नारी के अनेक रूप पर निबंध hindi poem on nari ke anek roop

hindi poem on nari ke anek roop

दोस्तों नारी के अनेक रूप है नारी मां, बहन का रूप है नारी पत्नी का रूप है, नारी ही घर की लक्ष्मी है कभी कभी जब विकट परिस्थिति आती है तो नारी झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की तरह भी बन जाती है। वह किसी से डरती नहीं है और आगे बढ़ती चली जाती है नारी ममता का स्वरूप भी है वह अपने बच्चों के प्रति हर तरह से समर्पित रहती है, हर तरह से उनकी मदद करती है भले ही एक माँ को दो वक्त का खाना नसीब ना हो पाए लेकिन अपने बच्चों के लिए वह दो वक्त के खाने का प्रबंध करती हैं.

वास्तव में नारी की महानता विश्व विख्यात है आजकल की नारी अलग-अलग क्षेत्रों में आगे बढ़ती चली जा रही है एक तरह से कई रूपों के साथ आगे बढ़ती जा रही है। आज हम नारी के अनेक रूप पर आपके लिए कविता लेकर आए हैं आप इसे जरूर पढ़े हैं तो चलिए पढ़ते है आज की इस कविता को

hindi poem on nari ke anek roop
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नारी तेरे अनेक है रूप

तू ही लक्ष्मी का है रूप

तू ही दुर्गा का है रूप

तू ही है ममता का रूप

 

बहन बनकर भाई के प्रति

अपना कर्तव्य निभाती है

पत्नी बनकर अपना सब कुछ निछावर करती है

बेटी का भी नारी कर्तव्य निभाती है

 

किसी को कुछ कहने का मौका वो ना देती है

नारी घर की लक्ष्मी है

परिवार वालों के लिए हमेशा तत्पर है

वो झांसी की रानी की तरह निर्भय है

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