रानी पद्मावती की कहानी Rani padmavati story history in hindi

Rani padmavati biography in hindi

Rani padmavati story history in hindi-हेलो दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं Rani padmavati story history और इनके बारे में पूरी जानकारी.Rani padmavati भारत के इतिहास की बहुत ही सुंदर और साहसी रानी थी इनके पिता का नाम गंधर्व सेन एवं माता का नाम चंपावती था इनके माता-पिता इन्हें बड़े ही प्यार से रखते थे पद्मावती जब बडी हुई तो इनके पिता ने इनके विवाह के लिए एक स्वयंवर रखा

इस स्वयंबर में छोटे बड़े सभी तरह के राज्यों के राजा आए हुए थे और इस स्वयंबर में जिसकी विजय होती उसी का विवाह रानी पद्मावती से होना था इस स्वयंबर में राजा रावल रत्न सिंह जी आए हुए थे जो कि शादीशुदा थे वह फिर भी इस स्वयंबर में शामिल हुए थे. स्वयंवर शुरू हुआ और अंत में राजा रावल रतन सिंह जी इस स्वयंवर में जीत चुके थे और इनकी शादी पद्मावती से कर दी गई थी.

Rani padmavati story history in hindi
Rani padmavati story history in hindi

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अब राजा रावल रतन सिंह जी पद्मावती को अपने साथ लेकर अपने राज्य चित्तौड़ लेकर वापस आ गए इनके राज्य में खुशहाली थी इनका राज्य सभी दृष्टि से सुरक्षित था इनके राज में प्रवेश करने के लिए 7 दरवाजे थे जिनके अंदर बिना अनुमति के प्रवेश करना लगभग नामुमकिन था.रानी पद्मावती बहुत ही सुंदर थी उनकी सुंदरता दूर-दूर तक फैली हुई थी हर कोई उनकी सुंदरता की तारीफ करता था राजा रावल रतन सिंह जी के दरबार में एक संगीतकार था वह राजा रतन सिंह जी का खास था राजा रावल रतन सिंह जी उस संगीतकार राघव चेतन को बहुत पसंद करते थे.

राजा ने राघव चेतन को अच्छा पद दे रखा था लेकिन समय के साथ उस संगीतकार राघव चेतन के बारे में राजा को कुछ ऐसा पता चला कि राजा ने उस संगीतकार को अपने राज्य से निकलवा दिया दरअसल हुआ कुछ यूं था की राघव चेतन संगीतकार के साथ एक जादूगर था जो अपने जादू के जरिए अपने दुश्मनों से बदला लेता था इसके अलावा वह कुछ ऐसे काम भी करता था जो राजा को पसंद नहीं थे जब राजा और प्रजा को उस संगीतकार के बारे में ये बात पता लगी तो राजा ने उस राघव चेतन जादूगर को अपने राज्य से उसका मुंह काला करके निकलवा दिया.

संगीतकार जादूगर राघव चेतन को यह बात बहुत ही बुरी लगी जब वो चित्तौड़ छोड़कर गया तो उसके मन में प्रतिशोध लेने की ज्वाला भड़क रही थी उसने एक योजना बनाई कि दिल्ली के राजा अलाउद्दीन खिलजी से मिलकर चित्तौड़ के राजा से अपना प्रतिशोध ले सकता है लेकिन दिल्ली के राजा से मुलाकात करना बहुत मुश्किल था उसने एक योजना बनाई कि दिल्ली का राजा अलाउद्दीन खिलजी कभी कबार एक जंगल में शिकार करने के लिए आते थे उसी जंगल में जादूगर रुका और जब राजा शिकार करने के लिए आया तो उसने अपना संगीत उसी समय गाया जब राजा और राजा के सैनिकों को उसके संगीत की धुन सुनाई आई तो राजा ने उस संगीतकार यानी उस जादूगर से प्रभावित होकर उसे अपने दरवार में आने का बुलावा भेजा.

जब वह जादूगर दिल्ली के राजा अलाउद्दीन खिलजी के समक्ष प्रस्तुत हुआ तो राजा ने उस जादूगर से कहा कि आप हमारे लिए ही गाया करो आप का संगीत बहुत अच्छा है लेकिन उस संगीतकार जादूगर ने इसी वक्त मौके पर अपनी बात रखी और राजा से कहा कि राजा मेरे संगीत से भी ज्यादा सुंदर तो चित्तौड़गढ़ की रानी है जिनका नाम पद्मावती है उनकी सुंदरता दूर-दूर तक फेली हुयी है क्यों ना आप उस चित्तौड़गढ़ के राज्य पर आक्रमण करके उस विशालकाय राज्य को अपना बनाए और साथ में रानी को भी अपना बना ले.

