हिन्दू पंचांग पर निबंध Hindu panchag essay in hindi

Hindu panchag essay in hindi

hinduism panchag essay in hindi – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से हिंदू पंचांग पर लिखे निबंध के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर हिंदू पंचांग पर  लिखे निबंध के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं ।

Hindu panchag essay in hindi
Hindu panchag essay in hindi

हिंदू पंचांग के बारे में – हिंदू पंचांग भारत में उपयोग किया जाता है । हिंदू पंचांग चंद्रसौर प्रकृति के होते हैं । भारत देश के जो हिंदू पंचांग होते हैं वह हिंदू पंचांग कालगणना कि समान संकल्प नाम पर आधारित होते हैं । कालगणना के साथ-साथ काल गणना विधि पर भी हिंदू पंचांग आधारित किए जाते हैं । दोस्तों हिंदू पंचांग में जो मौसम के नाम और वर्ष के नाम निर्धारित यह गए हैं वह नाम नक्षत्र , तिथि , वार , योग और करण के आधार पर नियुक्त किए गए हैं । यदि हम हिंदू पंचांग की उत्पत्ति के बारे में बात करें तो हिंदू पंचांग की उत्पत्ति वैदिक काल में ही हो गई थी ।

जब हिंदू पंचांग की उत्पत्ति की गई तब वैदिक काल के महान आचार्य आर्यभट्ट , भास्कर और वराहमिहिर आदि खगोलशास्त्रीयो  के द्वारा हिंदू  पंचांग को लागू किया गया था । इन सभी खगोल शास्त्रियों ने जब पंचांग पर रिसर्च किया तब उनके द्वारा चंद्र की कलाओं का वर्णन किया गया था । हिंदू पंचांग के माध्यम से मास , महीने की उत्पत्ति हुई थी । हिंदू पंचांग के अनुसार 12 मास का 1 वर्ष होता है । हिंदू पंचांग के अनुसार 7 दिन का 1 सप्ताह माना गया है । 7 दिन का 1 सप्ताह रखने का दायित्व विक्रम संवत पंचांग को जाता है ।

विक्रम संवत पंचांग ने ही 7 दिन का 1 सप्ताह रखने का प्रस्ताव रखा गया था । पूरे 1 महीने का हिसाब चंद्रमा और सूर्य की गति पर निर्भर करता है । दोस्तों हिंदू पंचांग नाम नक्षत्र , तिथि , वार , योग , करण के आधार पर रखा गया है इसलिए हिंदू पंचांग कहा जाता है क्योंकि यह 5 नामों से मिलकर बना है । खगोलशास्त्रीएं की गणना के आधार पर भारतीय हिंदू पंचांग की तीन प्रमुख धाराएं होती हैं । पहली धारा चंद्र आधारित मानी गई है । दूसरी धारा नक्षत्र आधारित मानी गई है । तीसरी धारा सूर्य आधारित कैलेंडर पद्धति मानी गई है । इस तरह से हिंदू पंचांग की तीन प्रमुख धाराएं हैं । हिंदू पंचांग कैलेंडर पद्धति के अनुसार 1 साल में 12 महीने होते हैं और 15 दिन के दो पक्ष निर्धारित किए गए हैं ।

पहला पक्ष शुक्ल पक्ष , दूसरा पक्ष कृष्ण पक्ष है ।  प्रत्येक साल में दो अयन होते हैं और साल के दो अयनो की राशियों में तकरीवन 27 नक्षत्र इर्द गिर्द चक्कर लगाते रहते हैं । एक दिन के समय काल को तिथि कहा जाता है । जो तिथि पंचांग के अनुसार 19 घंटे से लेकर 24 घंटे तक हो सकती है । चंद्रमास के आधार पर 30 तिथियां होती हैं जो तीस तिथियां दो पक्ष में बटी हुई होती हैं । पहली पक्ष में यानी शुक्ल पक्ष में 1 से लेकर 14 तक की तिथि आती है । इसके बाद फिर पूर्णिमा का दिन आता है । दूसरे पक्ष में यानी कृष्ण पक्ष में 1 से लेकर 14 तक की तिथि आती है फिर अमावस्या आती है । अमावस्या सहित लगभग 15 तिथि एक पक्ष में आती है ।

अब हम आपको हिंदू पंचांग की प्रमुख तिथियों के नाम बताने जा रहे हैं । पूर्णिमा जिसे  पूरनमासी भी कहते हैं । दूसरी तिथि प्रतिपदा है जिसे पड़वा भी कहा जाता है ।तीसरी तिथि  द्वितीया हैं  जिसे तीज भी कहा जाता है ।चौथी तिथि तृतीया है जिसे तीज कहा जाता है । पांचवी तिथि  चतुर्थी है जिसे चौथ कहा जाता है । छठ वी  तिथि पंचमी है जिसे पंचमी ही कहा जाता है । 7 वी तिथि षष्ठी है जिसे छठ कहा जाता है । आठवीं  तिथि सप्तमी है जिसे सातम कहा जाता है । नवी तिथि अष्टमी है जिसे आठम कहा जाता है । दसवीं तिथि नवमी है जिसे नौमी कहा जाता है ।

11वीं तिथि दशमी है जिसे दशम कहा जाता है । 12वीं तिथि एकादशी है जिसे ग्यारस कहा जाता है । 13 वी तिथि द्वादशी है जिसे बारस कहा जाता है । 14 वी तिथि  त्रयोदशी है जिसे तेरस कहा जाता है । 15 वी तिथि  चतुर्दशी है जिसे चौदस कहा जाता है । 16 वी तिथि अमावस्या है जिसे अमावस कहा जाता हैं । इस तरह से पूरी 15 तिथि होती हैं । जो दो भागों में बटी हुई होती है शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष मे ।  हिंदू पंचांग के आधार पर 7 दिन का 1 सप्ताह नियुक्त किया गया है और 1 सप्ताह में 7 दिन होते हैं और उन सभी सातों दिनों के नाम इस प्रकार से हैं रविवार , सोमवार , मंगलवार , बुधवार , गुरुवार , शुक्रवार , शनिवार आदि ।

हिंदू पंचांग के द्वारा कुंडली बनाई जाती है और व्यक्ति के ग्रह नक्षत्र की गणना करके उसके आने वाले भविष्य के बारे में अनुमान लगाया जाता है । हिंदू पंचांग की गणना करके शुभ और अशुभ मुहूर्त के बारे में भी आकलन किया जाता है ।

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