महाराजा रणजीत सिंह का इतिहास maharaja ranjit singh history in hindi

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दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं महाराजा रणजीत सिंह के इतिहास को । चलिए अब हम पढ़ेंगे महाराजा रणजीत सिंह पर लिखे इस इतिहास को । महाराजा रणजीत सिंह पंजाब के महान राजाओं में से एक थे । रणजीत सिंह ने अपनी ताकत से कई युद्ध जीते थे । कई लोग महाराजा रणजीत सिंह को महा योद्धा कहते थे । महाराजा रणजीत सिंह के पिता का नाम महा सिंह था जो सुकरचकिया मिसल के कमांडर थे ।

महाराजा रणजीत सिंह का जन्म 1780 में गुजरांवाला (जो आज पाकिस्तान में है) में हुआ था । यह अपने पिता के जैसे ही बनना चाहते थे । जब यह छोटे थे तब इनको चेचक की बीमारी हो गई थी जिससे इनकी एक आंख की रोशनी कम होती जा रही थी ।

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समय बीतता गया और यह सपने देखते गए कि कब मैं बढ़ा होकर एक योद्धा बनू । जब इनकी उम्र 12 साल की हुई तब इनके पिता का देहांत हो गया था । इनके पिता की मृत्यु होने के बाद पूरी जिम्मेदारी रणजीत सिंह पर आ गई थी । इन्होंने राज्य में रहकर राज्य को चलाने का ज्ञान सीखा और पूरे राज पाठ की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली थी । उन्होंने राज्य की प्रजा के लिए कई महान कार्य किए थे ।

गुरु नानक देव के एक वंशज ने उनकी ताजपोशी 12 अप्रैल 1801 को की थी और रणजीत सिंह को महाराजा की उपाधि हासिल हुई थी । महाराजा रणजीत सिंह सिख साम्राज्य के महान राजा थे । उन्होंने पूरे पंजाब को एकजुट करके रखा था । उन्होंने पूरे पंजाब को सशक्त सूबे के रूप में एकजुट करके रखा था । जब तक पंजाब में महाराजा रणजीत सिंह का राज्य रहा और जब तक वह जिंदा रहे तब तक उन्होंने पंजाब के आसपास ब्रिटिश राज्य को भटकने तक नहीं दिया था ।

उस समय पंजाब पर सिख साम्राज्य एवं अफगानीओ का राज चलता था । जब महाराजा रणजीत सिंह ने राजपाट की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली तब उन्होंने पंजाब को पूरी तरह से स्वतंत्र कराने के लिए अफगानीओं से कई बार युद्ध किए थे । उन्होंने अफगानीओं को पंजाब से खदेड़ दिया था । महाराजा रणजीत सिंह ने अपनी ताकत से अफगानीओं को खदेड़ कर पश्चिम पंजाब की ओर भगा दिया था ।

पूरे पंजाब में महाराजा रणजीत सिंह का राज चलता था । जब महाराजा रणजीत सिंह को राजा बनाया गया था तब उन्होंने लाहौर को पंजाब की राजधानी बनाई थी । इसके बाद उन्होंने 1802 में अमृतसर पर अपनी हुकूमत जमा ली और अमृतसर में जाकर रहने लगे थे । महाराजा रणजीत सिंह ने कई युद्ध जीते थे । उन्होंने पेशावर समेत पश्तून क्षेत्र पर भी अपनी हुकूमत जमा ली थी । ऐसा पहली बार हुआ था कि पश्तून पर किसी गैर मुस्लिम का राज हुआ था ।

महाराजा रणजीत सिंह पंजाब के सिख साम्राज्य के महान राजा थे । उन्होंने अपनी पराक्रम शक्ति के द्वारा पूरे राज्य को एकजुट करके रखा था और राज्य के किसी भी व्यक्ति पर अन्याय नहीं होने दिया जाता था । जब उनको पंजाब का राजा बनाया गया तब उन्होंने हिंदू एवं सिखों से वसूले जाने वाले जजिया पर रोक लगा दी थी । उन्होंने पंजाब की कानून व्यवस्था को सुधारा और बेहतर से बेहतर कानून व्यवस्था पंजाब में लागू की थी ।

उन्होंने पंजाब में किसी को मृत्युदंड नहीं दिया था और पंजाब में मृत्युदंड सजा को बंद कर दिया था । महाराजा रणजीत सिंह ने कभी भी किसी व्यक्ति को जबरजस्ती से सिख धर्म अपनाने के लिए विवश नहीं किया था । महाराजा रणजीत सिंह ने पहली बार भारतीय गठित आधुनिक सेना सिख खालसा की स्थापना की थी । इनकी यह सेना बहुत ही ताकतवर और शक्तिशाली थी । उस समय यदि इन पर कोई भी हमला करता तो वह मारा जाता ।

इसी कारण से ब्रिटिश शासन पंजाब की ओर अपने कदम नहीं बढ़ा रहे थे । ब्रिटिश शासन को यह पता था कि यदि हमने पंजाब की ओर अपने कदम बढ़ाए तो हमें इसका नुकसान भुगतना पड़ेगा । रणजीत सिंह ने अमृतसर के हरि मंदिर गुरुद्वारे में संगमरमर लगवाया था और वहां की दीवारों पर सेना के चित्र बनवाए थे । तभी से उस मंदिर को स्वर्ण मंदिर कहते हैं । जब महाराजा रणजीत सिंह राजा थे तब उनकी तिजोरी का सबसे बेशकीमती हीरा कोहिनूर था ।

सन 1839 में महाराजा रणजीत सिंह का निधन हो गया था और उनकी मृत्यु के बाद उनकी समाधि लाहौर में बना दी गई थी । आज भी पाकिस्तान के लाहौर में महाराजा रणजीत सिंह की समाधि मौजूद है । जैसे ही महाराजा रणजीत सिंह का निधन हुआ वैसे ही धीरे-धीरे ब्रिटिश शासन में पंजाब पर शासन करना प्रारंभ कर दिया था। अंग्रेजों का शासन पंजाब में होने के बाद महाराजा रणजीत सिंह के खजाने में से बेशकीमती हीरा कोहिनूर को निकालकर ब्रिटिश शासन की महारानी को दे दिया था ।

यह कहते हैं कि यदि महाराजा रणजीत सिंह का जन्म एक पीढ़ी पहले हो जाता तो वह पूरे भारत को एकजुट करके रखते और पूरे भारत पर उनका ही शासन चलता ।

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