जब दिल्ली के राजा अलाउद्दीन खिलजी ने यह बात सुनी तो वह कुछ दिनों तक इस बारे में विचार विमर्श करता रहा और जब उसने सुना कि दूर-दूर तक रानी पद्मावती की सुंदरता की तारीफ होती है तो 1 दिन उसने चित्तौड़ पर आक्रमण करने का फैसला ले लिया वह अपनी विशालकाय सेना को चित्तौड़ की तरफ ले जाने लगा और जब चित्तौड़ के बाहर जब वह पहुंचा तो उसने महसूस किया चित्तौड़ राज की सुरक्षा बहुत ही अच्छी तरह से है इसमें प्रवेश करना तो एक तरह से नामुमकिन है

तो अलाउद्दीन खिलजी ने एक योजना के तहत राजा से एक पत्र के द्वारा कहलवाया की रानी पद्मावती बहुत सुंदर है मैं उन्हें अपनी बहन की तरह समझता हूं आप मुझे बस एक बार उनको देखने दीजिए लेकिन उस समय चित्तौड़ के राजा रावल रतन सिंह जी ने ये बात नहीं मानी और इस बात को अपने राजपूती खानदान के विपरीत समझा लेकिन जब दिल्ली के राजा ने एक बार और यही बात दोहरा के पत्र भेजा और रानी पद्मावती को अपनी बहन कहा तो चित्तौड़ के राजा ने एक विचार किया कि हम अपनी परंपरा भी रखे रहे और दिल्ली के राजा की इच्छा भी पूरी हो इसलिए उसने एक दिन निश्चित किया और दिल्ली के राजा को शीशे में रानी पद्मावती की परछाई दिखाने का निर्णय लिया.

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एक दिन दिल्ली का राजा अलाउद्दीन खिलजी रानी पद्मावती के दर्शन करने के लिए चित्तौड़ राज में प्रवेश किया और रानी पद्मावती की सुन्दरता शीशे में राजा अलाउद्दीन खिलजी ने देख ली उनकी सुंदरता को देख कर वो उनपर मोहित हो चुका था उसके बाद चित्तौड़गढ़ के राजा खुद उस अलाउद्दीन खिलजी को सातों दरबार पार करके सेना के पास विदा करने के लिए आए लेकिन राजा अलाउद्दीन खिलजी ने धोखे से चित्तौड़ के राजा को बंदी बना लिया और यह कहलवा दिया कि यदि चित्तौड़गढ़ के राजा को जीवित देखना है तो रानी पद्मावती को मेरे पास भेज दो

जब यह खबर रानी पद्मावती को पता चली तो उन्होंने अपने सेनापतियों के साथ एक योजना बनाई और उस योजना के तहत औरतों की पोशाक में बहुत से सेनापति अलाउद्दीन खिलजी के पास चले गए अलाउद्दीन खिलजी ने सोचा कि रानी पद्मावती और उनकी दासियां हैं इसी भ्रम में कि रानी पद्मावती मेरे पास आ गई है राजा अलाउद्दीन बहुत ही खुश था और उसने जब देखा कि इन चोलो के अंदर कौन हैं और जैसे ही बीच में खड़ी रानी पद्मावती का चेहरा अलाउद्दीन खिलजी ने देखा की रानी के भेष में एक सेनापति है और औरतों के देश में सभी उसके साथियों ने राजा और उसकी सेना पर आक्रमण कर दिया.

बहुत देर तक लड़ाई चली और अंत में अलाउद्दीन खिलजी और उसकी सेना ने चित्तौड़ की सेना को मार दिया लेकिन चित्तौड़ के राजा को उन सेनापतियों ने दरवाजे को पार करवा दिया और चित्तौड़गढ़ के राजा रावल रतन सिंह सुरक्षित बच गए.अब सातो दरवाजे बंद हो चुके थे दिल्ली का राजा अलाउद्दीन खिलजी उस राज्य में आक्रमण कर रहा था लेकिन उन 7 दरवाजों को पार करना लगभग नामुमकिन था इसी वजह से वह दरवाजों के अंदर प्रवेश तो नहीं कर सका लेकिन वह खाद्य सामग्री खत्म होने का इंतजार करने लगा.

काफी दिन इंतजार करने के बाद आखिर में चित्तौड़ के साम्राज्य में खाद्य सामग्री दिन व दिन कम पड़ने लगी और चित्तौड़ के राजा ने आखिर में यह निर्णय लिया कि अब तो आर पार का युद्ध होगा उसने 7 दरवाजे खोल दिए और अपनी सेना के साथ बाहर आकर दिल्ली के राजा अलाउद्दीन खिलजी से युद्ध किया.

इस युद्ध में चित्तौड़ के राजा को वीरगति प्राप्त हुई और उसकी सेना भी मारी गई और अब खिलजी सात दरवाजे पार करके रानी पद्मावती पर अपना कब्जा जमाना चाहता था.चित्तौड़ के साम्राज्य में सब जानते थे कि दिल्ली का राजा अलाउद्दीन खिलजी महिलाओं पर अपना अधिकार करके उनके साथ कुकृत्य करेंगे इसलिए उसी समय पद्मावती और चित्तौड़गढ़ की सारी महिलाओं ने जोहर की नीति अपनाई जिसके तहत एक बहुत बड़े आग के कुंड में सभी महिलाओ और रानी पद्मावती ने अपने प्राणों की बलि दे दी और अपनी इज्जत को बचाया

वाकई में राजा रावल रतन सिंह एक पराक्रमी राजा थे रानी पद्मावती का नाम भी इतिहास में लिखा गया है.उन्हें हमेशा हमेशा के लिए याद किया जाता है वह बहुत ही सुंदर और पराक्रमी रानी थी वह एक ऐसी रानी थी जिन्होंने अपने देश के लिए अपनी भूमि के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया.

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