डॉ. अब्दुल कलाम जीवन परिचय Apj abdul kalam life history in hindi
Apj abdul kalam life history in hindi
Apj abdul kalam life history in hindi-दोस्तों आज हम एक ऐसे महान इंसान के बारे में जानेंगे जिसके सपनों की उड़ान ने उन्हें इतना आगे पहुंचा दिया की आज वह हमारे बीच नहीं है लेकिन आज वोह दुनिया के हर इंसान की जुबान पर है.आज भी लोगों के दिलों पर राज करते हैं.चलिए पढ़ते हैं Apj abdul kalam life history in hindi
दोस्तों एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म सन 1931 को हुआ था,ये एक बेहद ही गरीब फैमिली से थे इनके पिता जी लोगों को किराए पर नाव् दिया करते थे जिससे उनका खर्चा चलता था कुछ समय बाद उनके हालात और भी कमजोर हो गए और इनके परिवार में दो वक्त का खाना खाना भी मुश्किल हो गया.इन्हें रोटियां खाना बेहद पसंद था लेकिन इनके गाव में चावल की खेती सबसे ज्यादा होती थी.
कभी-कभी इनकी मां इनको खाना खिलाने के लिए खुद रोती नहीं खाती थी तो अब्दुल कलाम जी को यह देख बेहद दुख होता था,यह अपने घर का खर्चा चलाने के लिए शुरू से ही घर घर अखबार बेचने जाते थे और शाम को घर घर पर जा कर पैसा लेते थे.जिंदगी में उन्होंने शुरू से ही बहुत मुसीबतों का सामना किया था.
अब्दुल कलाम जब स्कूल में थे तब उनकी दोस्ती एक पुरोहित के लड़के से हुयी,उन दोनों की दोस्ती बहुत गहरी थी,वोह हमेशा एक दुसरे के साथ रहते थे,अब्दुल कलाम जी मुस्लिमो की पगडी पहने अपने दोस्त से मिलने मंदिर जाया करते थे,उन्हें मंदिर जाते देख लोग बड़े ही आश्चर्यचकित होते थे,वोह हमेशा मंदिर के किनारे बेठ कर भजन सुना करते थे,उन्हें भजन समझमे तोह नहीं आते थे लेकिन सुनने में बड़े अच्छे लगते थे,पुरोहित का लड़का और अब्दुल साथ में ही स्कूल जाया करते थे,और स्कूल की सबसे आगे वाली बेंच पर बैठते थे.
एक दिन मास्टर जी ने अब्दुल पर बहुत गुस्सा किया कहने लगे की तुम मुस्लिम होकर पुरोहित के लड़के के साथ कैसे बेठ सकते हो जाओ,आज से तुम सबसे पीछे वाली बेंच पर बेठा करो,अब्दुल अपनी की हुयी बेइज्जती से बहुत दुखी हुए फिर वोह अपने घर चले गए.
जब उनके दोस्त ने ये बात अपने पापा को बताई तोह उन्हें बहुत बुरा लगा और उन्होंने अब्दुल को अपने घर बुलवाने के साथ में मास्टर जी को भी अपने घर पर बुलवा लिया,पुरोहित जी ने मास्टर जी को समझाया की इन्सान एक है,हिन्दू मुस्लिम से क्या होगा,तुम्हे बच्चो के दिमाग में ऐसी फिजूल की बाते नहीं डालनी चाहिए,मास्टर जी ने माफ़ी मांगी,और फिर दोनों एक साथ रहने लगे.
अब्दुल कलाम जी अच्छे स्कूल में पढना चाहते थे लेकिन इनके पेरेंट्स गरीब थे इस वजह से इन्होने कभी ये बात अपने parivar वालो से नहीं कही लेकिन इनके पापा इनकी मन की बात समझे और इन्हें एक अच्छे स्कूल में दाखिला दिलवा दिया,स्कूल में गर्मियों के मोसम में पेड़ के नीचे पढ़ाते थे और जब भी किसी दुसरे विषय का पीरियड लगता था तोह दुसरे पेड़ के नीचे बच्चो को जाना पड़ता था.
