चाँद की आत्मकथा निबंध Chand ki atmakatha
Chand ki atmakatha
दोस्तों कैसे हैं आप सभी, दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं चांद की आत्मकथा पर हमारे द्वारा लिखित काल्पनिक आर्टिकल. आप इसे जरूर पढ़ें तो चलिए पढ़ते हैं आज के इस आर्टिकल को।
मैं चांद हूं. बच्चे मुझे चंदा मामा कहकर पुकारते हैं शाम को जब वह मुझे देखते हैं तो उनके होठों पर मुस्कान आ जाती है. दोपहर में सूरज की तेज धूप के बाद शाम को मैं दिखता हूं सब बहुत ही खुश हो जाते हैं. मैं पृथ्वी की परिक्रमा करता हूं पृथ्वी की परिक्रमा करने में मुझे लगभग 27 दिन 7 घण्टे का समय लगता है. मुझ पर कोई वातावरण नहीं है इसलिए जो भी मेरी सैर करने के लिए आते है तो लोगों को मुझपर एक दूसरे की आवाज सुनाई नहीं देती. अभी तक लोगों को मुझपर पानी नहीं मिला है लेकिन लोग मुझ पर पानी होने का दावा भी करते हैं कुछ लोगों का मानना है कि मेरा निर्माण पृथ्वी के टुकड़ों से ही हुआ है।
अभी तक मेरी सैर करने के लिए देश दुनिया से बहुत ही कम लोग आए हैं सबसे पहले मुझपर कदम नील आर्मस्ट्रांग ने रखा था. में बहुत ही खुश हूं, मैं पृथ्वी के लोगों को दूर से यूं ही देखता रहता हूं, लोगों का लड़ना झगड़ना, एक दूसरे के प्रति प्रेम होना सब कुछ मैं अपनी आंखों से देखता हूं। मैं सूर्य के प्रकाश की वजह से बहुत ही गर्म हो जाता हूं. भारत के देश वासियों ने कई कविता, कहानियां मेरे बारे में लिखी हुई हैं जब बच्चे मेरे बारे में पढ़ते हैं, सुनते हैं तो वह बहुत ही खुशी होते हैं। मैं आसमान के तारों के बीच में बहुत ही खुश हूं क्योंकि बच्चे मुझे देखकर खुश हो जाते हैं।
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