कबीरदास पर निबन्ध Essay on kabir das in hindi
Essay on kabir das in hindi
दोस्तों आज हम इस लेख के माध्यम से कबीरदास पर लिखे इस निबंध को पढ़ेंगे । चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़ते हैं । कबीरदास हमारे भारत देश के सबसे महान और प्रतिष्ठित लेखक हैं । जिनकी रचना को पढ़कर हमने अपने जीवन को एक दिशा दी है । कबीरदास जी की रचनाएं जीवन को जीने का तरीका सिखाती हैं ।
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कबीरदास जी का जन्म 1398 ईस्वी को काशी में हुआ था । इनके जन्म के बारे में बात करें तो ऐसा कहा जाता है कि एक विधवा ब्राह्मणी की कोख से इनका जन्म हुआ था । जिसने समाज की यातना से बचने के लिए कबीरदास जी को लहरतारा नामक तालाब के पास फेंक दिया था । जिस समय कबीरदास जी को लहरतारा नामक तालाब के किनारे फेंका था उस समय वहां से नीरू एवं नीमा नामक जुलाहा दंपत्ति निकल रहे थे । जब उन्होंने बच्चे के रोने की आवाज सुनी तब वह वहां पर पहुंचे ।
नीरू एवं नीमा जुलाहा बच्चे को उठाकर घर पर ले आए और उसका पालन पोषण किया । कबीरदास जी जब बड़े हुए तब वह जुलाहे का काम करते थे । वह बहुत होशियार एवं शक्तिशाली थे । उनको शिक्षा प्राप्त करने की उचित व्यवस्थाएं प्राप्त नहीं हुई थी लेकिन जुलाहे का काम करने के साथ-साथ वह साधु संतों के साथ बैठा करते थे ।साधु संतों के माध्यम से उनको ज्ञान प्राप्त हुआ । इसके बाद वह कई राज्यों पर साधु-संतों के साथ घूमने लगे जिससे उनको ज्ञान प्राप्त हुआ ।
इसके बाद वह रचनाएं लिखने लगे थे । जहां पर भी वह जाते थे वहां की हालत देखकर उसके बारे में लिखना प्रारंभ कर देते थे । कई यात्राएं कबीर दास जी के द्वारा की गई हैं । कबीर दास जी के दोहे आज भी बहुत अच्छे लगते हैं । उनके दोहो में जीवन का सार छुपा हुआ है । उनके दोहे मीठे लगते हैं , सुनने में आनंद आता है । आज हम सभी को कबीरदास जी की कमी महसूस होती है । कबीरदास जी का विवाह लोई नामक लड़की से हुआ था और लोई के माध्यम से कबीर दास जी का एक पुत्र था जिसका नाम कमाल था ।
एक पुत्री थी जिसका नाम कमाली था । कबीर दास जी का निधन लगभग 1495 ईसवी पूर्व में हुआ था । जब कबीरदास जी का निधन हुआ था तब उनके पुत्र एवं कई शिष्यों ने मिलकर कबीर दास जी के द्वारा लिखी गई रचनाएं एवं कविताओं को बीजक नाम से संग्रहित किया था । बीजक को तीन भागों में विभाजित किया गया था साखी , सबद और रमैनी । कुछ समय बीत जाने के बाद कबीरदास जी के द्वारा लिखी गई रचनाओं को कबीर ग्रंथावली नाम से संग्रहित किया गया था और आज भी उनकी रचनाएं कबीर ग्रंथावली के नाम से संग्रहित हैं ।
कबीरदास जी कई भाषाओं में अपनी रचनाओं को सुनाते एवं लिखते थे । कबीर दास जी की भाषाएं अवधि , ब्रज , पंजाबी , फारसी , राजस्थानी , अरबी आदि भाषाओं में कबीर दास जी की रचनाएं है । कबीरदास की रचनाओं को पढ़कर हम आनंद प्राप्त करते हैं । कई दोहे एवं कविताएं कबीरदास जी के द्वारा लिखी गई हैं जिन को पढ़कर हमें अपने जीवन में आनंद की अनुभूति होती है । कबीरदास जी को साधु संतों के द्वारा ज्ञान प्राप्त हुआ और उन्होंने कई राज्यों में घूमकर ज्ञान प्राप्त करके पूरा ज्ञान कविताओं , रचनाओं में संग्रहित कर दिया था ।
आज जब हम अपने जीवन में आनंद की अनुभूति करते हैं तब कबीरदास जी के द्वारा लिखी गई रचनाएं सुनकर , पढ़कर हमें बड़ा ही आनंद आता है । कबीर दास जी हमारे भारत देश के महान रचनाकार थे । जिनकी रचनाओं को आज भी देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी पसंद किया जाता है ।
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