डर पर निबंध Essay on fear in hindi

Essay on fear in hindi

Fear – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से डर के बारे में बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और डर पर लिखे आर्टिकल को पढ़कर डर के बारे में जानते हैं ।

Essay on fear in hindi
Essay on fear in hindi

डर के बारे में – डर मनुष्य एवं जानवरों में उत्पन्न होने वाली एक भावना है । जिसे नकारात्मक भावना कहते हैं ।डर मनुष्य की भावना से उत्पन्न होता है । डर मनुष्य के मस्तिष्क पर हावी हो जाता है । जब किसी व्यक्ति को डर या भय होता है तब उस समय एक खतरे की आशंका होती है । डर के कारण मनुष्य के शरीर का परिवर्तन हो जाता है । डर सबसे ज्यादा मनुष्य के मस्तिष्क पर हावी होता है । जिसके कारण मनुष्य को बेचैनी होने लगती है ।जब कोई व्यक्ति पहली बार गाड़ी चलाना सीखता है तब उसे यह डर लगता है कि वह गाड़ी से गिर ना जाए ।

आज डर ने मनुष्य को जकड़ कर रखा है । डर के कारण मनुष्य अपनी सोच को आगे नहीं बढ़ने देता है । एक व्यक्ति को भय किसी दूसरे व्यक्ति एवं किसी वस्तु के कारण उत्पन्न होता है । डर या भय मनुष्य को आने वाली घटना के कारण पैदा होता है जो मनुष्य के शारीरिक जीवन पर प्रभाव डालता है । जब किसी व्यक्ति को भय होता है या डर होता है तब वह व्यक्ति बहुत अधिक परेशान रहता है और वह व्यक्ति डर के कारण किसी दूसरे व्यक्ति से  बातचीत  करने  से  घबराता  है ।

डर या भय किसी भी समय उत्पन्न हो सकता है । एक बार में अपने घर से बस में बैठकर इंदौर जा रहा था तभी मैंने एक न्यूज़ पेपर मे यह पढ़ा की एक बस का एक्सीडेंट हो गया है और उस एक्सीडेंट में काफी लोगों की जान चली गई है । 1 सेकंड तक मेरे अंदर यह भय उत्पन्न हुआ कि यदि मेरी बस का एक्सीडेंट हो गया तो मेरी जान जा सकती है । उस समय भय मेरे मस्तक पर हावी हो रहा था । भय उत्पन्न होने में ज्यादा समय नहीं लगता है । जब मनुष्य के अंदर डर उत्पन्न हो जाता है तब वह आगे बढ़ने में अपने आप को कमजोर महसूस करता है ।

जब मैंने अखबार में यह पड़ा कि बस का एक्सीडेंट हो गया है तब मेरे अंदर भय उत्पन्न हो रहा था । मैंने हिम्मत दिखाई और डर को हावी नहीं होने दिया और मैं इंदौर जाने के लिए बस में सवार हो गया था ।  इस तरह से मनुष्य की भावनाओं में भय की उत्पत्ति होती है । एक तरह की मनुष्य के अंदर नकारात्मक सोच उत्पन्न होती है और वह सोचने समझने लगता है । जिस समय डर हमारे अंदर जागृत हो उसी समय हमें अपना ध्यान कहीं और केंद्रित कर लेना चाहिए । यही डर को समाप्त करने का सबसे बड़ा उपाय है ।

जब एक बार डर हमारे अंदर उत्पन्न हो जाता है तब हम उस डर के शिकंजे में पूरी तरह से फंस जाते हैं और हमें असफलता , दुर्घटना का भय लगने लगता है । जब मैं पढ़ाई करता था तब मुझे फेल होने का भय होता था । मैंने  12वीं क्लास की परीक्षा दी थी । परीक्षा देने के बाद जब परीक्षा का परिणाम घोषित किया जाना था तब मुझे डर सा लगने लगा था । मुझे यह डर लगने लगा था कि मैं फैल ना हो जाऊं । मुझे डर लगने लगा था कि मेरी परसेंटेज कम ना बने ।

इस तरह से परीक्षा में फेल या रैंक बनने का डर हर विद्यार्थी को होता है । डर को मिटाने के लिए पूरी शक्ति के साथ डर से लड़ना होता है । जब पूरी शक्ति के साथ व्यक्ति अपने डर से लड़ता है तब जाकर के डर हमारे अंदर से नष्ट होता है । क्रोध डर का सबसे बड़ा कारण होता है । यदि कोई व्यक्ति अधिक क्रोध करता है तो उस व्यक्ति पर डर बहुत जल्दी अपना घर बना लेता है और उस व्यक्ति को अपने शिकंजे में ले लेता है । वह व्यक्ति हमेशा डरा  हुआ रहता है जिसके कारण उसके शरीर मे शारीरिक परिवर्तन होते हैं और वह व्यक्ति बड़े बड़े फैसले लेने से डरता है ।

