बरसात का एक दिन पर निबंध Barsat ka ek din essay in hindi

Barsat ka ek din essay in hindi

Barish ka pehla din essay in hindi-हेलो दोस्तों कैसे हैं आप सभी दोस्तों आज का हमारा आर्टिकल Barsat ka ek din essay in hindi मेरे जीवन के बरसात के एक दिन की घटना के ऊपर है इसे पढ़िए और मेरे जीवन के बरसात के उस पल के बारे में जानिए.बरसात का एक दिन ऐसा आया था जिसे मैं आज भी याद करता हूं आज हम देखें तो वर्षा का मौसम गर्मी के बाद आता है जब लोग गर्मी के कारण तपने लगते हैं तो उनको बरसात में अपनी तपन दूर करने के लिए बरसात के पानी की आवश्यकता होती है हर किसी जीव,प्राणी को बरसात की आवश्यकता होती है

Barsat ka ek din essay in hindi
Barsat ka ek din essay in hindi

एक दिन मैं बचपन में अपने पापा के साथ किसी दूसरे शहर गया था.हम शहर से अपना काम खत्म करने के बाद वहां से निकले तभी हमने बरसात आने की आवाज सुनी.दरह्सल दोपहर से ही बहुत जोरों की गर्मी पड रही थी,मैं और मेरे पापा दोपहर के समय से ही बेहद परेशान थे क्योंकि गर्मी बहुत तेज लग रही थी और उस समय वहां पर लाइट भी नहीं आ रही थी जिस वजह से हमें गर्मी का सामना करना पड़ रहा था लेकिन शाम को लगभग 5:00 बजे जैसे ही बरसात हुई तो हमें बहुत ही खुशी का अनुभव हुआ लेकिन एक तरफ थोड़ा दुख हुआ,चिंता भी हुई क्योंकि बरसात इतनी तेज थी की हम उस समय साथ में अपने घर पर नहीं जा सकते थे.

हमारे पास कोई छाता भी नहीं था हमने पास ही खड़े व्यक्ति से छाते की दुकान के बारे में पूछा कि हमें एक छाता खरीदना है दुकान कितनी दूर है तब हमें पता लगा कि छाते वाले की दुकान काफी दूर थी जिस वजह से हम दुकान से छाता लेने नहीं जा सकते थे वहां पर लगभग 2 घंटे तक हम रुके रहे लेकिन बरसात अभी भी खत्म नहीं हुई.हम वहां पर उपस्थित बहुत सारे लोगों को देख रहे थे जो छाता लगाकर अपने-अपने घर की ओर जा रहे थे बरसात के मौसम में वो लोग खुश नजर आ रहे थे क्योंकि लंबे सफर से बरसात नहीं हुई थी.

कुछ बच्चे वही हमारे आसपास खेल रहे थे उनको पानी में नहाना बहुत ही अच्छा लग रहा था मेरे पापा और मैं उस मौसम में बच्चों को देखकर खुश हो रहे थे हमने काफी प्रयत्न किया कि हम किसी तरह बस स्टैंड पहुंच सकें लेकिन कुछ लोगों को रोकने के बाद भी हमें बस स्टैंड जाने के लिए किसी भी तरह से पानी से बचने का मौका नहीं मिल पाया.

मैंने पास में ही देखा की कुछ पेड़ पोधे लगे हुए है,बरसात के इस दिन बहुत से पशु पक्षीयो को  एक जगह पर बैठे हुए देखा उन्हें ख़ुशी में चिल्लाते हुए सुना. जब काफी लंबे समय की गर्मी के मौसम के बाद बरसात का वह दिन आया तो पशु-पक्षी भी उछलने कूंद्ने लगे थे और पेड़ पोधो की डालियों के ऊपर जाकर बेठने लगे,अपने घोसलों में घुसने लगे.वो भी ठंडी ठंडी हवाओं का आनंद लेने लगे उन्हें बरसात का यह दिन बहुत ही अच्छा लग रहा था उन्हें ख़ुशी का अनुभव हो रहा था.

बरसात के इस दिन पेड़ पौधे भी खुशहाली से झूमने लगे,ठंडी ठंडी हवाएं,ठंडा-ठंडा बरसात का पानी उन्हें भी खुशी में झूमने को कह रहा था पेड़ पोधे भी शीतल बरसात के पानी से काफी khush नज़र आ रहे थे क्योकि गर्मी की वजह से वो सूख रहे थे.जब बरसात के इस मौसम में बरसात का पानी गिरा तो पेड़ पौधे,पशु पक्षी,मनुष्य सभी खुशी से झूमने लगे जब हमने उन्हें इस तरह से देखा तो हमें भी बहुत ही खुशी का अनुभव हुआ मैं उन्हें देखकर मुस्कुराने लगा चिड़िया खुशी से ची ची कर चिल्लाने लगी.

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मैंने अपने पापा से कुछ समय बाद वह से चलने को कहा क्योंकि उस समय पानी थोड़ा कम हो चुका था पानी की बूंदे अब धीमी हो चुकी थी जिस वजह से हमें भी पानी में भीगने का मजा आ रहा था हम दोनों चलते हुए बस स्टैंड के पास पहुंच गए और हमने वहां पर काफी देर तक बस का इंतजार किया लेकिन बस नहीं आई लेकिन हमें तो बरसात के उस सुहाने मौसम में हलकी हलकी बूंदों का आनंद आ रहा था.

कुछ समय बाद बस आई और हम खुशी खुशी बस में बैठकर अपने घर की ओर आने लगे लेकिन हम जब बस की खिड़की से बाहर की ओर देखते तो हमें धीमे धीमे गिरते हुए बरसात के पानी को देखने में बहुत ही अच्छा लग रहा था मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं अभी बस में से बाहर निकलकर उस धीमे-धीमे बरसात के पानी में नहाने लग जाऊं

कुछ समय बाद हम अपने शहर वापस आ गए और जैसे ही हम बस में से उतरे तो हमें बहुत ही खुशी का अनुभव हुआ क्योंकि चारों ओर वर्षा हो रही थी और मैं और मेरे पापा जल्दी जल्दी अपने घर की ओर जाने लगे.हमने घर पर पहुंचकर बरसात के मौसम का आनंद लिया और उसमें नहाया वाकई में वह पल हमें खुशी देने वाला पल था वाकई में यह हमारा बरसात का दिन यादगार साबित हुआ क्योंकि उस दिन से पहले मैंने इतनी जोरो की बरसात नहीं देखी थी.

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