बोधगया महाबोधि मंदिर का इतिहास Bodh gaya temple history in hindi
Bodh gaya temple history in hindi
दोस्तों आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बोध गया महाबोधि मंदिर के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और बोधगया महाबोधि मंदिर के इतिहास के बारे में जानते हैं । बोधगया महाबोधि मंदिर का इतिहास काफी पुराना है । यह मंदिर बोध धर्म के लोगों के लिए आस्था का केंद्र है । यहां पर बोध धर्म से जुड़े हुए लोग घूमने के लिए एवं दर्शन करने के लिए जाते हैं ।
यह मंदिर राजा अशोक के द्वारा बनवाया गया था ।राजा अशोक को ही महाबोधि मंदिर का संस्थापक कहा जाता है । सम्राट अशोक के बारे में यह भी कहा जाता है कि तकरीबन तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के दौरान इसी स्थान पर जहां पर महाबोधि मंदिर बना हुआ है वहीं पर सम्राट अशोक ने हीरे से जड़ा हुआ एक सिंहासन बनवाया था । गौतम बुद्ध ने यहां पर ज्ञान प्राप्त किया है इसीलिए यह बौद्ध धर्म के लोगों के लिए आस्था का केंद्र है ।
सम्राट अशोक ने महाबोधि मंदिर की बनावट ठीक उसी तरह की बनवाई है जिस तरह से अशोक के द्वारा स्तूप बनवाए गए थे । स्तूप के जैसे ही यह मंदिर बनवाए गए थे । महाबोधि मंदिर का जो मुख्य द्वार है उस मुख्य द्वार के पीछे एक लाल बलुआ पत्थर की बनी हुई 7 फीट ऊंची मूर्ति भी स्थित है और वह मूर्ति गौतम बुद्ध जी की है । उस मूर्ति में गौतम बुध शांत अवस्था में बैठे हुए हैं और ध्यान लगा रहे हैं । यह बोध गया में स्थित है ।
यह मंदिर , महाबोधि मंदिर बिहार राज्य के बोधगया में स्थित है । यह बोध धर्म के लोगों का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल माना जाता है और यहां पर बौद्ध धर्म के लोग घूमने के लिए , दर्शन करने के लिए अवश्य आते हैं । सबसे बड़ी खास बात यह है कि यहां पर भगवान गौतम बुद्ध ने ज्ञान की प्राप्ति की थी ।इसी स्थान पर बैठकर भगवान गौतम बुद्ध ने तपस्या की थी , ध्यान लगाया और ज्ञान प्राप्त किया था । उसी स्थान पर यह मंदिर बनवाया गया था ।
मंदिर के समीप एक पेड़ भी मौजूद है । ऐसा कहा जाता है कि गौतम बुद्ध ने उस पेड़ के नीचे बैठकर ध्यान लगाया था । इसी कारण से उस पेड़ का नाम बोधि वृक्ष रखा गया था । वह पेड़ आज भी मौजूद है । उस पेड़ को सभी बोधि वृक्ष के नाम से कहकर संबोधित करते हैं । यूनेस्को ने भी बिहार राज्य के बोधगया के महाबोधि मंदिर को एवं इस पूरे शहर को विश्व धरोहर घोषित किया है । यह महाबोधि मंदिर पूरे विश्व में प्रसिद्ध है और लाखों-करोड़ों लोग यहां पर इस महाबोधि मंदिर को देखने के लिए आते हैं , दर्शन करते हैं ।
सभी यहां पर आकर , अपने कैमरे से फोटो खींचकर साथ में ले जाते हैं । जो भी व्यक्ति एक बार महाबोधि मंदिर के दर्शन करने के लिए आता है वह अगली बार अपने साथ में दो से चार लोगों को अवश्य लाता है क्योंकि यहां पर शांति की अनुभूति होती है । यहां पर आने से हमारे हृदय में शांति की अनुभूति होती है । बोधगया के महाबोधि मंदिर के उत्तरी भाग चंकामाना नाम से जाना जाता है ।
ऐसा कहा जाता है कि गौतम बुद्ध जी ने इसी स्थान पर अपने ज्ञान की प्राप्ति की थी । इस मंदिर के उत्तर पश्चिम दिशा में एक छत विहीन भग्नावशेष है । इस जगह को रत्ना घास नाम से सभी लोग जानते हैं । यहां पर हर उस जगह पर भगवान गौतम बुद्ध की मूर्ति स्थापित की गई है जहां पर बैठकर गौतम बुद्ध जी ने ध्यान लगाया था और उन्होंने ज्ञान की प्राप्ति की थी ।
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