कभी भी वह सफलता की ओर अपने कदम नहीं बढ़ा पाता है । एक व्यक्ति के पीछे दो कुत्ते पड़ जाते हैं और उस व्यक्ति को  डर लगता है । उस व्यक्ति के अंदर यह भय उत्पन्न हो जाता है कि यह कुत्ते उसे काट ना लें । वह व्यक्ति के दिमाग में एक बात बैठ जाती है और वह बात यह है कि यदि कुत्ते  ने मुझे काट लिया तो मुझे इंजेक्शन लगवाने होंगे । इस तरह का भय उस व्यक्ति के अंदर उत्पन्न हुआ और वह कुत्तों से बचने के लिए भागने लगता है । इसलिए मैं कहता हूं कि भय किसी भी समय , किसी भी घटना के कारण उत्पन्न हो सकता है ।

जब भय हमारे ऊपर हावी होने लगे तब उस भय से डटकर सामना करना चाहिए । यही भय को समाप्त करने का सबसे बड़ा उपाय है ।

भय से खतरे की आशंका के बारे में – जब किसी व्यक्ति को किसी तरह के खतरे की आशंका होती है तब उसके अंदर एक भय उत्पन्न हो जाता है और उस भय के कारण वह व्यक्ति अपने आप को कमजोर महसूस करने लगता है । भय के कारण कई तरह की आशंका हमारे दिमाग में आने लगती हैं और हम उस घटना की आशंका के बारे में सोचते रहते हैं । सोचते सोचते ही हमारे अंदर भय उत्पन्न हो जाता है और वह भय हमारे शारीरिक प्रक्रियाओं को परिवर्तित कर देता है , हम डरने लगते । भय के कारण हम अपने आप को डर के माया जाल में फंसा लेते है ।

एक बार मैंने एक व्यक्ति को एक लाख रुपैया दिया था । रुपए देने के बाद जब सही समय पर उस व्यक्ति ने मेरे रुपए वापस नहीं किए तब मुझे एक प्रकार का भय लगने लगा था कि वह व्यक्ति मेरे रुपयों को लौटाने  से मना ना कर दे । जिसके कारण मैं डरने लगा था । मेरे अंदर भय की उत्पत्ति हो गई थी क्योंकि मैं डर रहा था । मुझे ऐसा लग रहा था कि व्यक्ति मेरे पैसे नहीं लौटाएगांं । हम अपनी सोच से जिसे नकारा नकारात्मक सोच कहते हैं उस सोच से डर की उत्पत्ति करते हैं । जब हम किसी भी तरह का नया बिजनेस करते हैं तब हमारे अंदर एक भय उत्पन्न होता है क्योंकि हम एक नया बिजनेस कर रहे हैं ।

जिसका अनुभव हमारे पास नहीं है । हमें आशंका होती है की यदि हम उस बिजनेस में सफल नहीं हुए तो काफी पैसों का नुकसान हमें भुगतना पड़ेगा । जब हम कोई बिजनेस करें तब हमारे अंदर उत्पन्न होने बाली नकारात्मक सोच को समाप्त करना चाहिए । यदि हमने हमारे अंदर उत्पन्न  होनी बाले  भय को समाप्त नहीं किया तो हमें काफी नुकसान झेलना पड़ सकता है । जब हमारे अंदर यह ख्याल आने लगे कि हमें इस बिजनेस से नुकसान हो सकता है तब हमें यह सोचना चाहिए कि फायदा भी हो सकता है ।

यदि हम मेहनत करें तो इस बिजनेस में हम सफल हो सकते हैं । कई सारे लोग असफलता के डर के कारण सफलता की ओर नहीं बढ़ पाते हैं । सफलता की ओर अपने कदम बढ़ाने से डरते हैं । जिसके कारण वह जहां खड़े हुए होते हैं वह वही पर खड़े हुए रह जाते हैं । वह अपने जीवन को सफलता की ऊंचाई पर नहीं पहुंचा पाते हैं । डर ही असफलता का कारण है । यदि सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो डर पर विजय प्राप्त करना पड़ेगी ।

