बिराजा मंदिर का इतिहास Biraja temple history in hindi
Biraja temple history in hindi
Biraja temple – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बिराजा मंदिर के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर बिराजा मंदिर के इतिहास के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं ।
बिराजा मंदिर के बारे में – बिराजा मंदिर भारत देश का सबसे सुंदर अद्भुत चमत्कारी मंदिर है जिस मंदिर से लोगों की आस्था जुड़ी हुई है । जो व्यक्ति इस मंदिर के दर्शन करने के लिए जाता है वह अपने जीवन में आनंद प्राप्त करता है । इस मंदिर के दर्शनों के लिए भारत देश से नहीं बल्कि विदेशों से भी पर्यटक आते हैं और इस मंदिर के दर्शन करके अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं । भारत देश का यह मंदिर अद्भुत चमत्कारी इसलिए माना जाता है क्योंकि यहां की सुंदरता वाकई में देखने के लायक है ।भारत देश के सभी लोगों की आस्था बिराजा मंदिर से जुड़ी हुई है ।
उड़ीसा मे स्थित बिराजा मंदिर दुर्गा देवी भगवान जगन्नाथ को भी समर्पित है । इस मंदिर की सुंदरता बहुत ही सुंदर बनाई गई है । इस मंदिर को देखने के बाद आनंद प्राप्त होता है । आसपास की सुंदरता को देखने के बाद आनंद प्राप्त होता है । इस मंदिर के निर्माण के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण कराने के बाद इस मंदिर से लोगों की आस्था जुड़ गई थी । इस मंदिर के निर्माण के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण तेरहवीं शताब्दी के दौरान कराया गया था । जब इस मंदिर का निर्माण कराया गया तब लोगों के दर्शनों के लिए इस मंदिर के द्वार खोल दिए गए थे ।
प्राचीन समय से लेकर आज तक इस मंदिर की सुंदरता देखने के लायक रही है । बिराजा मंदिर में स्थित गिरिजा देवी और भगवान शिव जगन्नाथ को लेकर एक कथा भी कही जाती है । कथा के अनुसार यह बताया जाता है कि जब भगवान भोलेनाथ के ससुर राजा दक्ष के द्वारा एक यज्ञ का आयोजन कराया गया तब उस यज्ञ में ब्रह्मा , विष्णु और भी कई देवी देवताओं को आमंत्रित किया गया था । परंतु राजा दक्ष ने भोलेनाथ को नहीं बुलाया था क्योंकि राजा दक्ष भोलेनाथ को अपना दामाद स्वीकार नहीं करता था । जब दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया तब माता पार्वती को बहुत ठेस पहुंची थी ।
परंतु माता पार्वती ने यज्ञ में बिना बुलाए जाने का फैसला कर लिया था ।भोलेनाथ ने माता पार्वती को बहुत समझाया की वह वहां पर ना जाएं परंतु माता पार्वती ने वहां पर जाने का निर्णय कर लिया था । जब माता सती दक्ष के यहां पर पहुंची तो राजा दक्ष माता सती का अपमान करने लगा था । जब राजा दक्ष के द्वारा भगवान भोलेनाथ की अवहेलना की गई तब माता सती भोलेनाथ का अपमान करने पर क्रोधित हो गई और माता सती ने अपने आप को हवन कुंड मे समर्पित कर दिया था । इसके बाद भोलेनाथ क्रोधित हो गए थे । भोलेनाथ तांडव करने लगे थे । पूरी पृथ्वी पर हाहाकार मच गया था ।
भोलेनाथ दक्ष के यहां पर प्रकट हुए और माता सती को अग्नि से उठाकर तांडव करते हुए जाने लगे थे । भगवान विष्णु भोलेनाथ की पीड़ा को देख नहीं पा रहे थे । उन्होंने भगवान भोलेनाथ को इस पीड़ा से बाहर निकालने के लिए अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के 51 टुकड़े किए थे और वह सभी 51 टकड़े जहां-जहां गिरे थे वहां 51 शक्ति पीठ स्थापित हुए थे । उन्ही 51 शक्तिपीठों में से माता सती की नाभि यहां पर गिरी थी । इसीलिए इस मंदिर का भव्य निर्माण किया गया था और बिराजा मंदिर से लोगों की आस्था जुड़ी हुई है ।प्रतिवर्ष भक्तगण बिराजा मंदिर के दर्शन करने के लिए ओडिशा राज्य में जाते हैं और जाजपुर में स्थित बिराजा मंदिर के दर्शन करके अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं ।
जो भी भक्त बिराजा मंदिर के दर्शन करने के लिए जाता है वह शक्तिपीठ के दर्शन करने के बाद जीवन में खुशी आनंद प्राप्त करता है । इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि जो भी भक्तगण अपने पूरे परिवार के साथ में गिरिजा और भगवान जगन्नाथ के दर्शन करता है वह पूरा परिवार सुखी समृद्धि प्राप्त करता है । इसी आस्था के साथ लोग बिराजा मंदिर के दर्शन करने के लिए जाते हैं और बिराजा मंदिर के दर्शन करके अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं । यदि आप भी इस मंदिर की सुंदरता को देखना चाहते हैं तो आप इस मंदिर की सुंदरता को देखने के लिए जाजपुर अवश्य जाना ।
जब आप अपनी आंखों से इस मंदिर की सुंदरता को देखोगे तब पता चलेगा कि वाकई में बिराजा मंदिर की सुंदरता देखने के लायक है ।
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