अगर बचपन लौट आए पर निबंध Agar bachpan laut aaye essay in hindi

Agar bachpan laut aaye essay in hindi

दोस्तों अगर मेरा बचपन लौट आए पर लिखा हमारा ये निबंध आपको जरूर ही आपके बचपन की याद दिला देगा। हमारे आज के इस निबंध से आप इस विषय पर निबंध लिखने के लिए अच्छी जानकारी पा सकते हैं चलिए पढ़ते हैं आज के इस निबंध को

Agar bachpan laut aaye essay in hindi
Agar bachpan laut aaye essay in hindi

अगर बचपन लौट आए तो कितना अच्छा हो मैं वो सभी काम कर पाऊंगा जो मैंने मेरे बचपन में नहीं किये है।

कभी-कभी मैं सोचता हूं कि काश ऐसा कोई रास्ता होता कि मैं पल भर में अपने बचपन में पहुंच जाऊँ और अपने जीवन मे खुश रहु। मेरे बचपन में मैं बहुत शरारती था मुझे बिल्कुल भी समझ नहीं थी में अपने शिक्षकों से बहुत डरता था में स्कूल भी कम जाता था अगर बचपन लौट आए तो मैं पढ़ाई की ओर विशेष ध्यान दूंगा क्योंकि एक इंसान के जीवन में शिक्षा सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है यह इंसान को इंसान बनाती है लेकिन जैसे जैसे मैं बड़ा होता गया मुझे शिक्षा का महत्व समझ में आने लगा।

ज्यादातर बच्चे अपने स्कूल जाने से डरते हैं मेरा भी ऐसा ही हाल था। बच्चों को खेलना बहुत पसंद होता है और मुझे खेलना भी बहुत पसंद था कभी-कभी तो मैं दिन दिन भर खेला करता था वास्तव में खेलना बच्चों के लिए जरूरी है लेकिन बहुत ज्यादा खेलना सही नहीं है पर मैं इस बात को नहीं समझता था कभी-कभी मैं खेलने में ज्यादा समय लगाता था जब भी मेरे माता-पिता कहीं बाहर जाते थे तो मैं बिल्कुल भी पढ़ाई नहीं करता था। में दिन दिनभर खेलता रहता था अगर मेरा बचपन लौट आए तो में इसमें सुधार करना चाहूंगा।

बचपन की कुछ यादें होती हैं जो हमेशा हमें याद रहती है जब भी मैं किसी दिन अपने स्कूल में कुछ तैयारी करके नहीं जाता था तो अध्यापक हमें डांटते थे तो कभी कभी मैं अध्यापकों के डर से कांपने भी लग जाता था मेरे दोस्त मुझे देखकर हंसने लग जाते थे मुझे स्कूल जाने में एक दर्द का एहसास होता है। ज्यादातर बच्चों को क्रिकेट खेलना बहुत पसंद है लेकिन मुझे क्रिकेट से ज्यादा फुटबॉल खेलना पसंद है अगर बचपन लौट आए तो मैं क्रिकेट बहुत खेलना चाहूंगा क्योंकि जैसे जैसे मैं बड़ा होता गया वैसे वैसे क्रिकेट में मेरा मन और होने लगा और मैं खेलने लगा।

आज जब भी टीवी पर मैच आता है तो मैं जरूर देखता हूं। बचपन मे में दादी की कहानियां सुनना था ये मुझे बेहद पसंद था अगर बचपन लौट आए तो मैं उसी पल को एक बार और जीना चाहूंगा। जब हम बड़े हो जाते हैं तो हमें किस्से कोई नहीं सुनाता क्योंकि हम बड़े हो जाते हैं लेकिन दादी बचपन में मुझे कहानियां सुनाती थी।

में जब छोटा था तब मेरे पिताजी मुझे रोज मंदिर ले जाते थे मैं सुबह जल्दी जागता और पिताजी के साथ रोजाना मंदिर जाकर भगवान की पूजा करता था लेकिन जैसे जैसे मैं बड़ा होता गया तब मेने मंदिर जाना भी बन्द कर दिया। अब में कभी कबार ही मंदिर जा पाता हूं कभी-कभी मैं सोचता हूं अगर बचपन के दिन दोबारा आ जाते तो मैं फिर से अपने पिताजी की उंगली पकड़कर मंदिर जाया करता। बचपन की यादें हमेशा मुझे याद आती है मेरा खेलना, मेरा शरारते करना आज जब भी मुझे याद आता है तो मैं उन दिनों में वापस जाना चाहता हूं।

हमारे घर पर एक गाय थी जिसके बच्चे थे उसके बच्चे मुझे बेहद पसंद है में अच्छी तरह से उनकी देखभाल करता था आज कल जहां हम शहरी इलाकों में रहते हैं तो सिर्फ गाय और गाय के बच्चों को देख पाते हैं मेरे बचपन की तरह मैं चाहूंगा कि मैं भी एक गाय की सेवा करू। वास्तव में अगर मेरा बचपन लौट आए तो मैं और भी कुछ अच्छा करना चाहूंगा।

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