मानव सेवा ही ईश्वर सेवा है Manav seva hi ishwar seva hai kahani
मानव सेवा ही ईश्वर सेवा है kahani
दोस्तों नमस्कार, आज हम आपके लिए लाए हैं मानव सेवा ही ईश्वर सेवा है पर हमारे द्वारा लिखित यह कहानी आप इसे जरूर पढ़ना तो चलिए पढ़ते हैं आज की हमारी इस कहानी को
राज एक बहुत ही दयालु और अच्छा बालक था। एक दिन वह स्कूल जा रहा था तो रास्ते में उसको एक बुढ़िया मिल गई। बुढ़िया लोगों से कुछ मांग रही थी। दरअसल बुढ़िया कई दिनों से काफी भूखी थी, बुढ़िया ने कई लोगों से भीख मांगी लेकिन किसी ने उसकी मदद नहीं की।
यह सब उस 12 साल के बच्चे राज से देखा नहीं गया। वह बुढ़िया के पास गया और उससे कहा माता जी आपको जोर से भूख लगी है मैं आपकी मदद करता हूं।
राज ने वहां के कुछ लोगों से गुहार लगाई, उनसे कहां कृपयाकर आप कुछ खाने की चीजें या फिर रुपए मुझे दे दीजिए मैं इसकी मां को देना चाहता हूं लेकिन किसी ने भी राज की मदद नहीं की।
तब एक व्यक्ति ने राज की बात सुनकर उसको कुछ रुपए दे दिए और राज ने कहा कि मैं यह रुपए आपको आज शाम तक वापस कर दूंगा। राज ने वह रुपये उस बूढ़ी मां को दिए तब बूढ़ी मां ने उन लोगों से अपने लिए कुछ खाने की चीजें खरीदी।
बूढ़ी मां ने राज को आशीर्वाद भी दिया दरहसल वह बच्चे राज की दयालुता को देखकर काफी प्रभावित थी। राज स्कूल से वापस अपने घर गया और फिर अपने पिताजी से रुपए लेकर उस व्यक्ति को उसके रुपए वापस किए।
जब राज के माता-पिता ने उससे पूछा कि ये रुपये कहाँ ले जा रहा है तब राज ने अपने माता-पिता से पूरी बात कही। राज के माता-पिता भी काफी खुश थे क्योंकि वह अपने बच्चे राज को देख रहे थे की राज समझने लगा है कि मानव सेवा ही ईश्वर सेवा होती है।
दोस्तों वास्तव में जो व्यक्ति मानव सेवा करता है वह एक तरह से ईश्वर सेवा ही करता है क्योंकि ईश्वर ने हमको बनाया है, हम सभी ईश्वर की ही देन है हमें चाहिए कि हम दूसरों के प्रति दया का भाव रखे हैं, उनकी मदद भी करें तभी हम जीवन में आगे बढ़ सकते हैं और एक बेहतर इंसान बन सकते हैं।
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