नन्दलाल बोस की जीवनी Nandalal bose biography in hindi

Nandalal bose biography in hindi

Nandalal bose – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से भारत देश के जाने-माने चित्रकार नंदलाल बोस के जीवन परिचय के बारे में बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर भारतीय चित्रकार नंदलाल बोस के जीवन के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं ।

Nandalal bose biography in hindi
Nandalal bose biography in hindi

Image source – https://en.m.wikipedia.org/wiki/Nandalal_Bose

नंदलाल बोस के जन्म स्थान व् परिवार के बारे में – भारत के जाने-माने चित्रकार नंदलाल बोस का जन्म 3 दिसंबर 1882 को भारत देश के बिहार राज्य के मुंगेर जिला के हवेली खड़कपुर में हुआ था । उनके पिता का नाम पूर्ण चंद्र बोस था । जो एक धनी व्यक्ति थे । इनके पिता पूर्ण चंद्र बोस एक आर्किटेक्ट थे जो महाराजा के यहां पर कार्यरत थे । महाराजा साहब की जो रियासत थी उस रियासत को वह संभालते थे और सभी उनको मैनेजर कह कर संबोधित करते थे । महाराजा साहब से वह बहुत खुश थे । उन्हीं के यहां पर काम करके अपने परिवार का भरण पोषण करते थे ।

नंदलाल बोस की माता जी का नाम क्षेत्रमोनी देवी था । जो एक ग्रहणीका थी । इनकी माता इनको बचपन से ही मिट्टी के पुतले बनाकर खेलने के लिए दिया करती थी । नंदलाल बोस भी अपनी बाल्यावस्था में अपनी मां के साथ मिट्टी की मूर्तियां बनाने में रुचि रखते थे । उनके पिता नंदलाल बोस ने इनका विवाह सुधीरा देवी से तय कर दिया था । सुधीरा देवी के पिता और नंदलाल बोस के पिता गहरे मित्र थे और दोनों मित्रों ने इस विवाह को करने का निर्णय किया था और 1903 में नंदलाल बोस और सुधीरा देवी का विवाह कर दिया गया था । जिसके बाद दोनों पति-पत्नी बन गए थे ।

नंदलाल बोस की प्रारंभिक शिक्षा के बारे में – नंदलाल बोस ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कोलकाता से प्रारंभ की थी । 1898 में नंदलाल बोस हाई स्कूल की पढ़ाई करने के लिए सेंट्रल कॉलेजिएट स्कूल में चले गए थे और वहां से उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्रारंभ की थी । 1902 में उन्होंने इसी स्कूल से हाई स्कूल की परीक्षा पास की थी । इसके बाद वह अपना ग्रेजुएशन करने की तैयारी में जुट गए थे । जब उन्होंने अपने माता-पिता से आर्ट्स सब्जेक्ट में पढ़ाई करने के बारे में कहा तब उनके माता-पिता ने उनको मना कर दिया था  और वाणिज्य सब्जेक्ट से पढ़ाई करने के लिए कहा था । जिसकी पढ़ाई करने के लिए वह कॉलेज मे चले गए और वहां से वाणिज्य सब्जेक्ट की पढ़ाई करने लगे थे ।

परंतु उनका मन इस विषय में पढ़ाई करने मे नहीं लगता था । नंदलाल बोस कई बार असफलता प्राप्त करते गए । जब उन्हें लगा कि मे अपना जीवन बर्बाद कर रहा हूं तब उन्होंने अपने माता-पिता से बातचीत की और उनसे कहा कि मुझे आर्ट्स सब्जेक्ट से पढ़ाई करना है और उन्होंने अपने माता-पिता को मना लिया था । जिसके बाद वह अपने माता-पिता का आशीर्वाद लेकर स्कूल ऑफ आर्ट से पढ़ाई करने लगे थे ।जहां से उन्होंने आर्ट सब्जेक्ट में ग्रेजुएशन पास किया था क्योंकि नंदलाल बोस बचपन से ही चित्रकारी मूर्ति बनाने में रुचि रखते थे ।

नंदलाल बोस के द्वारा बनाए गए प्रसिद्ध चित्रों के बारे में – नंदलाल बोस के द्वारा कई प्रसिद्ध चित्र बनाए गए हैं । उनके सबसे सफल और प्रसिद्ध चित्र इस प्रकार से हैं ।उन्होंने अपना पहला सफल चित्र दांडी मार्च बनाया था ।जिसकी सुंदरता आज भी बहुत अच्छी लगती है । इसके बाद उनका दूसरा सबसे सफल चित्र संथाली कन्या था ।जिसकी प्रशंसा आज भी की जाती है । इसके बाद उन्होंने तीसरा प्रसिद्ध चित्र सती का देह त्याग बनाया था । जो आज भी भारतीय संग्रहालय की शोभा बढ़ाता है ।

नंदलाल बोस के द्वारा लिखी गई पुस्तकों के बारे में- नंदलाल बोस के द्वारा पुस्तकें भी लिखी गई है क्योंकि वे चित्रकार के साथ-साथ एक अच्छे लेखक भी थे । जिन्होंने तीन सफल पुस्तकों को लिखा है । जिनके नाम इस प्रकार से है । शिल्प कला जिस पुस्तक में उन्होंने कला के महत्व को बताया है । इसके बाद उन्होंने शिल्प चर्चा पर भी पुस्तक लिखी है । जिसकी प्रशंसा आज भी कई चित्रकार करते हैं । इसके बाद उनकी सबसे सफल पुस्तक रुपावली है । इस तरह से नंदलाल बोस के द्वारा यह तीन पुस्तकें लिखी गई हैं ।

नंदलाल बोस के चित्रकला केरियर के बारे में – नंदलाल बोस बचपन से ही चित्रकला में रुचि रखते थे । इसलिए उन्होंने बचपन से ही चित्रकार बनने का प्रण लिया था और वह जब कॉलेज में पढ़ाई करने के लिए गए तब उन्होंने आर्ट सब्जेक्ट चुनकर यह जाहिर कर दिया था कि वह चित्रकला क्षेत्र को छोड़ना नहीं चाहते हैं । वह इसी क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं । इसलिए उनके द्वारा ग्रामीण जीवन जीने वाले लोगों के चित्र , महिलाओं के ऊपर चित्र एवं भारत देश की कई पौराणिक कथाओं से संबंधित चित्र भी उनके द्वारा बनाए गए हैं ।

नंदलाल बोस के द्वारा हमारे भारत देश की भारतीय संविधान की जो मूल प्रति है उस पर जो चित्र बना हुआ है वह चित्र भी नंदलाल बोस ने बनाया है ।  इस चित्र को बनाने का आमंत्रण भारत देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के द्वारा दिया गया था ।  संविधान की प्रतिलिपि का मूल चित्र बनाने के लिए उन्होंने काफी मेहनत की और 22 चित्रों से इसे सजाया था । नंदलाल बोस चित्रकला से जब प्रभावित हुए तब उन्होंने चित्रकला की दुनिया में कदम रखा था ।

यह सबसे पहले अजंता के भित्ति चित्रों से प्रभावित हुए थे और उन्होंने लेखकों और कलाकारों के अंतरराष्ट्रीय समूह का हिस्सा बनने का निर्णय लिया था । जो अंतरराष्ट्रीय समूह पारंपरिक भारतीय संस्कृति को पुनर्जीवित करने के लिए कार्य कर रहे थे ।  इस अंतरराष्ट्रीय समूह में नंदलाल बोस के साथ ओकाकुरा ककुजो , योकोयामा तैकान , क्रिषतीअना , विलियम रोथेन्स्ती , अवनिन्द्रनाथ टैगोर , लोरेंस बिन्यो , एरिक गिल , जैकब एपस्टीन भी शामिल थे ।

नंदलाल बोस को मिले सम्मान के बारे में – नंदलाल बोस को कई सफल चित्र बनाने के लिए भारत सरकार के द्वारा पदम विभूषण से सम्मानित किया गया है ।

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