चामुंडा माता जोधपुर का इतिहास chamunda mata jodhpur history in hindi

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दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से चामुंडा माता जोधपुर का इतिहास बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और चामुंडा माता जोधपुर का इतिहास पढ़ते हैं । इस मंदिर का निर्माण राव जोधा ने उस समय करवाया था जब जोधा मेहरानगढ़ के किले का निर्माण करा रहे थे । जोधपुर के राजा राव जोधा ने इस मंदिर की मूर्ति 1460 में मंदोरे की राजधानी से खरीदी थी ।

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image source –https://www.patrika.com/jodhpur-news/maa

दशहरे के समय इस मंदिर के दर्शन के लिए लाखों लोगों की भीड़ एकत्रित होती है । जो भी व्यक्ति किले को देखने के लिए जाता है वह चामुंडा माता मंदिर के दर्शनों के लिए अवश्य जाता है । यह मंदिर जोधपुर की पहाड़ी पर बनवाया गया था । ऐसा कहा जाता है कि जोधपुर के राजा राव जोधा को श्राप था कि उसके द्वारा बनवाए गए किले में हमेशा पानी की कमी रहेगी । इस श्राप से बचने के लिए एक ऋषि ने राजा राव जोधा को कहा था कि आप किले के अंदर चामुंडा माता का मंदिर बनवाए ।

ऋषि के कहने पर राजा राव जोधा ने किले के अंदर चामुंडा माता का मंदिर बनवाया था । राजपूत घराना चामुंडा माता को अपनी कुलदेवी के रूप में पूजने लगे थे । तभी से चामुंडा देवी राजपूतों की कुलदेवी कहलाने लगी थी । चामुंडा माता मंदिर के दर्शनों के लिए लाखों-करोड़ों लोग जाते हैं । यहां पर जाने से , माता चामुंडा देवी के दर्शन करने से सुख शांति प्राप्त होती है । मां चामुंडा देवी का जोधपुर में बहुत ही सुंदर एवं बहुत ही विशाल मंदिर बना हुआ है ।

इस मंदिर के अंदर जो काली माता की मूर्ति है वह मूर्ति परिहारो के द्वारा बनाई गई थी । मां चामुंडा देवी के बारे में ऐसा कहा जाता है कि जब 1965 का युद्ध लड़ा जा रहा था तब जोधपुर को आतंकवादियों ने टारगेट बनाया था । मां चामुंडा देवी ने एक चील का रूप धारण करके पापियों का संघार किया था और जोधपुर की रक्षा की थी । मां चामुंडा देवी के प्रताप से जोधपुर बच गया था । तभी से जोधपुर के सभी निवासियों का मां चामुंडा देवी के प्रति अटूट आस्था है ।

सभी मां चामुंडा देवी की पूजा करते हैं । जोधपुर के आसपास में जितने भी गांव हैं एवं जो भी लोग रहते हैं वह मां चामुंडा देवी की पूजा करते हैं । देश विदेशों से भी मां चामुंडा देवी के दर्शनों के लिए लोग आते हैं । जो एक बार मां चामुंडा देवी के दर्शनों के लिए आता है वह बार-बार मां चामुंडा देवी के दर्शनों के लिए आता है क्योंकि उसकी सभी मुरादें मां चामुंडा देवी के द्वारा पूरी हो जाती हैं । यह मंदिर लगभग 400 फीट ऊंचे पठार पर बनवाया गया है ।

इस पठार से यहां के आसपास की सुंदरता बहुत आसानी से देखी जा सकती है । इस पठार से चारों तरफ हरियाली ही हरियाली नजर आती है ।मां चामुंडा देवी के इस मंदिर से सभी लोगों की आस्था जुड़ी हुई है । इसलिए सभी लोग मां चामुंडा देवी के दर्शनों के लिए जाते हैं और अपनी इच्छाओं की गुजारिश मां चामुंडा देवी के सामने करते हैं । मां चामुंडा देवी की मूर्ति बहुत ही सुंदर लगती है ।

इस मंदिर के आसपास का वातावरण शांत एवं स्थर है । बड़े-बड़े राजघरानों के लोग भी मां चामुंडा देवी के दर्शनों के लिए जाते हैं और अपनी मुरादे पूरी होने की गुहार मां चामुंडा देवी के सामने लगाते हैं ।

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