पतंग की आत्मकथा निबंध Patang ki atmakatha essay in hindi
Patang ki atmakatha essay in hindi
दोस्तों नमस्कार, आज हम आपके लिए लाए हैं पतंग की आत्मकथा पर हमारे द्वारा लिखित यह आर्टिकल. यह एक काल्पनिक आर्टिकल है, यह एक ऐसा आर्टिकल है जो आपको भी एक सपनों की दुनिया में खोने के लिए मजबूर कर देगा तो चलिए पढ़ते हैं पतंग की आत्मकथा को.
मैं एक पतंग हूं मैं जब आसमान में उड़ती हूं तो मुझे काफी खुशी होती है. मैं एक पॉलिथीन से बनाई हुई पतंग हूं मुझे लोग सर्दियों के दिनों में बड़े-बड़े कार्टूनों में भरकर रख देते हैं तो मुझे अंदर घुटन सी महसूस होती है तब मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता मैं सोचती हूं कि कब बसंत ऋतु आए और बच्चे मुझ पतंग से एक डोर बांधकर आसमान में मुझे उड़ाये. मैं सिर्फ यही सोचकर काफी खुश हो जाती हूं. मैं बस उस कागज के कार्टून में बंद यही सोचती रहती हूं, समय का इंतजार करने के बाद वो दिन भी आ जाते हैं जब बच्चे आसमान में पतंग उड़ाने लगते हैं.
मैं बसंत ऋतु के दिनों में दुकानों पर सजाई जाती हूं कई बच्चे कुछ अकेले आते हैं तो कुछ अपने माता-पिता के साथ आते हैं और मुझे खरीद ले जाते हैं. वह जब मुझे खरीदते हैं तो मैं भी काफी खुश हो जाती हूं क्योंकि मैं आसमान में उड़ने की कल्पना देखती जाती हू. इधर मुझे ले जाने वाले बच्चे भी काफी खुश हो जाते हैं वह जल्द से जल्द मुझसे धागा बांधकर मुझे आसमान में उड़ाना चाहते हैं. एक बच्चे ने जब मुझे खरीदा तो वह अपने घर पर जा पहुंचा और शाम के समय घर की छत पर अपने एक दोस्त के साथ पहुंचकर मुझसे धागा बांधकर मुझे आसमान में उड़ने लगा.
मुझे बहुत ही खुशी होने लगी खुशी का मेरा बिल्कुल भी ठिकाना नहीं था फिर उस बच्चे ने मुझे आसमान की सैर कराई और आसमान में मैं धीरे-धीरे काफी ऊंचाई पर जाने लगी. मैं इतनी ऊंचाई पर पहुंची कि मैं दिखने में उस बच्चे को बहुत ही छोटी दिखाई दे रही थी. मैं जब ऊंचाई पर पहुंची तो मैंने अपने चारों ओर नजर डाली मैंने देखा कि मेरे चारों ओर मेरे जैसी ही रंग बिरंगी अन्य पतंग भी हवा में उड़ रही हैं. वह बच्चा चारों और का इस तरह का दृश्य देखकर मेरी तरफ देखकर काफी मुस्कुरा रहा था धीरे-धीरे मैं आसमान में और भी ऊंचाई पर उड़ने लगी.
मैं भी ऊपर से नीचे देख रही थी कि कई अन्य बच्चे भी अपने अपने घर की छतों पर पतंग उड़ा रहे हैं उनके चेहरे पर मुस्कान देखकर मुझे काफी खुशी हुई वास्तव में छुट्टियों के दिन बच्चों को काफी खुशी देते हैं. बच्चे मकर सक्रांति पर भी काफी खुशी के साथ पतंगों को उड़ाते हैं मैं अभी हवा में उड़ ही रही थी कि तभी मैंने देखा की एक पतंग की डोर किसी ने काट दी और धीरे-धीरे वह पतंग आसमान में और ऊंचाई पर गई फिर धीरे-धीरे वो नीचे जमीन पर गिर पड़ी. वह कई किलोमीटर दूर नीचे जमीन पर जा गिरी मुझे यह सोचकर अब डर लगने लगा था कि कहीं ऐसा ना हो कि मेरी डोर भी कट जाए और मैं भी आसमान से एकदम से ही दूर जमीन पर जाकर गिर जाऊं.
मैं काफी समय तक आसमान में उड़ती रही वह बच्चा मुझे आसमान में उड़ता देख काफी खुशी का अनुभव कर रहा था तभी किसी ने मेरी डोर भी काट दी और में भी जमीन पर जा गिरी तभी एक बच्चे ने मुझे देखा वह दौड़ते हुए मुझे उठाकर अपने घर की छत पर ले जाने लगा अब उस बच्चे ने मुझ पतंग से डोर बांधकर आसमान में उड़ाया. अब मैं फिर से आसमान की सैर करने लगी थी मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा, बस में यही सोचकर दुखी थी कहीं इस बार भी मैं जमीन पर ना गिर जाऊ.
मैं काफी देर तक आसमान में उड़ती रही फिर उस बच्चे ने धीरे-धीरे मुझे नीचे किया और शाम होते ही मुझे नीचे उतार लिया और घर की छत से नीचे उतरकर घर के एक कोने में मुझे रख दिया. मैं इसी आशा के साथ खुश थी कि मैं अब कल फिर उडूँगी और आसमान की सैर करूंगी.
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Very nice article.