संत रविदास की जीवनी Guru ravidass ji history in hindi

Guru ravidass ji history in hindi

Guru ravidass ji history in hindi-हेलो दोस्तों कैसे हैं आप सभी,दोस्तों आज गुरु रविदास जी की जयंती है इस जयंती के अवसर पर हम आपके लिए लाए हैं संत रविदास जी का जीवन परिचय जिसे पढ़कर आप अपने जीवन में एक बदलाव महसूस कर सकते हैं क्योंकि संत रविदास जी महाराज ने अपने जीवन में बहुत कुछ ऐसा किया है जो हम सभी के लिए प्रेरणादाई है वह अपने जीवन में अपने देश,समाज आदि के लिए बहुत कुछ कर गए उनकी जयंती हर जगह बड़ी ही धूमधाम से मनाई जाती है जगह-जगह उनकी जयंती के दिन प्रोग्राम रखे जाते हैं जिसमें उनके बारे में विस्तृत जानकारी दी जाती है चलिए पढ़ते हैं Guru ravidass ji history in hindi

Guru ravidass ji history in hindi
Guru ravidass ji history in hindi

संत रविदास जी महाराज की जयंती इस बार 31 जनवरी 2018 को है उनका जन्म लगभग 1377 में हुआ था उनका जन्म स्थान वाराणसी है जोकि उत्तर प्रदेश में है इनका पूरा नाम गुरु रविदास जी है इनके पिता श्री संतोख दास जी एक जूता बनाने और सुधारने का काम करने वाले थे दरअसल इनके पिता मरे हुए जानवरों की खाल से जूते चप्पल बनाया करते थे.

संत रविदास जी का जिस परिवार में जन्म हुआ वह परिवार निम्न वर्ग में आता था उच्च वर्ग के लोग उन्हें आगे बढ़ने नहीं देते थे उस समय अगर कोई भी निम्न वर्ग का व्यक्ति उच्च वर्ग जैसे काम करने लगे या आगे बढ़ने की कोशिश करें तो उसे आगे बढ़ने नहीं दिया जाता था क्योंकि उस समय जाति धर्म के नाम पर चारों और बुरी स्थिति थी.

संत रविदास जी जब बच्चे थे तो उनका पढ़ाई में विशेष ध्यान था वह उच्च वर्ग के लोगों की तरह पढ़कर उच्च शिक्षा हासिल करके अपने समाज के लिए कुछ अच्छा करना चाहते थे.वह पंडित शारदानंद की पाठशाला में शिक्षा लेने जाया करते थे लेकिन उच्च वर्ग के लोगों ने इस पर विरोध जताया और उन्हें पाठशाला में नहीं आने दिया जिस वजह से रविदास जी को बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ा था लेकिन कहते हैं जिसमें अगर लग्न हो तो वह कुछ भी करने लगता है संत रविदास जी की पढ़ाई में विशेष रुचि थी जिस वजह से उनके गुरु शारदानंद जी ने उन्हें विशेष रूप से अलग पढ़ाना शुरू किया उनका बालक और रविदास जी एक अच्छे दोस्त थे वह साथ में पढ़ा करते थे.

एक समय रविदास जी और शारदानंद जी का लड़का दोनों एक खेल खेल रहे थे कि तभी अंधेरा हो जाता है और वह अपने-अपने घर चले जाते हैं जब सुबह होती है तो रविदास जी को पता चलता है कि उनका दोस्त मृत्यु को प्राप्त हो चुका होता है वह अपने दोस्त के पास जाते हैं और बहुत सारे लोगों के बीच में उपस्थित होकर अपने दोस्त से कहते हैं कि चल खेल खेलते हैं ऐसा सुनकर उनका मृत दोस्त एकदम से खड़ा हो जाता है और उनके साथ खेलने लगता है

यह सब देखकर चारों तरफ इस बात की चर्चा होने लगती है और लोग बहुत ही अचंभित हो जाते हैं इस तरह से बहुत से कार्य संत रविदास जी ने ऐसे किये की जिसे जानकर हम बहुत ही अचंभित होते हैं.संत रविदास जी धीरे धीरे बड़े हो गये और ईश्वर के प्रति उनकी आस्था निरंतर बढ़ती जाती है वह राम भगवान को अपना सब कुछ समझते हैं वह पंडितो की तरह अपने माथे पर तिलक लगाते हैं और उनकी तरह कपड़े पहनने लगते हैं.