दुनिया में वही लोग सफल होते हैं जो डर पर विजय प्राप्त कर लेते हैं । हम अपने शुरुआती जीवन काल से लेकर अपने पूरे जीवन में कई कार्य करते हैं और कई बार हमारे सामने डर उत्पन्न होता है जिस पर हम विजय प्राप्त करने की कोशिश करते हैं । जो व्यक्ति आशंका को मान लेता है वह कभी आगे नहीं बढ़ पाता है । जैसे कि हम जानते हैं कि हम जो सोचते हैं 90 परसेंट वही घटना हमारे साथ घटती है । इसीलिए नकारात्मक सोच रखने वाले व्यक्ति के अंदर  डर की उत्पत्ति बहुत जल्दी हो जाती है और वह डर या भय से नहीं लड़ पाता है ।

मानव प्रजाति पर डर  के कारण कई दुष्प्रभाव होते हैं । वह अपने आप को एक सफल व्यक्ति बनाने में असमर्थ रहता है । मानव प्रजाति के द्वारा अनुभव किया जाने वाला डर  या  भय बहुत ही भयानक होता है ।

डर या भय के कारण व्यक्ति में परिवर्तन – डर एवं भय के कारण व्यक्ति के अंदर कई तरह तरह के परिवर्तन देखने को मिलते है क्योंकि वह व्यक्ति डरा हुआ होता है । डरे हुए व्यक्ति के बोलने , उठने , बैठने के तौर-तरीके बदल जाते हैं । वह जब किसी व्यक्ति से बातचीत करता है तो उसके बातचीत करने में भी बदलाव देखा जाता है । कई तरह के परिवर्तन वह अपने अंदर डर के कारण कर लेता है । डरा हुआ चेहरा उसका बहुत अजीब तरह का लगता है । इस तरह से डर के कारण व्यक्ति के हाव-भाव , बोलचाल में परिवर्तन आता है । भय के कारण एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति से बातचीत करने में डर लगता है ।

डर या भय के प्रकार – डर या भय के निम्न तीन प्रकार होते हैं पहला बुद्धिमान जिस व्यक्ति को अपनी बुद्धि पर पूर्ण विश्वास होता है । जब वह व्यक्ति अपनी बुद्धि की तर्क पर कोई कार्य करता है तब उसे उस कार्य में असफलता मिलने का भय होता है और वह उस कार्य को करते समय डरता है । दूसरा डर अनिश्चितता डर है जिसकी कोई भी सीमा नहीं है । छोटे-छोटे कार्यों को करते समय जो भय उत्पन्न होता है उस भय को अनिश्चितता भय कहते हैं ।तीसरा भय अंधविश्वासी डर ।

जब हम किसी व्यक्ति पर अंधविश्वासी भरोसा कर लेते हैं तब अंधविश्वासी डर उत्पन्न होता है । इस तरह से मानव पर भय हावी होता है । डर के कारण ही व्यक्ति अपने आप में परिवर्तन लाता है । डर मानव प्रवृत्ति का एक दुष्प्रभाव है । इस दुष्प्रभाव से मनुष्य सफलता की ऊंचाई पर नहीं पहुंच सकता है क्योंकि डर ही व्यक्ति को सफल इंसान बनने से रोकता है । जो व्यक्ति डर पर जीत हासिल कर लेता है वह व्यक्ति  डर पर विजय हासिल कर लेता है और वह व्यक्ति एक सफल व्यक्ति बन जाता है ।

इसीलिए डर पर विजय प्राप्त करने के लिए हमें धैर्य और शांति से काम करना चाहिए । जो व्यक्ति अपने डर पर कंट्रोल नहीं कर सकता वह व्यक्ति भय की जंजीरों में जकड़ा रहता है और वह असफलता के मार्ग पर चल पड़ता है । भय व्यक्ति के अंदर छुपा हुआ होता है जो सिर्फ वही व्यक्ति डर या भय का अनुभव कर सकता है जिसके अंदर डर होता है । डर सबसे ज्यादा हमारे सोचने समझने की क्षमता पर विजय पाता है । हम डर के कारण वह काम नहीं करते हैं जिस काम को करने से हमें असफलता का भय होता है ।

कई बार जिस काम को करने से हमें सफलता प्राप्त होनी थी उस काम को हम भय के कारण नहीं करते हैं और हम पीछे रह जाते हैं । पूरी दुनिया में कई लोग भय के कारण सफल इंसान नहीं बन पाए हैं ।

