कोनेरू हम्पी की जीवनी Koneru humpy biography in hindi

Koneru humpy biography in hindi

Koneru humpy – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से कोनेरू हम्पी के जीवन परिचय के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़ पर कोनेरू हम्पी के जीवन परिचय के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं ।

Koneru humpy biography in hindi
Koneru humpy biography in hindi

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कोनेरू हम्पी के जन्म स्थल व् परिवार के बारे में – कोनेरू हम्पी भारतीय शतरंज खिलाड़ी है । भारत की सबसे बेहतरीन महिला शतरंज खिलाड़ी कोनेरू हम्पी का जन्म 31 मार्च 1987 को भारत देश के आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में हुआ था । इनका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था । इनके पिता का नाम कोनेरू अशोक है एवं उनकी माता जी का नाम कोनेरू लता है । इनकी एक बहन भी है जिसका नाम कोनेरू चंद्र हासा है ।

कोनेरू हम्पी की शिक्षा के बारे में – कोनेरू हम्पी की उम्र जब पढ़ने लिखने की हुई तब उनके माता-पिता के द्वारा उनको स्कूली शिक्षा दिलाने के लिए चलपथी रेजिडेंशियल स्कूल में भर्ती करा दिया गया था । जहां से कोनेरू हम्पी अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त कर रही थी । स्कूली शिक्षा के दौरान वह काफी अच्छा परफॉर्मेंस करती थी । कोनेरू हम्पी अच्छे नंबर प्राप्त करके स्कूल में प्रथम श्रेणी से पास होती थी । पढ़ाई के प्रति उनकी लगन और मेहनत को देखते हुए उनके  टीचर उनसे बहुत खुश थे ।

कोनेरू हम्पी के शतरंज कैरियर के बारे में – कोनेरू हम्पी शतरंज की एक बेहतरीन खिलाड़ी है जिन्होंने शतरंज खेल में जीत हासिल करके सफलता प्राप्त की है । जब  कोनेरू हम्पी छोटी थी तब वह घर पर ही अपने माता-पिता के साथ शतरंज खेल को खेलती थी । अपनी छोटी उम्र में ही उन्होंने शतरंज की चाल को चलना सीख लिया था । कोनेरू हम्पी अपनी छोटी उम्र में अपने पिता को भी शतरंज के खेल में हरा देती थी ।

जब कोनेरू हम्पी के पिता ने शतरंज के खेल में उनकी रुचि देखी तब उनके पिता के द्वारा कोनेरू हम्पी को शतरंज खेल के प्रति आगे बढ़ाने को कहा गया और वह निरंतर शतरंज खेल मे आगे बढ़ती गई थी । जब शतरंज की प्रतियोगिता का पता कोनेरू हम्पी को चलता था तब कोनेरू हम्पी शतरंज प्रतियोगिता में हिस्सा लेती थी । उन्होंने जिले लेवल पर कई शतरंज प्रतियोगिताएं जीतकर सफलता प्राप्त की और अपने कदम आगे बढ़ाए थे ।

जब 1996 में राष्ट्रीय शतरंज चैंपियनशिप प्रतियोगिता आयोजित की गई तब उस प्रतियोगिता में कोनेरू हम्पी ने हिस्सा लिया और पूरी मेहनत और लगन के साथ उस  चैंपियनशिप प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर उस प्रतियोगिता को जीतकर अपना और अपने माता-पिता का नाम रोशन किया था । जब कोनेरू हम्पी ने राष्ट्रीय शतरंज चैंपियनशिप प्रतियोगिता जीती तब उनके हौसले और भी बढ़ गए थे । कोनेरू हम्पी निरंतर शतरंज खेल में आगे बढ़ना चाहती थी ।

1997 में जब कोनेरू हम्पी को यह पता चला कि लड़कियों की राष्ट्रीय रैपिड शतरंज चैंपियनशिप प्रतियोगिता हो रही है तब उन्होंने 1997 में राष्ट्रीय रैपिड शतरंज प्रतियोगिता में हिस्सा लेने का फैसला किया था और इस फैसले में उनका साथ उनके माता-पिता के द्वारा दिया गया था । यह प्रतियोगिता चेन्नई में आयोजित कराई जा रही थी । इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर कोनेरू हम्पी ने पूरी मेहनत के साथ शतरंज के खेल को खेला था ।  जब कोनेरू हम्पी इस चैंपियनशिप जीत गई थी तब उनको सम्मान प्राप्त हुआ था ।

यह प्रतियोगिता जीतने के बाद कोनेरू हम्पी विश्व की दूसरी महिला शतरंज खिलाड़ी बन गई थी । आज महिला शतरंज खिलाड़ी की महान भारतीय शतरंज महिला के नाम से कोनेरू हम्पी को जाना जाता है । जैसा कि हम सभी जानते हैं कि शतरंज खेल खेलना कोई आसान खेल नहीं है । शतरंज की चाल को चलना कोई आसान कार्य नहीं है । कोनेरू हम्पी जब शतरंज खेलती है तब उनका पूरा फोकस शतरंज की चाल पर रहता है और वह सामने वाले प्रतिद्वंदी को मात देकर शतरंज खेल में जीत हासिल कर लेती है । यही उनकी सबसे बड़ी खूबी है ।

कोनेरू हम्पी के द्वारा शतरंज प्रतियोगिता जीतकर महिलाओं के सम्मान को भी बढ़ाया गया है । शतरंज के खेल में विश्व की नंबर दो सूची पर आने के बाद कोनेरू हम्पी ने यह बता दिया कि महिलाएं किसी से कम नहीं होती है । पूरे देश विदेश में अपना नाम और अपने परिवार का नाम रोशन  करके कोनेरू हम्पी अपने जीवन में आनंद प्राप्त कर रही है । कोनेरू हम्पी के सफल जीवन के बारे में जब उनके माता-पिता से बात की गई तब उनके माता-पिता ने कहा था कि शतरंज खेल के प्रति कोनेरू हम्पी की रुचि बचपन से ही थी ।

कोनेरू हम्पी को मिले अवार्ड के बारे में – कोनेरू हम्पी के बेहतरीन शतरंज खेल के लिए उनको स्वर्ण पदक दिया गया था । यह स्वर्ण पदक उनको 1997 में राष्ट्रीय रैपिड शतरंज चैंपियनशिप जीतने के लिए दिया गया था । कोनेरू हम्पी अर्जुन पुरस्कार भी प्राप्त कर चुकी है । कोनेरू हम्पी को विश्व की दूसरी शतरंज महिला खिलाड़ी होने का सम्मान भी प्राप्त हुआ है ।

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