चीन में रूसी विस्तार पर निबंध Essay on russian expansion in china in hindi
Essay on russian expansion in china in hindi
Russian expansion in china – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से चीन में रूसी विस्तार पर लिखे निबंध के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर चीन में रूसी विस्तार पर लिखें निबंध के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं ।
चीन में रुसी विस्तार के बारे में – चीन और रूस यह दो एक ऐसे देश हैं जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आपसी सहमति व्यक्त करते हैं । यदि चीन और रूस के संबंधों की बात करें तो शीत युद्ध के बाद दोनों के संबंधों में काफी बदलाव देखा गया है । जब 1991 में शीत युद्ध का अंत हुआ तब सभी देशों का यह सोचना था कि अब रुस और चीन के रणनीतिक , आर्थिक , सैन्य संबंध कैसे होंगे । दोनों देशों ने अपनी आर्थिक व्यवस्था के सुधार के लिए संबंधों को मजबूत किया है । अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दोनों देश एक ही सहमति जताते हैं । दोनों देशो ने 400 किलोमीटर से ज्यादा की सीमा विवाद पर समझौता किया है ।
दमेंस्की द्वीप को लेकर दोनों देशों के बीच 1968 से चल रहे विवाद को लेकर दोनों देशों की सहमति से समझौते की पहल पर मोहर लगी थी । समझौते के तहत यह हिस्सा चीन के पास है । चीन में रूसी विस्तार काफी हुआ है क्योंकि दोनों देश यह जानते हैं कि एक दूसरे के बिना वह अपने देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत नहीं कर सकते हैं । शीत युद्ध के बाद चीन और रूस ने 1996 में दोनों देशों की दोस्ती को मजबूत करने के लिए शंघाई 5 नाम का एक संगठन दोनों देशों की सहमति से बनाया गया था । जिस संगठन को बाद में और मजबूत करने के लिए शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन नाम का एक संगठन घोषित किया गया था । जिस संगठन के तहत दोनों देशों के द्वारा सीमा विवाद को सुलझाया गया था ।
जब सोवियत संघ का पतन हो गया था तब रूस की आर्थिक स्थिति बहुत ही दयनीय और कमजोर हो गई थी । जिसके बाद मॉस्को में आयोजित किया गया अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में बदलाव करने के विचार से रूस के विदेश मंत्री ने यह कहा था कि दोनों के बीच संबंधों को मजबूत करना बहुत ही जरूरी है और यह संबंध मजबूत तब होंगे जब दोनों देश खुली आंखों से एक दूसरे का सहारा बनेंगे । जब अमेरिका के द्वारा चीन के खिलाफ ट्रैड वॉर शुरू किया गया तब चीन और अमेरिका के बीच संबंधों का विवाद होना शुरू हो गया था । इसके बाद अमेरिका के द्वारा रूस के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए गए थे ।
जब रूस के खिलाफ अमेरिका के द्वारा आर्थिक प्रतिबंध लगाए गए थे तब चीन और रूस दोनों देश एक साथ खड़े हुए और दोनों की दोस्ती को एक नया आयाम प्राप्त हुआ था । यदि हम पिछले समय की बात करें तो पिछले समय में चीन और रूस के बीच 1960 और 1970 के दशक में सीमा को लेकर लड़ाई भी हो चुकी है । यदि हम आज के समय की बात करें तो रूस और चीन दोनों के बीच रणनीतिक साझेदारी बढ़ चुकी है । चीन में रूसी विस्तार काफी बढ़ गया है । दोनों देशों की मित्रता बढ़ गई है ।
दूसरे विश्वयुद्ध के बाद रूस और चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में किसी भी विवाद पर की गई चर्चा में दोनों देशों के द्वारा अमेरिका एवं उसके सहयोगियों के खिलाफ एक साथ मिलकर वीटो पावर का उपयोग किया है क्योंकि अमेरिका के रूस और चीन दोनों के साथ संबंध बिगड़ चुके है । रुस और चीन दोनों देशों के बीच हुए संबंधों से भारत को भी काफी खतरा है क्योंकि चीन पाकिस्तान का सहयोग करता है । यदि रुस चीन के साथ अपने संबंध मजबूत करता गया तो भारत और रूस के संबंधों में काफी कड़वाहट देखी जाएगी ।
भारत और रूस के बीच संबंधों मजबूत थे । परंतु चीन और रूस के संबंधों के बढ़ने के कारण रूस और भारत के बीच दूरियां होती जा रही हैं ।चीन में रूसी विस्तार बढ़ता जा रहा है जिससे चीन और रूस की दोस्ती मजबूत होती जा रही है । आज रूस का सबसे बड़ा साझीदार , कारोबारी देश चीन है । हालांकि रूस देश चीन से आयात काफी कम मात्रा में करता है लेकिन चीन के बारे में ऐसा कहा जाता है कि चीन रूस से व्यापक पैमाने पर आयात करता है । चीन रूस से कच्चा माल आयात करता है , चीन रूस से हथियार की खरीदी भी करता है । जब से चीन और रूस के आर्थिक संबंधों में गहराई हुई है तब से भारत के संबंध रुस के साथ कम हुए हैं ।
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