डर या भय के लक्षण – जब किसी व्यक्ति को किसी वस्तु या किसी व्यक्ति से डर या भय होता है तब उस डरे हुए व्यक्ति के कुछ लक्षण इस तरह से दिखाई देते हैं । डरे हुए व्यक्ति में शारीरिक परिवर्तन दिखाई देते हैं । जब किसी व्यक्ति में शारीरिक परिवर्तन दिखाई दे तब यह समझ जाना चाहिए कि वह व्यक्ति किसी बात को लेकर डरा हुआ है । जब किसी व्यक्ति को भय हो तब वह व्यक्ति जोर जोर से सांस लेता है । उस व्यक्ति को बहुत तेज पसीना आता है क्योंकि उस व्यक्ति के अंदर का भय उस व्यक्ति  को चैन की सांस नहीं लेने देता है । जिसके कारण उसको बहुत तेज पसीना आता है ।

उस व्यक्ति की मांसपेशियो मे तनाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है । उसकी आंखें बड़ी-बड़ी दिखाई देती हैं । वह बहुत परेशानी मे  होता है । भय के कारण व्यक्ति की सोचने समझने की शक्ति कमजोर हो जाती है और वह व्यक्ति सही समय पर सही डिसीजन नहीं ले पाता है जिसके कारण उसको असफलता प्राप्त होती है । भय के कारण व्यक्ति का स्वभाव चिड़चिड़ा सा हो जाता है । वह व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से ठीक तरह से बातचीत नहीं करता है , वह रुक रुक कर बातचीत करता है क्योंकि उसके दिमाग पर भय अपना घर बना लेता है ।

वह व्यक्ति भय के कारण  डिप्रेशन में चला जाता है और भी कई तरह की बीमारी उस व्यक्ति को लग जाती है । डर या भय के कारण व्यक्ति को भूख नहीं लगती है । उसका शरीर कमजोर हो जाता है । यदि वह व्यक्ति खाना खाता है तो वह खाना उसके शरीर को नहीं लगता है उसका शरीर कमजोर , पतला दुबला होने लगता है ।

डर पर विजय प्राप्त करने के बारे मे – यदि हम डर पर विजय प्राप्त करना चाहते हैं तो हमें सबसे पहले अपनी सोच को बदलना पड़ेगी । यदि हमारे मन में नकारात्मक भावना जागृत होती है तो हमें सबसे पहले नकारात्मक भावना को सोचना बंद करना होगा और सकारात्मक सोच हमारी बनानी होगी क्योंकि डर का सबसे बड़ा कारण हमारी नकारात्मक सोच होती है । जब हम कोई नया बिजनेस करते हैं तब हमारे अंदर एक डर उत्पन्न होता है कि वह बिजनेस असफल ना हो जाए ।

उस समय हमे हमारे मस्तिष्क पर डर को हावी नहीं होने देना चाहिए । जब हम डर को अपने मस्तिष्क पर हावी नहीं होने देंगे तब हम डर पर विजय प्राप्त कर सकते हैं । उस समय हमें यह सोचना चाहिए कि हम एक नया बिजनेस कर रहे हैं और हमें उस बिजनेस में असफलता प्राप्त होने का डर है यदि हम उस बिजनेस को नहीं करेंगे तो हम एक सफल इंसान नहीं बन सकते हैं । हो सकता है उस बिजनेस में हमें नुकसान का सामना करना पड़े परंतु हम सफल भी हो सकते हैं ।

हम यदि असफल हुए तो हम उस असफलता से नया अनुभव प्राप्त करेंगे और इस अनुभव से हम यह सीखेंगे की असफलता किस कारण हुई है । जब हम किसी वस्तु या किसी व्यक्ति से डरते हैं तब हमें डरना नहीं चाहिए । उस वस्तु या व्यक्ति से डटकर सामना करना चाहिए । हमें यह कोशिश करना चाहिए कि हमारी सोच हर समय सकारात्मक रहे । कभी भी हमें सफलता प्राप्त करने के लिए झूठ का सहारा नहीं लेना चाहिए । जो व्यक्ति हर बात में झूठ बोलता है वह हमेशा डरा हुआ रहता है ।

डर का सबसे बड़ा कारण खुद व्यक्ति ही होता है क्योंकि व्यक्ति के द्वारा ही डर पैदा किया जाता है । किसी व्यक्ति को गाड़ी चलाने में डर उत्पन्न होता है तो किसी व्यक्ति को पेरते समय पानी में डूबने का डर होता है । जो व्यक्ति गाड़ी चलाने से पहले यह सोच ले कि मैं एक इंसान हूं । इस गाड़ी को बनाने वाला इंसान है और यह गाड़ी इंसान के लिए बनाई गई है । मैं इस गाड़ी को चला सकता हूं । मैं गाड़ी चलाते समय  सावधानी का विशेष तौर पर ध्यान रखूंगा ।

