पितृ पक्ष की जानकारी pitru paksha in hindi

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दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं पितृ पक्ष की जानकारी को । चलिए अब हम इस लेख के जरिए यह जानेंगे की पितृ पक्ष क्या है ? हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद श्राद्ध किया जाता है । यह कहा जाता है कि जब तक हम मरे हुए व्यक्ति का श्राद्ध नहीं करते हैं तब तक उसकी आत्मा यहीं पर भटकती रहती है । श्राद्ध  करने के बाद  ही उसकी आत्मा को मुक्ति मिलती है ।

इसलिए मरे हुए व्यक्ति की आत्मा को मुक्ति देने के लिए श्राद्ध किया जाता है ।  हिंदू धर्म के ग्रंथों के अनुसार देवताओं को प्रसन्न करने से पहले हमें पितरों को प्रसन्न करना होता है । ज्योतिषी ज्ञान यह बताता है कि पितृ दोष सबसे बड़ा दोष होता है ।

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pitra paksh me kya kare-पितरोंकी शांति के लिए प्रतिवर्ष भाद्रपद शुल्क पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक पितृ पक्ष श्राद्ध होते हैं । ऐसा कहा जाता है कि इस समय के दौरान यमराज पितरों को कुछ समय के लिए आजाद छोड़ देते हैं ताकि वह अपने परिवार के द्वारा किए गए श्राद्ध ग्रहण कर सकें ।हमारे माता पिता को जन्म देने वाले उनके माता-पिता थे और हमें जन्म देने वाले हमारे माता-पिता हैं । उनके देहांत के बाद हम अपने पुरखों को पितृ की संज्ञा देते हैं ।

हिंदू धर्म में पितरों के लिए एक पक्ष निर्धारित किया गया है जिसे हम पितृपक्ष कहते हैं । पितृपक्ष के समय हम अपने पूर्वजों को याद करते हैं , उनका श्राद्ध करते हैं । उनकी याद में उनके नाम पर गरीबों को , पंडितों को दान दिया जाता है । ऐसा कहा जाता है कि पितृपक्ष के समय हमारे पुराने पूर्वज धरती पर आ जाते हैं और हमारे द्वारा दिया गया भोजन ग्रहण करते हैं । पितृपक्ष में हमें अपने पूर्वजों को याद करना होता है और हम उन्हीं की याद में श्राद्ध करते हैं ।

अपने पूर्वजों की याद में हम पंडितों  को दान दक्षिणा देते हैं , पूजा पाठ व् हवन करवाते हैं । पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण नित्य दिन करना चाहिए । पितृपक्ष श्राद्ध के समय हमें गाय का दूध , दही और घी का ही उपयोग करना चाहिए । तर्पण करने से पहले हमें कुछ भी ग्रहण नहीं करना चाहिए ।

pitru paksha story in hindi

एक गांव में दो भाई रहते थे एक का नाम जोगा था और दूसरे का नाम भोगा था । जोगा बहुत ही धनवान था और भोगा निर्धन था । जोगा की पत्नी को पैसों का बहुत ही घमंड था । जब पितृ पक्ष का समय आया तब जोगा की पत्नी ने जोगा से कहा की हम अपने घर पर पितृ पक्ष में श्राद्ध करेंगे , अपने पूर्वजों को याद करेंगे लेकिन जोगा ने यह करने से मना कर दिया था । वह अपनी पत्नी से कहने लगा कि यह सब करने से पैसों की बर्बादी होती है ।

जोगा की पत्नी सोचने लगी की यही मौका है कि में अपने मायके वालों को यहां पर बुलाकर अच्छे अच्छे पकवान बनाकर खिलाउ । जोगा की पत्नी का सोचना था की ऐसा करने से मेरी शान बढ़ेगी । यह सोचते हुए उसने अपने पति जोगा से कहा कि आप इसलिए मना कर रहे हो कि मुझे परेशानी होगी लेकिन मुझे कुछ भी परेशानी नहीं होगी । मैं काम करने के लिए भोगा की पत्नी को बुला लूंगी और हम दोनों मिलकर काम कर लेंगे । जोगा भोगा के पास गया और उसकी पत्नी को न्योता दे आया था ।

भोगा की पत्नी सुबह से लेकर शाम तक जोगा के यहां काम करने लगी ।काम करने के बाद वह अपने घर वापस जाने लगी क्योंकि उसको भी अपने घर के पितृ पूजने थे । वह वापस अपने घर आ गई थी । उसके वापस जाने पर जोगा की पत्नी ने उसे नहीं रोका था क्योंकि वह घमंडी थी । दोपहर के 12:00 बजे थे की पितर आसमान से नीचे उतरे और सबसे पहले जोगा के घर गए । वहां पर पितरों ने देखा की जोगा के ससुराल वाले खाने पर टूट पड़े हैं ।

यह देख कर वह पितर भोगा के घर गए वहां पर देखा की जलती हुई कंडी में उनके नाम से पानी चढ़ा रहे थे क्योंकि उनके घर में अनाज नहीं था और पितर वहां से भी वापस आ गए थे । पितर वहां से आकर एक तालाब के किनारे बैठे थे क्योंकि सभी पितरों को वही पर एकत्रित होना था । जब सभी एकत्रित हुए तब सभी ने एक दूसरे के हालचाल बताएं तब जोगा भोगा के पितरों ने यह सोचा कि यदि भोगा के पास धन और अनाज होता तो आज में भूखा वापस नहीं आता । तभी सभी पितर चिल्लाने लगे की भोगा धनवान हो जा , भोगा धनवान हो जा ।

ऐसा चिल्लाते हुए वह वापस चले गए । भोगा के घर पर जब भोगा की पत्नी से उसके बच्चे भोजन मांग रहे थे तब उसके मुंह से अचानक से यह बात निकली कि जाओ आंगन में रखी हुई टंकी को उल्टा कर दो वहां से जो मिले उसे आपस में मिलकर खा लेना । जैसे ही बच्चों ने टंकी को उल्टा किया उसमें से हीरा जवाहरात निकले और बच्चों ने अपनी मां को आवाज लगाई तब भोगा की पत्नी बाहर आई । उसने सोना चांदी से भरी हुई टंकी देखी तो वह बड़ी खुश हुई लेकिन उसकी पत्नी को पैसों का घमंड नहीं हुआ था ।

जब अगली साल पितृपक्ष का समय आया तब उसने बड़े धूमधाम से पितरों की पूजा की , दान दिया , पंडितों को भोजन कराया , श्राद्ध किया जिससे पितर खुश हुए थे । भोगा  की  पत्नी ने अपनी जेठानी को भी खाने पर बुलाया था । भोगा  की पत्नी ने अपनी जेठानी एवं जेठ को सोने-चांदी के बर्तन में खाना खिलाया था ।

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