आज की पीढ़ी में संस्कारो की कमी पर निबंध Hindi essay on aaj ki pidhi mein sanskaron ki kami

Hindi essay on aaj ki pidhi mein sanskaron ki kami

Aaj ki pidhi mein sanskaron ki kami – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से आज की पीढ़ी में संस्कारों की कमी पर लिखे निबंध के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर आज की पीढ़ी में संस्कारों की कमी पर लिखे निबंध के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं ।

Hindi essay on aaj ki pidhi mein sanskaron ki kami
Hindi essay on aaj ki pidhi mein sanskaron ki kami

आज की युवा पीढ़ी में संस्कारों की कमी के बारे में – आज जिस तरह से दुनिया विकास की ओर बढ़ रही है और युवाओं में संस्कारों की कमी महसूस की जा रही है । प्राचीन समय में जब माता-पिता अपने बच्चों को जो आज्ञा देते थे वह बच्चे अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन किया करते थे । सुबह उठकर अपने माता-पिता के पैर छूना और अपने माता-पिता का आशीर्वाद लेकर दिन की शुरुआत किया करते थे । परंतु आज की युवा पीढ़ी सुबह उठकर ना तो अपने माता पिता के पैर स्पर्श करते हैं और ना ही उनकी आज्ञा का पालन किया करते हैं ।

यह संस्कारों की कमी है क्योंकि बच्चे को बचपन से ही संस्कार माता-पिता के द्वारा दिए जाते हैं । जो संस्कार माता-पिता अपने बच्चों को देते हैं वह बच्चा उसी संस्कार में ढल कर अपने जीवन को वियतित करता है । बच्चों में संस्कारों की कमी होना माता-पिता की लापरवाही होती है । प्राचीन समय की युवा पीढ़ी जब अपने बड़ों से बातचीत करती थी तो अपने बड़ों को सम्मान देकर उनके बताए गए रास्ते पर चलकर  अपना जीवन जीती थी । आज हम देख रहे हैं कि एक छोटा भाई बड़े भाई का सम्मान नहीं करता है ।

कुछ ऐसे छोटे भाई होते हैं जो बड़े भाई की अवहेलना करता है और कई बार तो अपने बड़े भाई पर हाथ भी उठा देता है । यह संस्कार भारतीय संस्कार नहीं है । पर जैसे जैसे दुनिया आगे बढ़ती जा रही है युवा पीढ़ी में संस्कारों की कमी आती जा रही है । प्राचीन समय में युवा पीढ़ी सुबह उठकर स्नान करके पूजा पाठ करके माता-पिता के साथ समय व्यतीत करते थे । परंतु आज की युवा पीढ़ी को अपने माता-पिता के साथ समय व्यतीत करने का  समय नहीं मिलता है ।

जब माता-पिता अपने बच्चे को सच्चाई के रास्ते पर चलने को कहते हैं तब उनको बुरा लगता है और वह अपने माता-पिता के द्वारा बताए गए रास्ते पर ना चलकर विपरित रास्ते पर चलते हैं । जिस तरह से आज हम अपने माता पिता का सम्मान नहीं करते हैं उसी तरह से आने वाले समय में हमारे बच्चे भी हमारा सम्मान नहीं करेंगे और भारतीय संस्कार धीरे-धीरे तबाह होते जा रहे हैं । कुछ परिवार ऐसे होते हैं जिन परिवार में बच्चों को संस्कार नहीं सिखाए जाते हैं । उस परिवार के मां बाप अपने बच्चों को समय नहीं देते है और वह बच्चा संस्कार प्राप्त नहीं कर पाता है ।

जब वह बच्चा अन्य बच्चों के साथ रहकर समय व्यतीत करता है तब उस बच्चे के संस्कार  साथ में रहने वाले बच्चों में चले जाते हैं और वह भी उसी की तरह हो जाता है जिसके कारण युवा पीढ़ी में संस्कारों की कमी हो जाती है । अच्छे संस्कारों से व्यवहार सुंदर दिखाई देता है । जब अच्छे संस्कार बच्चों में होते हैं तब वह एक व्यवहारिक बच्चा कहलाता है । उस व्यवहारिक बच्चे की सभी लोग प्रशंसा करते हैं । मैंने कुछ ऐसे बच्चे भी देखे हैं जो अपने माता पिता की बातों पर विश्वास नहीं करते हैं और उनके द्वारा बताए गए रास्ते पर चलने से मना कर देते हैं ।

युवा पीढ़ी मे संस्कार होना बहुत ही जरूरी है । हमारे भारतीय संस्कृति में संस्कारों का होना बहुत ही जरूरी है जिस तरह से राम भगवान ने अपने माता पिता की आज्ञा का सम्मान करने के लिए बनवास स्वीकार किया था और अपने पिता की आज्ञा का पालन किया था । उसी तरह से आज युवा पीढ़ी को संस्कार ग्रहण करना चाहिए और अपने माता-पिता के साथ-साथ अपने गुरुजनों और बड़ों का सम्मान आदर करना चाहिए क्योंकि माता-पिता कभी भी अपने बच्चे को गलत रास्ता नहीं दिखाते हैं ।

जो युवा पीढ़ी संस्कार प्राप्त नहीं करती है वह अपने जीवन को कभी भी सफल जीवन नहीं बना पाती है और उसका जीवन अंधकार में भटक जाता है । जब हम अपने माता-पिता का सम्मान करते हैं तब माता-पिता के अनुभव हमको प्राप्त होते हैं क्योंकि हमारे माता-पिता अपना जीवन जी चुके होते हैं उनको पता होता है कि एक सफल इंसान बनने के लिए क्या करने की आवश्यकता होती है और हम अपने माता-पिता के संस्कारों को अपनाकर वह कार्य नहीं करते हैं जिस कार्य को करने से असफलता प्राप्त होती है और हम एक सफल इंसान बन जाते हैं ।  आज की युवा पीढ़ी मे संस्कारों की बहुत कमी है इसी कारण से आज की युवा पीढ़ी  सफलता प्राप्त करने में असमर्थ है ।

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