महादेवी वर्मा की कविता मुरझाया फूल Mahadevi verma murjhaya phool
Mahadevi verma murjhaya phool
महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च 1907 को उत्तर प्रदेश में हुआ था ये देश की महान कवियित्रियो में से एक थी इन्होंने अपनी कविताओं के दम पर महिलाओं को जागरुक किया उन्हें उनकी शक्ति का आभास कराया चलिए पढ़ते हैं इनके द्वारा लिखित मुरझाया फूल पर लिखित कविता को
था कली के रूप शैशव में अहो सूखे सुमन
हास्य करता था, खिलाती अंक में तुझको पवन
खिल गया जब पूर्ण यू मंजुल, सुकोमल पुष्पवर
लुब्ध मधु के हेतु मंडराते लगे आने भ्रमर
स्निग्ध किरणें चंद्र की तुझको हंसाती थी सदा
रात तुझ पर वारती थी मोतियों की संपदा
लोरियां गाकर मधुप निद्रा विवस करते तुझे
यत्न माली का रहा आनंद से भरता तुझे
कर रहा अठखेलिया इतरा सदा उद्यान में
अंत का यह दृश्य आया था कभी क्या ध्यान में
सो रहा अब तू धरा पर शुष्क बिखराया हुआ
गंध कोमलता नहीं मुख्य मंजु मुरझाया हुआ
आज तुझको देखकर चाहत भ्रमर आता नहीं
लाल अपना राग तुझ पर प्राप्त बरसाता नहीं
जिस पवन में अंक में ले प्यार तुझको था किया
तीव्र झोंकों से सुला उसने तुझे भू पर दिया
कर दिया मधु और सौरभ दान सारा एक दिन
किन्तु रोता कौन है तेरे लिए दानी सुमन
मत व्यथित हो फूल,सुख किसको दिया संसार ने
स्वार्थमय सबको बनाया है यहां करतार ने
विश्व में हे फूल सबके हृदय भाता रहा
दान कर सर्वस्व फिर भी हाय हर्षाता रहा
जब ना तेरी ही दशा पर दुख हुआ संसार को
कौन रोएगा सुमन हमसे मनुज नि:सार को
Related-महादेवी वर्मा की कहानी गिल्लू Mahadevi verma short stories in hindi
दोस्तों अगर आपको हमारे द्वारा लिखा गया है ये आर्टिकल Mahadevi verma murjhaya phool पसंद आए तो इसे शेयर जरूर करें और हमारा Facebook पेज लाइक करना ना भूलें और हमें कमेंटस के जरिए बताएं कि आपको हमारा यह आर्टिकल कैसा लगा इसी तरह के नए-नए आर्टिकल को सीधे अपने ईमेल पर पाने के लिए हमें सब्सक्राइब जरूर करें।