा लिखा गया यह बेहतरीन लेख महर्षि वाल्मीकि विश्वविद्यालय के कुलपति श्रेयांश द्विवेदी का जीवन परिचय Shreyash dwivedi biography in hindi यदि आपको पसंद आए तो सबसे पहले आप सब्सक्राइब करें  इसके बाद अपने दोस्तों रिश्तेदारों में शेयर करना ना भूलें । दोस्तों यदि आपको इस आर्टिकल में कुछ कमी नजर आती है तो आप हमें कृपया कर उस कमी के बारे में हमारी ईमेल आईडी पर अवश्य बताएं जिससे कि हम उस कमी को दूर करके यह आर्टिकल आपके समक्ष पुनः अपडेट कर सकें धन्यवाद ।

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *