नामाज पर निबंध हिंदी मे Namaz essay in hindi
Namaz essay in hindi
Namaz – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से नामाज पर लिखे निबंध के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर नामाज पर लिखे निबंध के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं ।
नामाज के बारे में – मुस्लिम धर्म में नामाज पढ़ने की प्रथा है । यह प्रथा इस्लाम धर्म की उत्पत्ति के बाद से प्रारंभ की गई थी । नामाज उर्दू शब्द से लिया गया है । नामाज को सलाह भी कहा जाता है । सलाह शब्द अरबी का शब्द है ।जब कुरान पढ़ी जाती है तब कुरान में सलाद शब्द बार-बार आता है । जब मस्जिद में नामाज अदा की जाती है तब कुछ मिनटों पहले मस्जिद मेे नामाज अदा करने का ऐलान किया जाता है जिसका अर्थ होता है नामाज होने वाली है और आसपास में रहने वाले सभी मुस्लिम समाज के लोग उस नामाज में शामिल होने के लिए आते हैं ।
नामाज पढ़ने से पहले मुस्लिम समाज को विधिवत तैयार होना पड़ता है । मस्जिद में प्रवेश करने से पहले दोनों हथेलियों को धोना , कुल्ला करना , नाक , काम साफ करना , चेहरा धोना , पैरों को धोना , बालों पर गीले हाथों को फेरना पड़ता है । इसके बाद वह व्यक्ति पाक होकर मस्जिद के अंदर प्रवेश करता है । मस्जिद के अंदर नामाज बहुत ही शांतिप्रिय तरह से पढ़ी जाती है । फर्ज नमाज की अजान मस्जिद से दी जाती है । जब फर्ज नमाज पढ़ने की अजान दी जाती है तब कुछ मिनटों के बाद सभी मुस्लिम लोग मस्जिद में एकत्रित हो जाते हैं और सभी एक साथ मिलकर नामाज अदा करते हैं ।
सुन्नत नामाज अकेले ही पढ़ी जाती है और समूह के साथ में फर्ज समूह नामाज अदा की जाती है । फर्ज समूह नामाज मे एक मुख्य व्यक्ति आगे खड़ा होकर सभी लोगों को विधिवत नामाज अदा कराता है । नामाज अदा कराने में कुरान शरीफ की पहली सूरह को पढ़ना बहुत ही आवश्यक माना गया है ।जब व्यक्ति मस्जिद में नामाज पढ़ता है तब वह मक्का की ओर मुख करके सतर्क खड़ा हो जाता है । इसके बाद वह विधि अनुसार झुकता है जिसे रुकू कहते हैं ।
इसके बाद जब विधि के के अनुसार खड़ा होना होता है तो वह खडा़ हो जाता है जिसे कौमा कहते हैं । इसके बाद वह अल्लाह के सजदे में सर झुकाता है और घुटनों के बल बैठकर मुरादे करता है । मुस्लिम समाज के द्वारा प्रतिदिन तकरीबन पांच नामाज अदा की जाती है और उन सभी नामाजो को पूरी विधि के अनुसार मुस्लिम धर्म के लोग अदा करते हैं । मुस्लिम धर्म के द्वारा पहली नामाज प्रातः काल पढ़ी जाती है जो सूर्य के उदय होने से पहले ही पढ़ी जाती है । जिस नामाज को नमाज ए फर्क कहा जाता है ।
नामाज ए फर्क को उषाकाल की नमाज भी कहा जाता है । यह मुस्लिम धर्म की पहली नामाज होती है । इसके बाद मुस्लिम समाज के द्वारा दूसरी नामाज मध्यान्ह सूर्य के ढलने केेेे कुछ समय के बाद पढ़ी जाती है जिस नामाज को नामाज ए जुहर कहां जाता है । नामाज ए जुहर को अवनति काल की नवाज भी कहा जाता है । इसके बाद मुस्लिम समाज के द्वारा तीसरी नामाज सूर्य अस्त होने के कुछ घंटे पहले पढी़ जाती है जिस नामाज को नमाज ए अस्त्र कहा जाता है । यह नामाज दिवसावसान की नामाज कहलाती है ।
इसके बाद मुस्लिम समाज के द्वारा चौथी नामाज सूर्यास्त के तुरंत बाद पढ़ी जाती है जिस नामाज को नामाज ए मगरिब कहा जाता है । यह शाम काल की नामाज कहलाती । इसके बाद मुस्लिम समाज के द्वारा पांचवी और अंतिम नामाज सूर्यास्त के डेढ़ घंटे बाद पढ़ी जाती है । यह रात्रि की नामाज कहलाती है । इस नामाज को नमाज ए ईशा भी कहते हैं । इस तरह से मुस्लिम समाज में नामाज अदा करने की प्रथा है और सभी मुस्लिम धर्म के लोग नियम से नामाज पढ़ते हैं ।
नामाज पढ़ने से अल्लाह की इबादत होती है और सभी नामाज पढ़ते समय अल्लाह को सामने महसूस करते हैं । मस्जिद में जो व्यक्ति नामाज अदा कराता है वह इमाम कहलाता है । जब ईद का दिन आता है तब सभी मस्जिदों में विशेष तौर पर कुछ महत्वपूर्ण नामाज भी अदा की जाती है और सभी मुस्लिम धर्म के लोग उस नामाज में एकत्रित होते हैं । जब नामाज पूरी पढ़ ली जाती है तब सभी एक दूसरे को गले लगा कर ईद की हार्दिक शुभकामनाएं देते हैं ।
नामाज पढ़ते समय सब शांत अवस्था में रहते हैं । जब नामाज अदा की जाती है तब सभी नियमों में बंध कर नामाज अदा करते हैं । नामाज अदा करते समय किसी तरह की कोई भी बातचीत करना मस्जिद में लागू नहीं होता है । अजान देने की प्रथा भी मस्जिदों में प्राचीन समय से ही है क्योंकि अजान सुनने के बाद ही सभी मुस्लिम धर्म के लोग मस्जिद में एक साथ एकत्रित होते हैं और नामाज अदा करते हैं ।
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