जुलाहा पर निबंध julaha in hindi essay
julaha in hindi essay
दोस्तों कैसे हैं आप सभी, आज हम आपके लिए लाए हैं जुलाहा के बारे में हमारे द्वारा लिखा हुआ निबंध आप इसे जरूर पढ़ें। दोस्तों जुलाहा एक जाति होती है इसके अलावा जुलाह एक जीव भी होता है जो पानी पर तैरता है जिसे हम बरसाती कीड़े के नाम से भी जानते हैं लेकिन आज के हमारे इस निबंध में हम जुलाहा जाति के बारे में जानेंगे तो चलिए पढ़ते हैं आज के हमारे इस निबंध को।
जुलाहा एक विशिष्ट प्रजाति होती है जिनका कार्य कपड़े बुनना होता है जो करघे पर कपड़े भी बनते हैं। जुलाह जाति के लोग मुसलमान होते हैं जोकि मुसलमानों की पिछली जाति में आते हैं। एक महान कवि कबीर जो इसी जुलाहा जाति के थे। जो पहले भी पिछली जाति के मुसलमानों की जाति होती थी और आज भी इस जाति के लोग पिछली जाति के मुसलमान होते हैं।
हिंदुओं में भी कपड़े सिलने वाले लोग होते हैं जिन्हें बुनकर कहा जाता है जो कोली जाति के होते हैं। जुलाहे शुरू से ही सूट काटकर कपड़े बनाते हैं आज भी देश में कई ग्रामीण इलाकों में 7 दिनों के अंदर ऐसा बाजार भी लगता है जहां पर जुलाहे के बनाए हुए कपड़े एक ही जगह पर आसानी से मिल जाते हैं। यह कपड़े हमें ठोक के भाव भी उपलब्ध हो जाते हैं जहां पर कई तरह की रजाइया, कुर्ते, कमीज, जूतियां आदि मिलती हैं।
जुलाहा जाति के लोग दिन प्रतिदिन अपने कामकाज को छोड़ते हुए भी दिखते हैं। आजकल यह लोग कपड़े सिलाई का काम भी करने लगे हैं यह जाति इतनी पिछड़ी हुई है कि अपने पुराने कार्य को छोड़कर अन्य कार्य को करने के लिए मजबूर हो गई है। ग्रामीण इलाकों में भी रह जाती अलग थलग दिखती है, इस जाति के लोग बहुत से गरीबी रेखा के भी नीचे आते हैं।
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