अयोध्या सिंह उपाध्याय की करमवीर कविता Karamveer poem in hindi
Karamveer poem in hindi
Hindi poem karamveer-दोस्तों अयोध्या सिंह उपाध्याय का जन्म 15 अप्रैल 1865 को उत्तर प्रदेश के निजामाबाद नामक स्थान पर हुआ था ये एक महान साहित्यकार थे इनकी बहुत सी रचनाएं प्रसिद्ध हुई.इनकी रचनाएं वैदेही वनवास,प्रिय प्रवास,रसकलश,अधखिला फूल जैसी बहुत सी है जिन्हें लोगों ने खूब पसंद किया.इन्होंने अपनी रचनाएं खड़ी बोली और ब्रज भाषा में की.इनकी लिखी कविता कर्मवीर काफी बेहतरीन कविता है आज हम अयोध्या सिंह उपाध्याय के द्वारा लिखित कर्मवीर कविता पढ़ेंगे तो चलिए पढते हैं इस कविता को
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देख कर बाधा विविध,बहु विघ्न घबराते नहीं रह भरोसे भाग के दुःख भोग पछताते नहीं काम कितना ही कठिन हो किन्तु उबताते नहीं भीड़ में चंचल बने जो वीर दिखलाते नहीं हो गए एक आन में उनके बुरे दिन भी भले सब जगह सब काल में वे ही मिले फूले फले
आज करना है जिसे करते उसे है आज ही सोचते कहते है जो कुछ कर दिखाते हैं वही मानते जो भी है सुनते सदा सबकी कही जो मदद करते है अपनी इस जगत में आप ही भूलकर दूसरो वे दुसरो का मुह कभी तकते नहीं कोन ऐसा काम है वे कर जिसे सकते नहीं
जो कभी अपने समय को यो बिताते है नहीं काम करने की जगह बाते बनाते है नहीं आज कल करते हुए जो दिन गवाते है नहीं यत्न करने से कभी जो जी चुराते है नहीं बात है वह कोन जो होती नहीं उनके लिए वे नमूना आप बन जाते है औरो के लिए.
व्योम को छूते हुए दुर्गम पहाड़ो के शिखर वे घने जंगल जहा रहता है तम आंठो पहर गरजते जल राशि की उठती हुयी ऊंची लहर आग की भयदायिनी फ़ैली दिशाओं में लपट ये कंपा सकती कभी जिसके कलेजे को नहीं भूलकर भी वह नहीं नाकाम रहता है कही.
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