ढोलक पर निबंध Essay on dholak in hindi

Essay on dholak in hindi

दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं ढोलक पर हमारे द्वारा लिखित निबंध आप इसे जरूर पढ़ें और हमारे इस आर्टिकल को अपने दोस्तों में शेयर भी करें

Essay on dholak in hindi
Essay on dholak in hindi

ढोलक जो कि भारत का एक वाद्य यंत्र है जिसके कई प्रकार हैं जैसे कि ढोलक, ढोलकी, ढोल आदि। अक्सर हम देखते हैं कि यह ढोलक कई तरह के त्योहारों में बजाने के काम में आता है। दिवाली, होली जैसे त्योहारों में अक्सर लोग अपने घरों व मंदिरों में इसे बजाते हैं। लोग अपने भक्ति संगीत के साथ ढोलक या ढोलकी को बजाकर ईश्वर को प्रसन्न करने का प्रयत्न करते हैं। ढोलक और ढोलकी को हाथों से बजाया जाता है।

ढोलक बजाने वाला अपने हिसाब से संगीत के अनुसार ढोलक को बजाता हैं।

ढोलक की बनावट- ढोलक लकड़ी से बनी हुई होती है यह लकड़ी नीम, शीशम, आम आदि की हो सकती है।
लकड़ी के जरिए ढोलक कुछ इस तरह बनाई जाती है कि बीच में जगह खाली होती है और इसके दोनों भागो पर बकरे की खाल लगाई जाती है, जो कुछ डोरियों के जरिए कसी होती है। इन डोरियों में कुछ छल्ले भी लगे होते हैं जिनके जरिए ढोलक बजाने वाला सही तरह से स्वर मिला पाता है।

ढोलक के साथ अन्य वाद्य यंत्रों को बजाना– ढोलक के साथ अक्सर कुछ अन्य वाद्य यंत्रों को बजाकर बहुत ही अच्छी ध्वनि उत्पन्न की जाती हैं। ढोलक के साथ हारमोनियम, मंजीरा आदि भी बजाया जाता है जिससे धार्मिक संगीत या लोकगीत से और भी बहुत ही अच्छी ध्वनि उत्पन्न की जाती है, जो सुनने वाले को काफी पसंद आती है। अन्य समारोह में इस ढोलक, ढोलकी या ढोल आदि का उपयोग किसी त्योहार विशेष पर तो किया ही जाता है इसके अलावा भी अन्य समारोह में भी इनका उपयोग विशेष रूप से किया जाता है।

इनका उपयोग कई बार जन्मदिन की पार्टी आदि में भी किया जाता है इसके अलावा कई बार गांवों में कई तरह के संगीत समारोह में ढोलक, ढोलकी, ढोल को बजाया जाता है। कई गांवों में किसी विशेष अवसर पर लोग रात रात भर भजन कीर्तन करके ढोलकी को बजाते रहते हैं। वास्तव में ढोल, ढोलकी काफी पुराने समय से चले आ रहे एक ऐसे वाद्य यंत्र हैं जिनका आज भी विशेष रूप से उपयोग किया जाता है।

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