श्रीनिवास रामानुजन पर निबंध Essay on srinivasa ramanujan in hindi
Essay on srinivasa ramanujan in hindi
आज हम बात करने वाले हैं श्रीनिवास रामानुजन के बारे में जो एक महान गणितज्ञ थे इन्होने अपने जीवन में गणित के क्षेत्र में सफलता हासिल की । हम बात कर रहे हैं श्रीनिवास रामानुजन के बारे में जिनका जन्म 22 दिसंबर 1887 को गुजरात में हुआ । इनकी माता कोमलतामम्ल और पिता श्रीनिवास अय्यंगर थे । हम बात करते हैं उनके पिताजी के बारे में जो एक साड़ी की दुकान पर क्लर्क के रूप में कार्य करते थे ।
श्रीनिवास रामानुजन जन्म से ही अच्छे स्वभाव के व्यक्ति थे और उनके माता-पिता इनको बहुत प्रेम करते थे । उनकी माता ने पहले दो बच्चों को जन्म दिया था और उनकी बचपन में ही मृत्यु हो गई ,जिससे उनकी मां टूट गई. श्रीनिवास रामानुजन की मा इनसे बहुत ज्यादा प्यार करती थीं । श्रीनिवास रामानुजन अपनी मां से जो भी मांग करते थे वह उनको मिल जाता था । उनके पिता भी उनकी हर जरूरतों को पूरा करते थे जिससे उनका बालक खुश रहे ।
श्रीनिवास रामानुजन बचपन से ही अपने माता पिता की बात को मानते थे और उनके बताए गए रास्तों पर चलते थे । श्री रामानुजन के माता पिता उनको यही बात सिखाते थे की शिक्षा के बिना कुछ भी हम इस दुनिया में हासिल नहीं कर सकते और वह शिक्षा से अपनी जिंदगी बनाने लगे, वह एक अच्छे इंसान बने. एक अच्छे इंसान बनने के साथ साथ एक अच्छे बेटा भी बने । श्रीनिवास रामानुजन जी ने अपने परिवार का नाम रोशन किया और अपने देश का भी नाम रोशन किया । इनके पिताजी को इतना समय नहीं मिल पाता था की उनको पढ़ा या संभाल सकें , लेकिन उनकी माता ने उनको संभाला ।
श्रीनिवास रामानुजन को बचपन में स्कूल जाना पसंद नहीं था । जिसके कारण उनके पिताजी ने दो नौकर भी रखे जो उनको स्कूल छोड़ने जाया करते थे । धीरे – धीरे वह बढ़े हुए और अपनी जिम्मेदारी समझकर स्कूल जाने लगे । 1930 में उन्होंने मैट्रिक पास की, मैट्रिक पास करने के बाद वह 12वीं की परीक्षा में फेल हो गए । जिसके कारण वह पूरी तरह से टूट गए लेकिन उन्होंने मेहनत करना बंद नहीं किया वो प्रयास करते रहे क्योंकि उनके माता-पिता उनको कहते थे की आप कर्म करो चाहे सफलता मिले या असफलता ।
अगर आपको असफलता मिली है, तो उसमे आपकी कोई कमी रह गई होगी बस आपको उस कमी को पूरा करना है । इसके बाद उन्होंने फिर पढ़ाई की फिर भी उनको 12वीं कक्षा में सफलता नहीं मिल सकी उन्होंने फिर से मेहनत करने के बाद 12वीं कक्षा पास की ।
उन्हीं के मकान में 2 विद्यार्थी रहते थे जिनसे वे गणित सीखने लगे और गणित के क्षेत्र में उनका दिमाग काम करने लगा । उसके बाद उनकी मुलाकात इंग्लैंड के प्रसिद्ध गणितज्ञ डॉक्टर हार्डी से हुई , जिससे वे गणित सीखने लगे. डॉक्टर हार्डी का कहना था, कि मैं श्रीनिवास रामानुजन को जितना सिखाता था उससे कई ज्यादा मैं उससे सीखता था । फिर सन 1903 में उनका विवाह जानकी देवी से कर दिया गया । उसके बाद वह अपनी घरेलू जिंदगी जीने लगे । श्रीनिवास रामानुजन एक महान गणितज्ञ बन गए इन्होंने गणित के लिए कई अध्ययन किए जैसे कि अंकगणित, ज्योमिती और फिर बीजगणित के विषय में अध्ययन किया और सफलता हासिल की ।
श्रीनिवास रामानुजन का पहला निबंध 1922 में प्रकाशित हुआ जब उनकी 23 वर्ष की आयु थी । उन्होंने गणित के क्षेत्र में कई अध्ययन किए और उन्होंने सफलता हासिल की । सन 1916 को उन्होंने बी . ए पास किया और बी . ए. पास करने के साथ-साथ वह अपनी पारिवारिक जिंदगी को भी संभालते थे । 33 वर्ष की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई उनकी मृत्यु 26 अप्रैल 1920 को हो गई थी जब वे 33 साल के थे ।
वास्तव में ऐसे महान गणितग्य हमें हमेशा याद रहेंगे.
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