जयापार्वती व्रत कथा व् पूजा विधि jaya parvati vrat katha, puja vidhi in hindi

jaya parvati vrat puja vidhi

दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं जया पार्वती व्रत कथा व् पूजा विधि को . चलिए अब हम इस आर्टिकल के माध्यम से जया पार्वती व्रत कथा व् पूजा विधि को पढ़ेंगे .

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जया पार्वती व्रत कथा – एक गांव में एक पंडित रहता था और उसकी एक पत्नी थी . पंडित अपनी पत्नी के साथ बड़ी खुशी से रहता था . कई साल बीत जाने के बाद भी उनके यहां संतान नहीं हुई थी . दोनों पति पत्नी भगवान शिव जी की पूजा करते और भगवान शिव जी से प्रार्थना करते थे की  भगवान हमें  संतान की प्राप्ति हो . एक बार वह भगवान शिव और पार्वती की भक्ति में इस तरह से खो गया था कि उसे सिर्फ भगवान की भक्ति ही  दिखई दे  रही थी . भगवान शिव उसकी भक्ति से प्रसन्न हुए और उस पंडित को स्वप्न में दर्शन दिए .

शंकर भगवान ने  पंडित से कहा कि मैं तुम्हारी इस भक्ति से  प्रसन्न हुआ हु . अब तुम जो मांगना चाहते हो मागो  पंडित ने भगवान से कहा कि मैं एक संतान चाहता हूं . भगवान शिव ने उस पंडित की बात को सुनकर कहा की यहां पास ही के जंगल में मेरा एक मंदिर है . तुम उस मंदिर पर जाओ और पूजा अर्चना करो ऐसा करने से तुम को संतान की प्राप्ति होगी और भगवान शिव बहा से अंतर्ध्यान हो गए . जब सुबह हुआ तब वह पंडित पूजा पाठ का सामान लेकर जंगल की ओर चला गया था .

वह पंडित जंगल में शिव मंदिर पर पहुंचा और उस मंदिर की साफ सफाई की . जब वह पंडित फूल माला लेने के लिए  जंगल की ओर जा रहा था तब रास्ते में एक सांप ने उसको खा लिया था  और वह बेहोश हो गया था . कुछ समय बीत जाने के बाद जब वह पंडित अपने घर पर नहीं पहुंचा तब उसकी पत्नी को बड़ी चिंता होने लगी और वह अपने पति को ढूंढने के लिए जंगल में चली गई थी .

पंडित की पत्नी उसी मंदिर पर पहुंची और उस मंदिर की पूजा अर्चना की और भगवान शिव और पार्वती से प्रार्थना करके कहने लगी कि मेरे पति जहां पर भी हो वह मेरे पास  सुरक्षित  वापस आ जाएं . माता पार्वती और शिव जी ने उसकी प्रार्थना स्वीकार कर ली थी और उसके पति को पुनः जीवित कर दिया था .  वह पंडित अपनी पत्नी के पास बापस  आ गया था . दोनों ने शंकर , पार्वती भगवान को प्रसन्न किया और कुछ समय बाद दोनों के यहां एक संतान में जन्म लिया .

इसी तरह से जो भी भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा करता है , व्रत करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है . यह व्रत 5 दिनों का होता है और इस व्रत में  शंकर भगवान और पार्वती की पूजा की जाती है . यह व्रत विवाहित महिलाएं एवं अविवाहित लड़कियां भी करती हैं . ऐसा करने से सुख समृद्धि प्राप्त होती है .

जया पार्वती व्रत पूजा विधि – जया पार्वती व्रत अषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष के 13 वे दिन से शुरू होता है और यह व्रत पूरे 5 दिन तक किया जाता है . यह व्रत कृष्ण पक्ष की तृतीया के दिन समाप्त होता है . इस व्रत के पहले दिन स्नान करके एक मिट्टी के  बर्तन में  ज्वार को बोना  चाहिए  और उस बर्तन को मंदिर में या घर के मंदिर में रख देना चाहिए . उसी दिन से हमारा व्रत प्रारंभ हो जाता है . इसके बाद उस बर्तन की पूजा प्रतिदिन सुबह उठकर करनी चाहिए . ज्वार के बर्तन की पूजा अर्चना प्रतिदिन करनी चाहिए .

सुबह-सुबह ज्वार के बर्तन में पानी चढ़ाएं , रोली  , फूल चढ़ाएं और मिट्टी के शिव एवं पार्वती की मूर्तियां बनाकर सोने या चांदी के बर्तन में रखकर उसे मंदिर या घर के मंदिर में विराजमान कराना चाहिए . मिट्टी से बने यह शिव एवं पार्वती को दूध , दही एवं पानी से स्नान कराना चाहिए , शहर से स्नान कराना चाहिए . स्नान कराने के बाद  कुमकुम एवं हल्दी लगाना चाहिए , घी के दीपक जलाना चाहिए . दीपक जलाने के बाद प्रसाद में नारियल  चढ़ाना चाहिए  .

ऐसा करने से पार्वती माता प्रसन्न होती हैं . जो विवाहित महिलाएं होती हैं उनको अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद प्राप्त होता है  और जो कुंवारी कन्या होती है उनको अच्छा वर मिलने का आशीर्वाद प्राप्त होता है .

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