बेटे की माफ़ी पर कहानी Forgiveness story in hindi
Forgiveness story in hindi
दोस्तों कैसे हैं आप सभी, आज की हमारी कहानी आप सभी को बहुत कुछ सिखाने वाली है ये छोटी सी कहानी आपको जिंदगी में सही तरह से रहना,सही तरह से व्यवहार करना सिखाएगी आपको अपने आपको बदलना सिखाएगी तो चलिए पढ़ते हैं हमारी आज की इस कहानी को
राधेश्याम एक 10 साल का लड़का था वह अपने माता-पिता के साथ एक गांव में रहता था राधेश्याम के पिता एक सरकारी कर्मचारी थे उनकी अच्छी खासी नौकरी थी कोई भी किसी भी प्रकार की कमी नहीं थी. राधेश्याम ने दसवीं तक पढ़ाई अपने गांव से ही की उसके बाद वह पढ़ाई करने के लिए शहर चला गया शहर में वह अकेले ही रहता था.
वह कुछ लोगों की संगति में दिना दिन बिगड़ता ही गया.कुछ दिनों बाद जब उसकी उम्र ज्यादा हुई तो मां-बाप ने उसकी शादी कर दी और वह अपनी बीवी के साथ गांव पर ही रहने लगा.कुछ दिनों तक तो ठीक चला लेकिन वह लगातार अपने मां बाप से झगड़ा करता था
कभी-कभी तो उसका अपने पिता से बहुत तेजी से झगड़ा होता था कुछ दिनों बाद इस रोज रोज के झगड़े को देखकर उसके माता-पिता ने अलग रहना ही उचित समझा वह एक अलग कमरे में रहते और अलग खाना बनाते लेकिन यह क्या जिस वजह से वह अलग हुए थे वह वजह खत्म नहीं हुई बल्कि झगड़ा और भी तेजी से होने लगा.
धीरे धीरे ऐसे ही दिन व्यतीत होते रहे राधेश्याम के माता पिता उस घर से कुछ दूरी पर एक किराए के कमरे में रहने लगे उनके पास कुछ भी कमी नहीं थी लेकिन राधेश्याम जो काम करता था वहाँ से उसे निकाल दिया गया अब उसकी कुछ भी आमदनी नहीं होती थी वह इधर उधर काम की तलाश में घूमता था उसके सिर पर बहुत उधारी थी सब्जी वाला,दूध वाला,दुकानदार इन सभी के पास उसकी उधारी थी वह रोज रोज की उधारी की बातें सुन सुनकर परेशान था उसकी पत्नी भी अब ताने देने लगी थी कि अब हमारा क्या होगा.
राधेश्याम को कोई भी उपाय नहीं दिखा आखिर में उसने सोचा कि क्यों ना अपने माता-पिता को वापस बुला लिया जाए तो हो सकता है मेरी कुछ मदद हो जाए.ये सोचकर वह एक दिन अपनी बीवी और बच्चों के साथ माता पिता के घर जा पहुंचा और उनसे अपने किए हुए व्यवहार के बारे में माफी मांगी वह काफी देर तक माफी मांगता रहा आखिर उसके पिता को उस पर दया आ ही गई और उन्होंने राधेश्याम को माफ कर दिया और फिर राधेश्याम के माता पिता उसके साथ चलकर एक ही साथ मिलजुल कर रहने लगे क्योंकि राधेश्याम को अपने किए हुए भूल का पछतावा हो चुका था उसने अपने माता-पिता से माफी मांग ली थी.
दोस्तों हमें अपने बड़े बुजुर्गों का मान सम्मान करना चाहिए कभी भी अगर गलती हो तो माफी मांगना जरूर चाहिए तभी हम जीवन में सुखी रह सकते हैं क्योंकि मिलजुल कर रहने में ही भलाई है अगर कभी मुसीबत आते तो एक दूसरे का सहयोग मिल जाता है.माँ बाप को भी चाहिए कि अपने बच्चों के माफी मांगने पर उन्हें माफ करदे.
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