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एक दिन अब्दुल कलाम जी गलती से एक दुसरे पीरियड गणित की क्लास में चले गए तोह उनके सर ने उन्हें लाठी से बहुत मारा और कहा की जब तुम सही पीरियड में उपस्थित नहीं हो सकते तोह पास कैसे होगे. अब्दुल कलाम बेहद दुखी हुए उन्होंने तभी से डिसीजन लिया और लगातार अच्छे से पढ़ाई करने लग गए और जब परिणाम सामने आया तो सभी अचंभित हो गए.
अब्दुल कलाम गणित में पूरे नंबर ला चुकी थे और उनके गणित की सर ने उनको बधाई दी और कहां की जिसको में लाठी मारता हूं तो वोह जरूर ही बहुत आगे बढ़ता है,उन्होंने आगे कहा कि ये लड़का वाकई में हम सब का नाम रोशन करेगा.
दोस्तों अब्दुल कलाम को पढ़ाई करने का बेहद शौक था,वह सोचते थे कि बहुत ही अच्छे स्कूल में पढ़ाई करु लेकिन पढ़ाई करने के लिए उनके या उनके परिवार के पास पैसे नहीं थे लेकिन इनके माता पिता इनकी बात जानते थे,एक दिन इनके पिताजी ने इनसे कहां की में तुम्हें एक अच्छे से स्कूल में दाखिला दिलवा देते हैं,वहां पर अब्दुल कलाम और अच्छे से पढ़ाई करने लगे.
शुरू से ही इनका सपना था की एयरफोर्स में पायलेट बने लेकिन ये एग्जाम में नहीं निकल सके लेकिन इनकी सपनों की उड़ान इनको बहुत ऊंचाई पर ले जाना चाहती थी और समय के साथ हुआ भी कुछ ऐसा कि उन्होंने विज्ञान से स्नातक की डिग्री हासिल की और सन 1960 में दिल्ली आ गए और अपनी लगातार की हुई मेहनत के दम पर वरिष्ठ विज्ञानिक बन गए इन्होंने अपनी मेहनत के दम पर सेना के लिए एक छोटा सा हेलीकॉप्टर बनाया.
1969 में यह देश के पहले स्पेस लॉन्च प्रोजेक्ट के डायरेक्टर बनाए गए और सन 1980 में और रोहिणी नाम का सेटेलाइट धरती की कक्षा के समीप स्थापित कर दिया,सभी बहुत खुश हुए और सन 1998 को परमाणु परिक्षण करने में कामयाब रहे,उस समय के प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई उनके काम से काफी प्रभावित हुए और उन्होंने इन्हें अपने मंत्री बनाने का ऑफर भी दिया लेकिन उन्होंने मना कर दिया.
1998 में उन्होंने प्रधानमंत्री जी से मिलकर ऑपरेशन शक्ति रचा जो कि सफल रहा.ये एक परमाणु शक्ति के नायक बन चुके थे,इसके बाद ये हमारे देश के राष्ट्रपति बने और सन 2007 तक उन्होंने राष्ट्रपति का कार्यकाल संभाला.
देश के रास्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम सादगी जीवन को बेहद पसंद करते थे.कहते हैं कि अब्दुल कलाम जी ने अपनी सारी संपत्ति गरीबों को दान कर दी थी.वह सिर्फ दो सूटकेस लेकर राष्ट्रपति भवन में आए हुए थे और दो सूटकेस लेकर ही वापस चले गए थे.
वह दुनिया में कुछ ऐसा कर गए की आज हमारे बीच में नहीं है लेकिन लोग उन्हें दुनिया रहेगी तब तक याद करेंगे.सन 2015 को इनकी मौत हो गई लेकिन वाकई में इनकी मौत नहीं हुई,यह हमेशा हमेशा के लिए अमर हो गए.
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