हीर रांझा का इतिहास Heer ranjha history in hindi

Heer ranjha history in hindi

आज हम जानने वाले हैं हीर रांझा के इतिहास के बारे में। दोस्तों हीर रांझा के प्रेम का इतिहास आज से लगभग 200 साल पुराना है। हीर रांझा की प्रेम कहानी अमर है, हीर रांझा के बारे में बताने के लिए कई फिल्में भी बनी है तो चलिए आज हम जानते हैं हीर रांझा के इतिहास के बारे में।

Heer ranjha history in hindi
Heer ranjha history in hindi

image source-https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Heer-Ranjha-.jpg

रांझा एक उपनाम है। पाकिस्तान की चेनाब नदी के किनारे पर एक गांव बसा हुआ है, इस गांव में रांझा जाति के लोग रहते हैं आज से काफी सालों पहले इसी गांव के जमींदार मौजू चौधरी के घर जन्म हुआ था इस प्रसिद्ध रांझा का। रांझा की प्रेम कहानी प्रसिद्ध है। मौजू चौधरी के पुत्रों में रांझा सबसे छोटा था। रांझा का असली नाम ढीदो था लेकिन इनके उपनाम रांझा से ही इन्हें सभी लोग पुकारा करते थे। सबसे छोटा होने के कारण रांझा के पिताजी इन्हें बहुत ही प्यार करते थे।

समय गुजरता गया रांझा के अन्य भाई खेतों में मेहनत करते थे लेकिन रांझा को केवल बांसुरी बजाने का ही शौक था वह ज्यादातर समय बांसुरी ही बजाता था। कुछ समय बाद रांझा का अपने भाइयों से विवाद हुआ और फिर रांझा ने एक मस्जिद में आश्रय लिया, मस्जिद में वह बांसुरी बजाते थे जब उसकी बांसुरी मौलवी साहब ने सुनी तो उन्होंने इसे इस्लाम के खिलाफ बताकर मांझी से मना किया लेकिन रांझा ने अपनी बांसुरी को ना छोड़ने को कहा तभी मौलवी साहब के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था इसी वजह से उन्होंने फिर कभी रांझा को बांसुरी बजाने से नहीं रोका।

समय गुजरता गया कुछ समय बाद वह उस जगह से चला गया और एक गांव पहुंचा जोकि हीर का गांव था। इस गांव के, एक जाट परिवार में हीर का जन्म हुआ था जब माझा हीर के गांव आया तो उसे कुछ काम की जरूरत थी तब हीर के पिता ने उसे अपने यहां जानवरों को चराने यहां पर रखा। रांझा हमेशा बांसुरी बजाता, बांसुरी की धुन को सुनकर हीर काफी प्रभावित होती, धीरे-धीरे समय गुजरता गया और हीर को रांझा से प्रेम हो गया। अब हीर और रांझा एकांत स्थानों पर मिलने लगे, उनकी प्रेम कहानी आगे बढ़ती गई।

एक दिन की बात है हीर के चाचा ने उन दोनों को देख लिया और हीर के माता-पिता को यह बात बताई। जब हीर के पििता को यह बात पता लगी तो रांझा को नौकरी से निकाल दिया गया। हीर के पिता ने उसे किसी दूसरे से शादी करने के लिए जोर दिया सभी लोगों के मनाने के बाद आखिर हीर को उनकी बात माननी पड़ी और हीर का विवाह किसी और से कर दिया गया। जब यह बात रांझा हो पता लगी तो उसे काफी दुख हुआ अब उसने एक बाबा जोगी के साथ मिलकर जोगी बनने का फैसला लिया और वह अब इधर उधर घूमने लगा।

एक दिन ऐसे ही घूमते हुए वह रांझा हीर के गांव पहुंचा जहां पर हीर का ससुराल था। उसने दरवाजा खटखटाया और हीर के घर में प्रवेश किया। हीर की नंद ने हीर और रांझा की कहानी पहले ही सुन रखी थी इसलिए उसने हीर और रांझा को भागने में मदद की तभी राजा के सैनिकों ने उन दोनों को पकड़ लिया। जब राजा ने उन दोनों की कहानी सुनी तो उसने हीर के प्रेम की परीक्षा लेना चाहा। हीर ने आग पर अपना हाथ रख दिया और फिर राजा समझ गया इन दोनोंंं का प्यार सच्चा है और उन दोनों को राजा ने आजाद कर दिया।

अब वह दोनों विवाह करने के लिए हीर के गांव गए जहां पर उन्हें समझाने पर हीर के माता-पिता राजी हो गयें और दोनों की शादी करवाने का फैसला लिया लेकिन शादी के दिन ही हीर के चाचा ने उसके खाने में जहर मिला दिया। जब वह खाना हीर ने खाया तो उसकी मौत हो गई। उसके बाद हीर और रांझा को गांव में दफन करवा दिया गया, यह है हीर और रांझा का इतिहास।

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