मेरे बचपन के दिन पर निबंध Mere bachpan ke din essay in hindi
Mere bachpan ke din aur yaadein essay in hindi
Mere bachpan ke din essay in hindi-हेलो दोस्तों कैसे हैं आप सभी,दोस्तों आज का हमारा आर्टिकल Mere bachpan ke din essay in hindi है Mere bachpan ke din पर निबंध आप सभी को वाकई में अपने बचपन की याद दिला देगा.दोस्तों bachpan ke din,बचपन की यादें हर एक व्यक्ति को याद रहते हैं वास्तव में बचपन के दिन वह दिन होते हैं जिनको हम भूल नहीं सकते।
मेरे बचपन के दिन भी कुछ ऐसे ही थे, मेरे बचपन के दिनो में में स्कूल जाया करता था,स्कूल में जब मैं अच्छी तैयारी नहीं करता था तो हमारे सर हमें तरह-तरह से दंड दिया करते थ,हमें हमारे सर हाथों पर छड़ी से मारा करते थे कभी-कभी बह हमें मुर्गा भी बनाया करते थे।जब मुझे सजा मिलती थी तब मेरे दोस्त चुपके चुपके से इशारे करते थे.
मैं अपने स्कूल में एक अलग ही छात्र था मैं किसी से ज्यादा नहीं बोलता था इसलिए मुझे अपने दोस्त चिढ़ाया करते थे, मैं थोड़ा शर्मीला था मेरा पढ़ाई में तो मन बहुत अच्छे से लगता था लेकिन मैं खेलकूद में अच्छा नहीं था जिस वजह से मेरे कम ही दोस्त थे।हमारे स्कूल में शनिवार को तरह-तरह के भाषण या फिर कविताएं बोलना पड़ती थी मैं भी इसमें हिस्सा लेता था।
हम सभी जब हमारे अध्यापको के सामने कविताएं या भाषण देते थे तो हमें खुशी मिलती थी इसके अलावा मैं जब भी घर पर आता था तो मेरे पापा मुझे अच्छे से पढ़ाई करने की सलाह देते थे,मम्मी मुझे प्यार करती थी मुझे अपने हाथों से खाना खिलाती थी वाकई में बचपन की यादें बहुत ही यादगार हैं इनको मैं नहीं भूल सकता।
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में सुबह उठकर अपने पिताजी के साथ मंदिर जाया करता था वहां पर भगवान की पूजा किया करता था जब मैं मंदिर से आता था तो लोग मुझसे तरह तरह की बातें किया करते थे दरअसल हमारे मोहल्ले में से एक में ही था जो सुबह उठकर सबसे पहले मंदिर जाया करता था।मेरे पापा जी मुझसे इस वजह से काफी खुश ही थे।मैं कभी भी गलत काम नहीं करता था लेकिन जब मैं बहुत छोटा था तब मुझमे कुछ समझ नहीं थी मैं स्कूल जाने को तैयार नहीं होता तो कभी-कभी मेरे भाई मुझपर गुस्सा किया करते थे क्योंकि मैं स्कूल नहीं जाता था.
वह मुझे स्कूल जाने के फायदे बता देते लेकिन मुझे समझ में नहीं आते थे लेकिन धीरे-धीरे में बड़ा हुआ तो मेरी स्कूल जाने की आदत लग गई और मैं सिर्फ स्कूल जाने लगा और मुझे कुछ दोस्त मिले।स्कूल में तो अब और भी अच्छी तरह से मन लगने लगा वाकई में बचपन की यादें बहुत ही बेहतरीन यादें होती है।
स्कूल के दिनों में मेरा एक दोस्त भी हुआ करता था जो मुझे अब काफी दिनों से नहीं मिला है दरअसल मैं पांचवी क्लास में था तो हम दोनों साथ में स्कूल में पढ़ा करते थे जब उसने 5 वीं पास कर लिया तो वह दूसरे शहर पढ़ाई करने के लिए चला गया। आज भी कभी-कभी मैं उसको याद करता हूं वाकई में स्कूल के दिनों की यादें जितना इनके बारे में सोचें हमें अच्छा लगता है ,हमें खुशी महसूस होती है.
बचपन के दिनो में मुझे कंप्यूटर पर गेम खेलना बहुत पसंद था,मैं अपने आस पड़ोस के लोगों को जब कंप्यूटर पर गेम खेलते हुए देखता था तो मैं भी सोचता था कि मैं भी इनकी तरह गेम खेलूंगा उस समय वहां मैं भी कभी-कभी रविवार के दिन गेम खेलने जाता था।मुझे बहुत खुशी होती थी आज भले ही मेरे पास कंप्यूटर है लेकिन जब पहली बार मैंने कंप्यूटर लैपटॉप चलाया और उसमें गेम खेला तो मुझे बेहद खुशी महसूस होती थी।
आज की अपेक्षा बचपन के दिनों में मैं अपनी बहन से भी झगड़ता था आज मैं सोचता हूं तो मुझे अजीब सा लगता है मेरी बहन और मैं आज बहुत ही प्यार से अच्छे से रहते हैं लेकिन बचपन के दिनों में हम आपस में लड़ाई झगड़ा किया करते थे और मम्मी पापा हमें समझाते थे लेकिन हम एक दूसरे से छोटी-छोटी बातों पर झगड़ते थे दोस्तों वाकई में बचपन के दिन बहुत यादगार दिन होते हैं उनको भुलाए नहीं भूल सकते।
एक बार मम्मी पापा मैं और मेरी बहन यात्रा करने के लिए मथुरा वृंदावन भी गए हुए थे उसकी यादें हमें आज भी आती है हमने वहां पर बहुत सारे मंदिरों के भी दर्शन किए और हमने गोवर्धन परिक्रमा की तो मुझे बहुत खुशी हुई बचपन में मेरे ताऊजी के लड़के मेरे भाई मेरे दोस्त की तरह थे। मैं अक्सर उनसे बातें किया करता था उनके साथ रहना मुझे बेहद पसंद था.मैं उन्हें आदर भी देता था वह भी मुझसे अच्छे से प्यार से बातचीत किया करते थे वाकई में बचपन की याद जब याद आती है तो मैं सोचता हूं कि यह सब मेरे साथ अभी-अभी हुआ हो.
दोस्तों बचपन की यादें दुनिया की सबसे बढ़िया यादें होती हैं इन यादों को ताजा करके जीवन में कुछ पल के लिए खुशी महसूस कर सकते हैं।बचपन के दिन जब हमको याद आते हैं तो हम सोचते हैं कि काश वह दिन दोबारा आ जाते लेकिन ऐसा नहीं होता.बचपन के दिन आकर हम उनसे हमेशा हमेशा के लिए दूर हो जाते है बस वोह यादे रह जाती है,कुछ लोग सोचते है की काश बचपन के दिन लोट आये तोह कितना अच्छा हो.हम कुछ और टाइम शरारत करले लेकिन वोह ख़ुशी के दिन कभी नहीं आते।
कुछ बच्चे बचपन में नासमझी की वजह से कुछ अच्छा नहीं कर पाते तोह वोह सोचते है की काश में अपने बचपन के दिनों को बदल सकू लेकिन वोह दिन एक बार जाने के बाद दोवारा नहीं आते बस कुछ खट्टी मीठी यादे रह जाती है जो हमें जीवन भर याद रहती है.
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