जब हम कोई काम करने से पहले यह सोचें कि वह कितना भी बड़ा और मुश्किल काम हो उस काम को हमें सफल बनाना है तब हम उस काम में सफलता अवश्य प्राप्त कर लेते हैं । कभी भी हमें किसी काम को करने से पहले परास्त होने के बारे में नहीं सोचना चाहिए क्योंकि किसी काम को करने के बाद सफलता या असफलता दोनों में से एक अवश्य प्राप्त होती है । यदि हम जिस काम को कर रहे हैं वह काम सही और ठीक तरह से करें तो हमें उस काम में सफलता अवश्य प्राप्त होती है ।

मैंने कई ऐसे लोगों को देखा है जो पहली बार किसी कार्यक्रम की स्टेज पर जाते समय अपने आप को कमजोर समझते हैं । उस व्यक्ति के अंदर भय अपना घर बना लेता है और वह स्टेज पर ठीक तरह से स्पीक नहीं दे पाता है क्योंकि वह ज्यादा से ज्यादा लोगों के सामने बोलने से घबराता है और वह बोल नहीं पाता है । उस समय यदि हम भय पर विजय प्राप्त करना चाहते हैं तो हमें स्टेज पर जाने से पहले आंखें बंद करके यह सोचना चाहिए की हमारे सामने हमारे मित्र बैठे हुए हैं । जिस तरह से हम अपने मित्र से बातचीत करते हैं उसी तरह से हमें स्टेज पर बात करना है ।

जब हम यह सोचेंगे तब हमारे अंदर से डर भाग जाएगा और हम स्टेज पर एक अच्छी स्पीच देने में सफल हो जाएंगे । जब हम किसी भी कक्षा की परीक्षा देने के लिए जाएं तब यदि हमारे अंदर उस परीक्षा को देने में डर लगता है तब हमें यह सोचना चाहिए कि हम परीक्षा पास होने के लिए नहीं दे रहे हैं बल्कि हमारी बुद्धि की परीक्षा के लिए परीक्षा दे रहे हैं । जिससे हमें यह पता चलेगा कि हमें अभी तक कितना ज्ञान प्राप्त हुआ है ।

जब हम परीक्षा देने से पहले यह सोचेंगे तब हमारे अंदर एक सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होगी और भय हमारे अंदर अपना घर नहीं बना पाएगा और हम डर पर जीत हासिल कर लेंगे । जब हमें अपने बड़ों से किसी बात को लेकर डर या भय लगे तब हमें उस भय या डर से बाहर निकलने के लिए अपने बड़ों के पास जाकर पूरी विनम्रता के साथ अपनी गलती की माफी मांग लेना चाहिए । जिससे हमारे अंदर भय समाप्त होगा । ऐसा करने से हम भय या डर पर विजय प्राप्त कर लेते हैं ।

भय से निजात पाने के लिए हमें अपना ध्यान अच्छे कामों मे ही लगाना चाहिए । जो व्यक्ति कभी झूठ नहीं बोलता है , हमेशा सच्चाई के रास्ते पर चलता है उस व्यक्ति पर कभी भी डर या भय हावी नहीं हो पाता है और वह एक सफल इंसान बनता है । यदि हम भी एक सफल इंसान बनना चाहते हैं तो हमेशा सच बोलें और अच्छाई के रास्ते पर चलें । हम भी एक सफल इंसान बन सकते हैं । किसी काम को करने से पहले हमें उस काम की सफलता या असफलता के बारे में नहीं सोचना चाहिए ।

उस समय हमें सिर्फ अपने काम पर पूरा फोकस रखना चाहिए । उस काम को करते समय हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि किसी तरह की कोई गलती हमसे ना हो पाए । जब हम कोई गलती ही नहीं करेंगे तब हमें उस काम में असफलता कैसे प्राप्त होगी । हमें उस समय अपना ध्यान सिर्फ काम की सफलता पर रखना चाहिए और नकारात्मक सोच को उत्पन्न ही नहीं होने देना चाहिए ।

दोस्तों हमारे द्वारा लिखा गया यह जबरदस्त आर्टिकल डर पर निबंध  यदि Essay on fear in hindi आपको पसंद आए तो सबसे पहले आप सब्सक्राइब करें इसके बाद अपने दोस्तों एवं रिश्तेदारों में शेयर अवश्य करें धन्यवाद ।

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *