देने का आनंद (जॉय ऑफ गिविंग) पर निबंध Joy of giving essay in hindi
Joy of giving essay in hindi
Joy of giving – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से देने का आनंद पर लिखे निबंध के बारे में बताने जा रहे हैं ।चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस बेहतरीन लेख को पढ़कर देने का आनंद के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं ।
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देने के आनंद के बारे में – देने का आनंद का तात्पर्य है किसी की मदद करना । जब किसी ऐसे व्यक्ति की मदद की जाएं जिस मदद को पाने का वह हकदार होता है तब मदद देने का आनंद ही कुछ और होता है । अंदर से एक आनंद की अनुभूति प्राप्त होती है । जब किसी गरीब को पैसे दिए जाते हैं तब पैसे का उपयोग करके वह अपने परिवार के लिए खाना लेकर जाता है । उस गरीब की खुशी देखकर बड़ा आनंद प्राप्त होता है । एक बार मैं रेल के माध्यम से यात्रा कर रहा था । ट्रेन के अंदर एक भिखारी आया और वह 2 दिनों से भूखा था ।
उसने मुझसे कहा कि मैंने 2 दिनों से कुछ भी नहीं खाया है । मुझे बहुत भूख भूख लग रही है । यदि तुम मुझे कुछ दे दो तो मैं उसे खाकर अपनी भूख मिटा लूंगा । मुझे उस व्यक्ति पर दया आ गई और मैंने उस भूखे व्यक्ति को खाने के लिए खाना दे दिया था । जब वह व्यक्ति खाना खा रहा था तब मुझे आनंद प्राप्त हो रहा था । किसी व्यक्ति को मदद देने का आनंद तभी प्राप्त होता है जब वह व्यक्ति किसी ऐसे व्यक्ति को मदद दे जिस व्यक्ति को वाकई में मदद की बहुत आवश्यकता हो । जब वह व्यक्ति मदद देता है तब उसको आनंद प्राप्त होता है ।
मैं जब स्कूल में पढ़ता था तब उस स्कूल में जॉय ऑफ गिविंग वीक का आयोजन किया जाता था और उस आयोजन में सभी बच्चों को देने के आनंद के बारे में समझाया जाता था । सभी बाहर एकजुट होकर एक दूसरे को अपने द्वारा लाए गए खाने को बांटते थे । जब एक दूसरे को अपना अपना खाना देते थे तब सभी को आनंद प्राप्त होता था । बच्चों को इस आयोजन के माध्यम से यह समझाया जाता था कि हमें दूसरे की मदद करते हुए रहना चाहिए । दूसरे की मदद करने से आनंद प्राप्त होता है ।
वहीं से मैंने जॉय ऑफ गिविंग वीक के बारे में जाना था । एक बार मैं जब अपने टीचर के साथ पैदल घर की ओर जा रहा था तब रास्ते में एक मजदूर का जूता रखा हुआ था । मैंने अपने टीचर से कहा कि हम यह जूते कहीं पर छुपा देते हैं और हम उस दीवाल के पीछे छिपकर उस मजदूर को देखेंगे । जब वह अपने जूते वहां पर नहीं पाएगा तब वह परेशान हो जाएगा । जब मैंने अपने टीचर से यह कहा तब वह मुस्कुराई और मुझसे कहा कि यह ठीक नहीं है । टीचर ने मुझसे कहा कि हम क्यों ना उसके जूतों में कुछ पैसे रख दें और दीवाल के पीछे छुप कर देखें कि वह मजदूर पैसे प्राप्त करके कैसा महसूस करेगा ।
हम दीवाल के पीछे छुप गए जब वह मजदूर जूते पहनने के लिए आया तब जैसे ही उस मजदूर ने अपना पहला पैर जूते के अंदर डाला तब उसे जूते के अंदर कुछ महसूस हुआ था । उसने जूता निकाल कर देखा तो उसमें पैसे रखे हुए थे । उसने वह कैसे निकाले और जूता पहन लिया था । जिसके बाद वह मजदूर दूसरे पैर में जूता पहन रहा था कि उसे दूसरे जूते में भी कुछ महसूस हुआ था । उसने दूसरा जूता भी निकाल कर देखा तब उस दूसरे जूते में भी पैसे रखे हुए थे । उसने पैसे हाथ में लेकर ऊपर देख कर कहा है भगवान तेरी ऐसी ही कृपा मेरे ऊपर बनी रहे ।
मैं इन पैसों से अपने बच्चों को अच्छा खाना और कपड़े लेकर जाऊंगा । उसके चेहरे पर खुशी देखकर मुझे और मेरी टीचर को बड़ा आनंद प्राप्त हुआ और टीचर ने मुझसे कहा कि किसी व्यक्ति की सहायता करने से , किसी असहाय व्यक्ति को मदद देने से हमें भी आनंद प्राप्त होता है । इसलिए हमें हमेशा दूसरों की मदद करते रहना चाहिए । देने में जो खुशी प्राप्त होती है वह खुशी कहीं और से प्राप्त नहीं हो सकती हैंं । हमेशा अपने लिए साधन जुटाने में जीवन व्यतीत नहीं करना चाहिए ।
दूसरों की खुशी के लिए , दूसरों को सहायता प्रदान करने के लिए भी कार्य अवश्य करना चाहिए क्योंकि दूसरों के प्रति दया की भावना हमें एक अच्छा इंसान बनाती है । जब हम उस व्यक्ति की मदद करते हैं जिस व्यक्ति को मदद मिलने के बाद खुशी प्राप्त होती है तब वह खुशी हमें भी आनंद देती है और हम अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं । आनंद प्राप्त करने के लिए हमें निरंतर दूसरों की मदद करते रहना चाहिए ।
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