सड़क की आत्मकथा निबंध हिंदी sadak ki atmakatha essay in hindi

sadak ki atmakatha essay in hindi

दोस्तों कैसे हैं आप सभी, आज हम आपके लिए लाए हैं सड़क की आत्मकथा पर हमारे द्वारा लिखित यह आर्टिकल आप इसे जरूर पढ़ें।

मैं सड़क हूं, मेरे द्वारा ही लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंच पाते हैं मैं पहले पगडंडी थी फिर गांव की सड़क के रूप में विकसित हुई, धीरे धीरे मेरा पक्का निर्माण हुआ, जिस पर धूल मिट्टी बिल्कुल भी नहीं दिखाई देती। मेरे ऊपर कई तरह के वाहन मोटरसाइकिल, कार, ट्रक, बस चलती हैं और तेजी से दौड़ती रहती हैं।

sadak ki atmakatha essay in hindi
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कई लोग मुझे निर्जीव समझते हैं लेकिन जब कोई वाहन मुझपर चलते हैं तो मुझे वास्तव में एक एहसास होता है ऐसा लगता है कि मैं किसी के भी चलने के या दौड़ने के एहसास का पता लगा लेती हूं। कभी कभी जब लोग मुझ पर चलते हैं तो काफी खुशी का अनुभव करते हैं मैं उनके चलने के अंदाज से उन्हें पहचान लेती हूं। कभी कोई छोटा बच्चा मुझ पर चलता है तो वह जिस तरह से अपने नन्हें नन्हें पैर रखता है मैं उससे समझ जाती हूं कि एक प्यारा सा नन्ना बच्चा है।

मैं एक व्यक्ति को उसके लक्ष्य तक पहुंचाती हूं बहुत सारे लोग जो गांव से शहर की ओर जाते हैं मुझ सड़क से ही गुजरते हैं और अपने लक्ष्य तक आसानी से पहुंच कर खुशी का अनुभव करते हैं। पहले ग्रामीण इलाके में पक्की सड़क कम ही देखने को मिलती थी लेकिन आज गांव से लेकर शहरों तक पक्की सड़क देखने को मिलती है। मुझे देखकर कई लोग तारीफ करते नहीं थकते लेकिन कभी-कभी मेरी स्थिति खराब भी हो जाती है। मुझमें गद्दे से दिखने लगते हैं जिस वजह से लोग मेरी बुराई करते हैं।

यदि मेरी स्थिति अच्छी हो तो लोग सुविधा पूर्वक अपने लक्ष्य तक पहुंच पाते हैं कई लोग अपने रिश्तेदारों, दोस्तों से मिलने के लिए मुझ पर से होकर गुजरते हैं। इंसान तो मेरे ऊपर से चलते ही हैं साथ में कई गाय, भैंस, बकरी जैसे जानवर भी मेरे ऊपर से चलते हैं वास्तव में वह काफी खुशी का अनुभव करते हैं। कभी-कभी यह जानवर मेरे ऊपर कई घंटों तक बैठे रहते हैं जिस वजह से यात्रियों को थोड़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

मैं हमेशा यही सोच कर खुश रहती हूं कि लोग मेरा उपयोग करके खुश होते हैं मुझे दूसरों की खुशी देखकर काफी खुशी का अनुभव होता है लेकिन आजकल के इस आधुनिक युग में कभी-कभी मैं परेशान भी हो जाती है क्योंकि पहले मुझ पर चलने वाले वाहन कम ही थे लेकिन आजकल मोटर बाइक, कार, ट्रक, बस इतने ज्यादा हो चुके हैं की मेरे मार्ग पर वह हमेशा चलते रहते हैं कभी भी मैं शांत नहीं हो पाती। मोटरबाइको को देखकर मेरे ऊपर चलते हुए महसूस करके मुझे लगता है कि मनुष्य को मोटरसाइकिल चलाना थोड़ा कम कर देना चाहिए जिससे मुझे आराम हो और पर्यावरण प्रदूषण भी ना हो।

आज देखें तो शहरों में इतना ज्यादा सड़क यातायात होने लगा है, वाहनों की इतनी संख्या होने लगी है जिस वजह से शहरों में बाईपास होने लगा है, बाईपास की वजह से भारी वाहन बाईपास के मार्ग से आते हैं जाते हैं और शहरों में मुझपर छोटे वाहन चलते हैं जिससे वाहन चालकों को सुविधा होती है लेकिन मुझपर बोझ कम नहीं होता लोग तो दिन- रात मोटरबाइक, कई तरह के वाहन चलाते जाते हैं और खुश होते जाते हैं। मैं बस यही सोचती हूं कि मनुष्य को आगे चलकर किसी भी तरह की समस्या का सामना न करना पड़े। मनुष्य खुश रहे इसके लिए मैं हमेशा तत्पर रहती हूं, मैं उनसे कुछ कहती नहीं हूं सब कुछ महसूस करती हूं।

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