महादेव गोविन्द रानाडे की जीवनी mahadev govind ranade biography in hindi

mahadev govind ranade biography in hindi

दोस्तों आज हम आपको ब्रिटिश शासन के समय भारतीय न्यायाधीश के पद पर विराजमान रहे महादेव गोविंद रानाडे के जीवन के बारे में बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम इस लेख के माध्यम से महादेव गोविंद रानाडे के जीवन के बारे में पढ़ेंगे ।

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जन्म स्थान व् परिवार – महादेव गोविंद रानाडे का जन्म 18 जनवरी 1842 को महाराष्ट्र के नासिक जिले के निफाड़ कस्बे में हुआ था । उनके पिता एक अच्छे राजनेता के पद पर विराजमान थे । इनका विवाह 1873 को हुआ था । इनका जन्म एक ब्राह्मण जाति में हुआ था । यह बचपन से ही पढ़ाई में रुचि रखते थे । इनका दिमाग पढ़ाई में बहुत आगे था । उन्होंने अपना आरंभिक जीवन सबसे ज्यादा कोल्हापुर में  बिताया था क्योंकि कोल्हापुर में इनके पिता मंत्री थे ।

शिक्षा – उन्होंने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई कोल्हापुर से की थी । कोल्हापुर से पढ़ाई करने के बाद यह स्नातक की पढ़ाई करने के लिए मुंबई आ गए थे । जहां के एलिफिंस्टोंन कॉलेज से इन्होने स्नातक की पढ़ाई पूरी की थी । स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद यह  एलएलबी की पढ़ाई में जुट गए थे क्योंकि यह एक वकील बनना चाहते थे । इन्होंने मुंबई के कॉलेज से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की थी । इन्होंने 1862 में स्नातक की पढ़ाई पूरी की थी और 1866 में एलएलबी की पढ़ाई पूरी की थी ।

समाज सुधारक – महादेव गोविंद रानाडे एक भारतीय समाज सुधारक भी थे जिन्होंने समाज को सुधारने के लिए कई कार्य किए थे । महादेव गोविंद रानाडे जी ने बामन अवाजी मोदक , डॉक्टर आत्माराम पांडुरंग , पाल मंगेश बांग्ले के साथ मिलकर समाज को सही रास्ते पर लाने के लिए प्रार्थना समाज की स्थापना की थी । महादेव गोविंद रानाडे ने भारतीय समाज में फैली बुली परंपराओं को बदलने का भी प्रयास किया था । महादेव गोविंद रानाडे ने विधवा मुंडन , बाल विवाह , विधवा पुनर्विवाह के खिलाफ आवाज उठाई थी ।

महादेव गोविंद रानाडे स्त्री शिक्षा पर जोर देते थे । उनका मानना था की देश को मजबूत बनाने के लिए देश के लोगों का शिक्षित होना आवश्यक है । देश की महिलाओं को भी शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए । जब देश में स्त्री शिक्षा को बढ़ावा दिया जाएगा तब हमारा देश मजबूत होगा । महादेव गोविंद रानाडे सामाजिक सम्मेलन आंदोलन के संपादक भी थे । इन्होंने समाज को सही रास्ता दिखाने के लिए कई किताबें भी लिखी थी ।

ब्रिटिश शासन में भारतीय न्यायाधीश – पढ़ाई पूरी करने के बाद महादेव गोविंद रानाडे को मुंबई प्रसिडेंट मजिस्ट्रेट , मुंबई कोर्ट के चतुर्थ न्यायधीश के रूप में , प्रथम श्रेणी के उच्च न्यायाधीश के रूप में 1873 इनको चुना गया था । वह एक अच्छे न्यायधीश थे जिन्होंने कई लोगों को न्याय दिया था । महादेव गोविंद रानाडे को मुंबई वैधानिक परिषद का सदस्य भी बनाया गया था । महादेव गोविंद रानाडे  ने  1887 से  डेक्कन  एग्रीकल्चरिस्ट  रिलीफ एक्ट  के  अंतर्गत  विशेष न्यायधीश  के पद को भी  पूरी ईमानदारी के साथ  संभाला था ।

उनकी लगन और मेहनत को देखते हुए महादेव गोविंद रानाडे को 1893 में मुंबई उच्च न्यायालय का न्यायधीश नियुक्त किया गया था ।महादेव गोविंद रानाडे को एक अच्छा न्यायाधीश , लेखक और समाज सुधारक के रूप में सभी जानते थे ।

राजनीतिक कैरियर – महादेव गोविंद रानाडे अपने आरंभिक जीवन से ही देश हित में काम करना चाहते थे । महादेव गोविंद रानाडे ने पुणे में सार्वजनिक सभा की भी स्थापना की थी । वह अपने पिता की तरह एक राजनेता बनके भारत को सही दिशा देना चाहते थे । इसलिए महादेव गोविंद रानाडे में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की स्थापना की थी । भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संस्थापक के रूप में उन्होंने काम किया था । महादेव गोविंद रानाडे बाल गंगाधर तिलक के विरोधी माने जाते थे ।

19 वी सदी में भारतीय जनता को सही रास्ते पर लाने के लिए महादेव गोविंद रानाडे ने अपना योगदान दिया था । उन्नीसवीं सदी के भारतीय सुधारवादी के रूप में भी महादेव गोविंद रानाडे जाने जाते हैं ।

मृत्यु – हमारे भारत देश के ऐसे महान व्यक्ति महादेव गोविंद रानाडे जिन्होंने देश को बदलने के लिए अपना योगदान दिया था । महादेव गोविंद रानाडे 19 वी सदी के अच्छे समाज सुधारक थे जिनका निधन 16 जनवरी 1901 को पुणे में हो गया था ।

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