अंत भला तो सब भला पर निबंध Essay on ant bhala to sab bhala in hindi

Essay on ant bhala to sab bhala in hindi

दोस्तों हम जो भी काम करते हैं या करना चाहते हैं उसके लिए जो भी मेहनत करते हैं तो हम चाहते हैं कि इस मेहनत के बदले अंत में हमको अच्छे परिणाम मिले या सफलता मिले। अंत भला तो सब भला, जिस प्रकार हमारा देश जब अंग्रेजों का गुलाम था तब हमारे क्रांतिकारी जैसे कि भगत सिंह आजाद, चंद्रशेखर, सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गांधी और भीम राव अंबेडकर जी ऐसे बहुत सारे क्रांतिकारी थे जो अपनी जान की बाजी लगाकर अंग्रेजी से लड़ें. उन्होंने देश को आजाद कराने के लिए गोलियां तक सीनों में खाई और कई दिनों तक जेलों के कारागार में बंद होकर भूखे प्यासे रहकर अंग्रेजों का डटकर सामना किया क्योंकि वे जानते थे कि

Essay on ant bhala to sab bhala in hindi
Essay on ant bhala to sab bhala in hindi

अगर आज हम अंग्रेजो के खिलाफ नहीं लड़े तो जिस तरह से आज हम अंग्रेजों की गुलामी कर रहे हैं, ठीक उसी तरह से हमारे बच्चे भी अंग्रेजों की गुलामी करते रहेंगे इसलिए उन्होंने डटकर सामना किया. वह जानते थे, कि अगर आज हम अंग्रेजों की बुराइयों पर आवाज नहीं उठाएंगे और विरोध नहीं करेंगे तो हमारा देश कभी भी आजाद नहीं हो सकता. वो सभी जानते थे कि जब तक हम सभी इकट्ठे नहीं होंगे तब तक हमारा देश आजाद नहीं हो सकता ।ऐसी सोच से देश के क्रांतिकारियों ने एक साथ मिलकर देश के हित में अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई की और अंत में हमारे देश को स्वतंत्रता मिली और हमारे सभी क्रांतिकारियों के बलिदान और मेहनत के कारण हमारा देश आजाद हुआ।

मैं तो यही कहूंगा कि अंत भला तो सब भला. सभी की मेहनत का परिणाम आज हम आजादी में सांस लेकर महसूस कर सकते हैं। यह सब उन क्रांतिकारियों के कारण हो सका है, जिन क्रांतिकारियों ने देश को आजाद कराने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी जिससे हमारा देश आजाद हुआ और हम सभी उस आजादी का मजा ले रहे हैं और आगे भी हमारे बच्चे उस आजादी की सांस लेंगे, कहने का तात्पर्य है की अंत में जो हमें आजादी मिली या अंत में जीत मिली तो सब कुछ अच्छा है ।

या फिर हम कह सकते हैं की एक चींटी जिसका घर कही उंचाई पर है, और वह ऊंचाई से नीचे उतरकर अपने बच्चो के लिए भोजन लेने आई है ,भोजन लेने के बाद जब चींटी पहाड़ पर चढ़ती है तो वह कई बार नीचे गिर जाती है परंतु वह उस पर चढ़ना बंद नहीं करती क्योंकि बह जानती है कि उसका परिवार उस भोजन का इंतजार कर रहा है अगर वह वहां पर नहीं पहुंची तो बह भूख से मर जाएंगे और चींटी जानती हैं की अगर एक बार वहां पर पहुंच गई तो उसका परिवार जिंदा बच जाएगा वरना भूख के कारण उसके परिवार की मृत्यु हो जाएगी ।

इसी सोच के कारण वह चढ़ना बंद नहीं करती है और आखिरकार बह अपने ठिकाने पर पहुंच जाती है और अपने घर पहुचकर वह खुश हो जाती है उसे रास्ते की मुशिवते फिर याद नहीं आती क्योकि अंत भला तो सब भला. इसलिए कहते हैं कि अंत भला तो सब भला।

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