अशफाक उल्ला खान की कविता Ashfaqulla khan poetry hindi

Ashfaqulla khan poetry hindi

दोस्तों अशफाक उल्ला खान हमारे भारत देश के एक स्वतंत्रता सेनानी थे, उन्होंने हमारे भारत देश के लिए जो किया वास्तव में वह काबिले तारीफ था, इनके किए हुए कार्यों की वजह से अंग्रेज लोहे के चने चबाने पर मजबूर हो गए थे. उन्होंने अपने देश को स्वतंत्र करवाने के लिए कभी भी अपनी फिक्र नहीं की और आखिर में अंग्रेजों द्वारा उन्हें पकड़ लिया गया था और फांसी की सजा सुना दी गई थी लेकिन अशफाक उल्ला खान हम भारतीयों के दिलों में आज भी जीवित हैं क्योंकि उन्होंने देश के लिए जो किया वह काबिले तारीफ है. आज हम पढ़ेंगे अशफ़ाक उल्ला खां जी की एक बेहतरीन कविता को

Ashfaqulla khan poetry hindi
Ashfaqulla khan poetry hindi

image source-https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Ashfaqulla_Khan_in_Faizabad_jail.jpg

कस ली है कमर अब तो, कुछ करके दिखाएंगे
आजाद ही हो लेंगे, या सर ही कटा देंगे

हटने के नहीं पीछे, डरकर कभी जुल्मों से
तुम हाथ उठाओगे, हम पैर बढ़ा देंगे

बेशस्त्र नहीं हैं हम, बल है हमें चरखे का
चरखे से जमीं को हम, ता चर्ख गुंजा देंगे

परवाह नहीं कुछ दम की, गम कि नहीं, मातम की
है जान हथेली पर, एक दम में गंवा देंगे

उफ़ तक भी जुबां से हम हरगिज ना निकालेंगे
तलवार उठाओ तुम, हम सर को झुका देंगे

सीखा है नया हमने लड़ने का यह तरीका
जलवाओ गन मशीने, हम सीना अड़ा देंगे

दिलबाओ हमें फांसी, एलान से कहते हैं
खून से ही हम शहीदों के, फौज बना देंगे

मुसाफिर जो अंडमान के, तूने बनाए, जालिम
आजाद ही होने पर, हम उनको बुला लेंगे

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