कुशवाहा समाज की उत्पत्ति व इतिहास kushwaha samaj ki utpatti, history in hindi
kushwaha samaj ki utpatti, history in hindi
दोस्तों कैसे हैं आप सभी, दोस्तों आज के हमारे आर्टिकल में हम जानेंगे कुशवाहा समाज की उत्पत्ति कैसे हुई दोस्तों कुशवाहा जाति का इतिहास काफी गौरवशाली रहा है लेकिन कई कारणों की वजह से कुशवाहो की स्थिति खराब हुई थी. हमारे कुशवाहा समाज के लोग सोचते होंगे कि जब श्री रामचंद्र जी क्षत्रीय थे तो हम श्री रामचंद्र जी की संतान कुश के वंशज हैं फिर भी हम क्षत्रिय क्यों नहीं कहलाते हैं हम पिछले वर्ग में क्यों आते हैं दरअसल इस तरह के सवालों के जवाब हमारे इस आर्टिकल में आपको मिलेंगे।
कुशवाह समाज की उत्पत्ति श्री रामचंद्र जी की संतान कुश से हुई है श्री रामचंद्र जी ने अपने दोनों पुत्रों लव और कुश को अलग-अलग नगरों का राज्य सौंप दिया था. भगवान श्री रामचंद्र जी ने कुश को कुशावती नगरी का राजा बनाया था जहां की जमीन काफी उपजाऊ थी वहां के लोग ज्यादातर खेती करते थे, खेती करना पसंद करते थे लेकिन कुछ समय बाद जब मुगलों का राज आया तो उन्होंने कई जातियों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया और बहुत से लोगों को मार डाला. कुश के वंशजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा और वह खेती किसानी कर अपने जीवन को चलाते. खेती करना मेहनत का काम होता है इसलिए हमें सब शूद्र समाज का समझने लगे।
वास्तव में हमारी उत्पत्ति महान पराक्रमी राजा कुश से हुई है हमें गर्व होना चाहिए कि हम कुशवाहा है. हमारे वंश में और भी कई महान लोग हैं जिन्होंने देश दुनिया में ख्याति पाई है और अपने ज्ञान पराक्रम से बहुत कुछ प्राप्त किया है। महात्मा बुद्ध जोकि ज्ञानी थे वह कुश वंश के ही थे जिन्होंने राजा शुद्धोधन के यहां पर जन्म लिया था लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने अपने पिता का राजपाट छोड़कर संन्यास ले लिया था। महात्मा गौतम बुद्ध एक समाज सुधारक एवं धर्म गुरु थे उन्होंने ज्ञान का प्रचार प्रसार पूरी दुनिया को कराया. महान पराक्रमी राजा सम्राट अशोक जिनकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है वह भी कुश वंश के थे।
चंद्रगुप्त मौर्य हमारे कुश वंश के ही थे जिन्होंने कई राजाओं को पराक्रम करके अपने राज्य का विस्तार किया चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने पराक्रम से चारों तरफ मोर्य साम्राज्य खड़ा कर दिया था। वास्तव में कुशवाहो का इतिहास काफी गौरवशाली रहा। आज हम देखें तो कुशवाहा खेती करते हैं जिस वजह से कुछ लोग उन्हें शूद्र समझते हैं लेकिन खेती तो आजकल हर कोई करता है इसलिए कुशवाहों को अपने आपको किसी भी तरह से कमजोर नहीं समझना चाहिए.
हम सभी को गर्व होना चाहिए कि हम भगवान श्री राम की संतान कुश के वंश से हैं जो पराक्रमी थे. उनके गुरु ने उन्हें इतना ज्ञानी और पराक्रमी बनाया था कि कोई भी उनका सामना नहीं कर पाता था। पहले मुगलों की वजह से भले ही हमारी स्थिति खराब हुई हो लेकिन आज कुशवाहा भी किसी से कम नहीं है वह भी देश में तरक्की करते जा रहे हैं।
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति है।।क्षत्रिय सिंह लाट के बब्बर शेर क्षत्रिय कुशवाहा मौर्य राजवंश शाक्य राजवंश के क्षत्रिय वंशज समाज को नमन।।
Good
बहुत बडिया लेख लिखा है