कोयल पर कविता Hindi poem koyal by subhadra kumari chauhan

Hindi poem koyal by subhadra kumari chauhan

Hindi poem koyal by subhadra kumari chauhan-सुभद्रा कुमारी चौहान हिंदी की एक सुप्रसिद्ध कवयित्री है वह बहुत ही कम उम्र से ही कविताएं लिखने लगी थी उन्होंने स्वाधीनता आंदोलन में भी काफी सहयोग किया और कई बार जेल की यातनाये भी सही.उन्होंने अपने जीवन में कुछ ऐसी कविताएं लिखी जो काफी प्रसिद्ध है.उनके द्वारा हिंदी की कविताओं में त्रिधारा, मुकुल, कोयल आदि हैं उनकी कुछ कहानियां बिखरे मोती,सीधे साधे चित्र आदि भी प्रसिद्ध हैं उन्होंने अपने जीवन में कुछ जीवनी भी लिखी हैं जिनमें से एक मिला तेज से तेज है.

Hindi poem koyal by subhadra kumari chauhan
Hindi poem koyal by subhadra kumari chauhan

सुभद्रा कुमारी चौहान जी के द्वारा लिखित आज की कविता कोयल आज हम पढेंगे चलिए पढ़ते है हमारी आज की इस कविता को

देखो कोयल काली है पर मीठी है इसकी बोली

इसने ही तो कूक कूक कर आमों में मिश्री घोली

कोयल कोयल सच बतलाना क्या संदेशा लाई हो

बहुत दिनों के बाद आज फिर इस डाली पर आई हो

 

क्या गाती हो किसे बुलाती बतला दो कोयल रानी

प्यासी धरती देख मांगती हो क्या मैंघो से पानी

कोयल यह मिठास क्या तुमने अपनी मां से पाई है

मां ने भी क्या तुमको मीठी बोली यह सिखलाई है

 

डाल डाल पर उड़ता गाना जिसने तुम्हें सिखाया है

सबसे मीठे मीठे बोलो यह भी तुम्हें बताया है

बहुत भली हो तुमने मां की बात सदा ही है मानी

इसलिए तो तुम कहलाती हो सब चिड़ियों की रानी

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