मंगल पांडे का जीवन परिचय mangal pandey biography in hindi

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मंगल पांडे हमारे देश के एक ऐसे महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिनके द्वारा अंग्रेजो के खिलाफ पहले क्रांति की शुरुआत की गई । 1857 की क्रांति में मंगल पांडे जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा । अब हम आपको मंगल पांडे जी का जीवन परिचय बताने जा रहे हैं ।

मंगल पांडे जी का जन्म 19 जुलाई सन 1827 में बलिया के नगवा गांव में हुआ था । उनके पिता जी का नाम दिवाकर पांडे और माता का नाम अभारानी पांडे था । उनकी एक बहन भी थी जिसकी मृत्यु 1830 के अकाल में हो गई । मंगल पांडे जी 22 साल की उम्र में ही सन 1849 मैं ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में भर्ती हो गए और वह अपना काम पूरी जिम्मेदारी से करते थे । जब वह सेना में भर्ती हुए तब पूरी लगन से ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए काम करते थे ।

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मंगल पांडे जब सेना में शामिल हुए तब उनकी पहली पोस्टिंग अकबरपुर में की गई और वहां पर वह सैनिकों के साथ घुल मिल गए । मंगल पांडे ब्राह्मण जाति के थे और वह पूजा-पाठ और हिंदू धर्म को मानते थे । जब उनकी पोस्टिंग बैरकपुर मैं हुई तब उसी समय सैनिकों को नई राइफल दी गई और यह अफवाह भी फैल चुकी थी कि इस राइफल को बनाने के लिए गाय और सुअर की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन मंगल पांडे यह बात मानने के लिए तैयार नहीं थे । तब वहां के गांव के ही किसी व्यक्ति के द्वारा मंगल पांडे को उस जगह ले जाया गया जहां पर इन राइफलो को बनाया जाता था । जब मंगल पांडे ने यह देखा कि इन राइफलो को बनाने के लिए गाय और सुअर की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता है तभी से वह अंग्रेजों के खिलाफ खड़े हुए और उन्होंने अंग्रेजों से लड़ना प्रारंभ कर दिया ।

वह यह जान चुके थे कि अंग्रेज उनके धर्म को नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं तभी से मंगल पांडे ने अपने कई सैनिक साथियों को इकट्ठा करके अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए तैयार किया । मंगल पांडे के द्वारा किया गया यह विरोध इतना आगे बढ़ गया कि वह अंग्रेजों से नफरत करने लगे। मंगल पांडे ने अपने सभी साथियों को एक मैदान में इकट्ठा किया और अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई छेड़ दी उस लड़ाई में मंगल पांडे ने यह विरोध जताया कि हम इन राइफल का उपयोग नहीं करेंगे लेकिन अंग्रेजों ने उनकी यह मांग स्वीकार नहीं की जिसके कारण मंगल पांडे को और भी गुस्सा आ गया । उन्होंने अंग्रेजों से लड़ने के लिए अपने साथियों को तैयार किया और अंग्रेजो के खिलाफ लडाई प्रारंभ कर दी । इस लड़ाई में मंगल पांडे ने अंग्रेजों के एक मेजर की हत्या भी कर दी ।

जब अंग्रेजों को यह पता चला की मंगल पांडे अंग्रेजों से बगावत कर रहा है और लोगों को भटका रहा है तो उन्होंने मंगल पांडे को गिरफ्तार करने के लिए सैनिकों को आदेश दिए । वह अंग्रेजो की सेना से लड़ते रहे । जब उन्हें लगा कि वह अंग्रेजों की सेना से नहीं जीत पाएंगे तब उन्होंने अपनी ही गोली अपने सीने पर चला ली और वह नीचे गिर गए । अंग्रेजों के सैनिकों के द्वारा मंगल पांडे जी को सैनिकों के हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया एवं वहां पर उनका इलाज करा कर उनको बचा लिया गया । जब वह पूरी तरह से ठीक हो गए तब उनको अंग्रेजों की कोर्ट में पेश किया गया जहां पर उनको 18 अप्रैल 1857 को फांसी की सजा सुनाई गई । लेकिन अंग्रेजों को उनकी फांसी के दिन दंगा फसाद होने की आशंका थी जिसके कारण उन्होंने मंगल पांडे को 8 अप्रैल 1857 को फांसी पर लटका दिया गया ।

आज हम भारत के ऐसे स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे को सम्मान देते हैं और उनको याद करते हैं । हमारे भारत सरकार के द्वारा उनकी इस कुर्बानी को देखते हुए सन 1984 में डाक टिकट पर उनका फोटो भी लगाया गया था । भारत के ऐसे प्रथम स्वतंत्रता सेनानी के बलिदान से ही हमारा देश आजाद हो पाया है उनके इस बलिदान को हम कभी भी भूल नहीं सकते ।

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