शिकारी की आत्मकथा Shikari ki atmakatha nibandh
Shikari ki atmakatha nibandh
Shikari ki atmakatha – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से शिकारी की आत्मकथा के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर शिकारी की आत्मकथा के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं ।
एक शिकारी की आत्मकथा के बारे मे – मैं एक शिकारी बोल रहा हूं । मुझे बचपन से ही शिकार करना पसंद है । मैं जब अपने परिवार के साथ में शिकार करने के लिए जंगल में जाता था तब मैं भी शिकार करना चाहता था पर उस समय मैं बहुत छोटा था । मैं बचपन मे शिकार करना सीख रहा था । जैसे-जैसे मेरी उम्र बढ़ी हुई मैं जंगलों में शिकार करने के लिए जाने लगा था । जब मैं बड़ा हुआ तब मैं पहली बार अपने दोस्तों के साथ मिलकर मध्य प्रदेश में स्थित जंगल कान्हा किसली का भ्रमण करने के लिए गया था । मेरे सभी मित्र पहली बार शिकार करने के लिए मेरे साथ जंगल मे गए थे । सभी मित्र मुझे एक अच्छा शिकारी समझते थे इसलिए उनको मेरे साथ जाने में डर नहीं लग रहा था ।
इसके बाद हम सभी गाड़ी में सवार होकर कान्हा किसली के जंगल में शिकार करने के लिए चले गए थे । जब हमने वहां पर शेरों की दहाड़ सुनी तब मेरे साथ में जो दोस्त थे वह सभी डर गए थे पर मैंने उनका हौसला बढ़ाया और उनसे कहा कि डरो मत हमारे पास बंदूक है । कोई भी जानवर बंदूक के सामने नहीं टिक सकता है । जब मैंने मेरे मित्रों को ऐसा कहा तो उनका हौसला बढ़ने लगा था ।जब हमारे सामने हिरण , शेर और भी कई जानवर आए तब मैंने शिकार करना प्रारंभ किया और हम निरंतर शिकार करते चले गए थे । इसके बाद मेरे सभी मित्रों का हौसला बढ़ गया था । जंगल में जाकर शिकार करना कोई आसान बात नहीं होती है ।
हम सभी मित्र पथरीले रास्तों पर पैदल भी चले थे जहां पर चलना मुश्किल था । पर हम घर से ही सोच कर निकले थे कि एक घातक जानवर का शिकार अवश्य करेंगे । जब हम शिकार कर रहे थे तब हमें बड़ा आनंद आ रहा था । इसके बाद समय बीतता गया और शाम हो गई थी । शाम होते ही मेरे मित्रों ने मुझसे कहा कि अब हमें घर की ओर वापस जाना चाहिए और हम अपने घर की ओर चल दिए थे । घर पर आने के बाद हम बहुत अच्छा महसूस कर रहे थे और सभी मित्र जो पहली बार शिकार पर गए हुए थे वह भी आनंद महसूस कर रहे थे । इस तरह से मैं पहली बार शिकार करने के लिए जंगल में गया था ।
इसके बाद मुझे शिकार पर जाने के लिए आनंद आने लगा था । इसके बाद में दूसरी बार शिकार पर जाने के लिए विचार बना रहा था । मैं भयानक जंगल में शिकार करने के लिए जाना चाहता था । मेने सुंदरबन जंगल का नाम सुना जो पश्चिम बंगाल में स्थित था । मैं पूरी तरह से सुंदरबन जंगल मे शिकार करने के लिए तैयार था । मैं पश्चिम बंगाल राज्य में गया और सुंदरबन जंगल की ओर अपनी गाड़ी के पहिए दौड़ा दिए थे । मैं बंदूक के सहारे जंगल के अंदर प्रवेश कर गया था क्योंकि बंदूक ही मेरा सबसे बड़ा हथियार था जिस हथियार से में शिकार करने वाला था । सुंदरबन जंगल गंगा नदी के डेल्टा पर स्थित था । मैं गंगा नदी के डेल्टा पर पहुंचा और जंगल के कोने कोने तक गाड़ी से भ्रमण करने लगा था ।
कुछ ऐसी जगह पर भी मैं गया था जहां पर गाड़ी का जाना मुमकिन नहीं था । पर मुझे शिकार करना बहुत पसंद था मैं पूरी तैयारी के साथ शिकार करने के लिए आया था । इसीलिए मैं पैदल शिकार करने के लिए पथरीली रास्तों पर निकल पड़ा था । जब मेरे सामने टाइगर आया तब मुझे थोड़ा सा डर महसूस हुआ पर जैसे ही मैंने अपनी बंदूक को देखा तो मुझे ताकत आई थी ।इसके बाद टाइगर ने मुझे देखते ही मेरे ऊपर हमला कर दिया था । मैं उस समय डर गया था पर मेरे मन ने यह सोचा कि यदि मैं डर गया तो यह टाइगर मुझे जिंदा नहीं छोड़ेगा । जैसे ही मैंने बंदूक की गोली टाइगर की तरफ फायर की तो वह टाइगर भाग निकलने में कामयाब हो गया था ।
इसके बाद में और आगे निकल पड़ा जिसके बाद मैंने कई जानवरों को देखा था । जब मैंने टाइगर के ऊपर बंदूक से फायर की तब बंदूक की आवाज सुनकर सभी जानवर कहां से भाग निकलने में कामयाब हो गए थे । मैं पूरे दिन जंगल का भ्रमण करता रहा । जब शाम हुई तब मैं जंगल से होटल की ओर आया और होटल में मैंने आराम किया था । जैसे ही सुबह हुई मैं अपने घर की ओर रवाना हो गया था । इस तरह से मैं कई जंगलों में शिकार करने के लिए गया था ।
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