मानव जीवन और सहयोग पर निबंध Essay on manav jeevan aur sahyog in hindi
Essay on manav jeevan aur sahyog in hindi
Manav jeevan aur sahyog – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से मानव जीवन और सहयोग पर लिखे निबंध के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर मानव जीवन और सहयोग पर लिखें निबंध के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं ।
मानव जीवन और सहयोग के बारे में – मानव जीवन कोई आसान जीवन नहीं होता है । मनुष्य को अपने पूरे जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है । यह कहना कोई गलत नहीं होगा कि मनुष्य को अपने जीवन को सफल बनाने के लिए किसी के सहयोग की आवश्यकता होती है । मनुष्य का जीवन क्षणभर का नहीं होता है बल्कि उसे अपने जीवन को सफल बनाने के लिए जीवन की लंबी यात्रा करनी पड़ती है । मनुष्य के जीवन मे मनुष्य के द्वारा जो कर्म किया जाता है उस कर्म से उसको सफलता प्राप्त होती है ।
मनुष्य किसी भी क्षेत्र में काम करें वह उस क्षेत्र में किसी के सहयोग के बिना सफलता प्राप्त नहीं कर सकता है । कई लोग ऐसे होते हैं जो किसी से सहयोग दिए बिना अपने काम को किए जाते हैं जिस काम को करने में उनको काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है । कुछ लोगों को तो असफलता ही प्राप्त होती है जिसका सबसे बड़ा कारण है किसी से सहयोग ना लेना । यदि कोई व्यक्ति दूसरे से सहयोग की आशा करता है तो उसे भी दूसरों की सहायता करते रहना चाहिए । कृषि , व्यापार , शिक्षा , ज्ञान क्षेत्र में एक सफल इंसान बनकर सफलता प्राप्त करने के लिए सहयोग की अति आवश्यकता होती है ।
सहयोग लेना और सहयोग देना ही मनुष्य के जीवन का सबसे बड़ा धर्म होता है क्योंकि संकट किसी पर भी आ सकता है और उस संकट से निपटने के लिए किसी की सहायता लेना बहुत आवश्यक होता है । यदि कोई व्यक्ति किसी संकट में घिरा हुआ है तो उस व्यक्ति को संकट से निकालने में हमें उसका सहयोग अवश्य करना चाहिए क्योंकि हो सकता है कि आज वह संकट में है कल हम भी संकट में हो सकते हैं । यदि आज हमने उसका सहयोग करके उसे संकट से बाहर निकाला तो वह कल हमें भी संकट से बाहर निकाल सकता है ।
मैं तो यही कहूंगा कि संकट के समय संकट में फंसे व्यक्ति का सहयोग करना ही मानव जाति का पहला कर्तव्य है । जब किसी दूसरे व्यक्ति को संकटों से हम बाहर निकालते हैं , उसकी मदद करते हैं , उसका सहयोग करते हैं तब हमें आनंद की प्राप्ति होती है । किसी दूसरे व्यक्ति का सहयोग करते समय अपने मन में यह विचार नहीं लाने चाहिए की इसको संकट से बाहर निकालने के लिए हम उससे कुछ प्राप्त करें । किसी दूसरे व्यक्ति का सहयोग हमें निष्पक्ष भाव से करना चाहिए । कई लोग दूसरों का सहयोग करके व्यक्ति के जीवन को सफल बनाते हैं ।
जब कोई शिक्षक अपने शिष्य को शिक्षा देता है तब वह अपने शिष्य की सहायता करता है , उसका सहयोग करता है । एक शिष्य अपने गुरु से सहयोग प्राप्त कर अपने जीवन में सफलता प्राप्त करता है । मनुष्य के जीवन की सफलता का राज सहयोग ही होता है । सहयोग लिए और दिए बिना मनुष्य का जीवन सफल नहीं हो सकता है । सहयोग करने से जो आनंद प्राप्त होता है उस आनंद को प्राप्त करने के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि मानो जीवन ही धन्य हो गया हो । एक बार में एक शहर से दूसरे शहर जा रहा था तब रात्रि के समय मेरी गाड़ी खराब हो जाने के कारण मैं बीच रास्ते में ही फस गया था ।
जिसके बाद तेज बारिश होने लगी थी । इसके बाद में एक व्यक्ति के घर के पास गया और उसका दरवाजा खटखटाने लगा था । उसके बाद उस व्यक्ति ने दरवाजा खोला मैंने उस व्यक्ति से निवेदन किया कि मेरी गाड़ी खराब हो गई है और तेज बारिश हो रही है जिससे कि मैं कहीं पर जा भी नहीं सकता हूं । इसलिए मुझे एक रात्रि आपके यहां रुकने की इजाजत दे । जिसके बाद उस व्यक्ति ने कहा कि कोई बात नहीं यह तो मेरा धर्म है क्योंकि आज तुम संकट में हो और तुम्हारा सहयोग करना मेरा सबसे बड़ा धर्म है । इसी तरह से मनुष्य का सबसे बड़ा धर्म दूसरों का सहयोग करना होता है ।
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