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जब समाज के उच्च वर्ग और पंडितों को यह बात पता लगती है कि एक निम्न वर्ग का व्यक्ति पंडितों की तरह कृत्य करता है तो उन्हें यह बात बहुत बुरी लगती है और वह उनकी शिकायत करने के लिए सभी एकत्रित होकर वहां के राजा से कह देते हैं लेकिन जब सभी की शिकायत सुनकर वहां पर बहुत सारे लोग उपस्थित होते हैं तभी संत रविदास जी राजा को बताते हैं कि भगवान ने हमें एक दिल,लाल खून,दो हाथ,दो पैर समान दिए हैं फिर हम इंसान अलग-अलग कैसे हैं.

हम एक समान है और संत रविदास जी कुछ ऐसा चमत्कार करते हैं कि लोग उन्हें ईश्वर के बराबर समझने लगते हैं और वहां के राजा को पछतावा होता है और वह गुरु रविदास जी से माफी मांगते हैं रविदास जी उन्हें माफ कर देते हैं इस तरह से संत रविदास जी जाति,धर्म के भेदभाव के खिलाफ लोगों को एकता का पाठ पड़ाते है और ईश्वर भक्ति की ओर विशेष ध्यान देने को कहते हैं.

संत रविदास जी ने अपनी बहुत सी रचनाओं में भी यह सब कहा है संत रविदास जी मीराबाई के भी गुरु हैं मीरा बाई जी ने अपने परिवार की सहमति से संत रविदास जी को अपना गुरु मान लिया था संत रविदास जी लगातार समाज को सुधारने के कार्य करते चले गए और लोग हमेशा उनके कार्यों से प्रेरित होकर उनसे जुड़ते चले गए और धीरे-धीरे हर एक इंसान उन्हें भगवान के समान मान कर उनका सम्मान करने लगा.
लेकिन कहते हैं एक इंसान अगर कुछ अच्छा करता है तो बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो उनको किसी तरह से समाज से दूर कर के अपनी जगह समाज में बनाने की कोशिश करते हैं यही संत रविदास जी के साथ हुआ था एक समय की बात है कि कुछ लोगों ने संत रविदास जी को मारने की योजना भी बनाई और गांव से दूर एक आयोजन रखा गया जिसमें संत रविदास जी को बुलाया गया लेकिन संत रविदास जी पहले ही समझ चुके थे.संत रविदास जी ने सभा का शुभारंभ किया लेकिन संत रविदास जी की जगह उन लोगों का एक साथी मारा गया और संत रविदास जी बच गए.

कहते हैं की गुरु रविदास जी की मृत्यु स्वेक्षा से हुई थी.उन्होंने स्वेच्छा से अपने शरीर को त्याग दिया था.बहुत सी जगह संत रविदास जी को याद करने की वजह से उनके नाम के स्मारक बनाए गए संत रविदास जी को हर साल उनकी जयंती पर लोग याद करते हैं बहुत से समारोह उनकी याद में आयोजित किए जाते हैं.संत रविदास जैसा महान संत कभी कबार ही इस धरती पर जन्म लेता है हम भी आपसे उम्मीद करते हैं कि संत रविदास जी की जयंती पर आप भी धर्म,जाती,भाषा आदि के भेदभाव से दूर रहें और एक अच्छा इंसान बने और ईश्वरवादी बने और हमेशा अच्छे कर्म करते चलें तभी हम जीवन में कुछ कर सकते हैं.

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