गुड़ी पड़वा की कहानी Gudi padwa story in hindi
Gudi padwa story in hindi
गुड़ी पड़वा का त्यौहार हिंदुओं का एक विशेष त्योहार है यह अंग्रेजी महीने में मार्च-अप्रैल के महीने में आता है इसे हम हिंदू नव वर्ष भी कहते हैं। गुड़ी पडवा के दिन हम सब पार्वती जी की पूजा करते हैं और अपने घर के द्वारपर आम के पत्ते लगाकर घर को शुद्ध करते हैं और पूजा आराधना करके परिवार के साथ मिलजुलकर मिष्ठान आदि का भोग करते हैं। गुड़ी परमा से संबंधित कुछ कहानियां हैं जो आज हम पढ़ने वाले हैं तो चलिए पढ़ते हैं गुड़ी परमा पर लिखित हमारी इन कहानियों को
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गुड़ी परमा से संबंधित कुछ कहानियां हैं जो आज हम पढ़ने वाले हैं तो चलिए पढ़ते हैं गुड़ी परमा पर लिखित हमारी इन कहानियों को
काफी समय पहले की बात है की एक कुम्हार था जिसका एक लड़का था उस लड़के का नाम शालिवान था। कुम्हार के उस लड़के के काफी दुश्मन थे वह किसी तरह से अपने दुश्मनों से बदला लेना चाहता था। शालिवान ने एक दिन मिट्टी से कुछ सैनिकों not किया उसने इस तरह से कई सैनिक बनाएं और एक तरह से उसने सैनिकों की सेना बना ली कुछ समय बाद जब सभी मिट्टी से सैनिक बन चुके थे तो उसने उस सेना पर पानी छिड़क कर उनमें जानदार दी तो बहुत सारी सहना बनी शालिवाहन के जो दुश्मन थे उन दुश्मनों पर शालिवाहन ने विजय हासिल की तभी से यह त्यौहार गुड़ी पड़वा के रुप में मनाया जाता है
यह भी कहा जाता है कि सुग्रीव के भाई बाली उस समय का एक शक्तिशाली योद्धा था उसने अपनी शक्ति के दम पर सुग्रीव का राज और पत्नी छीन ली थी उसी समय श्री रामचंद्र जी Karbonn में आगमन हुआ और श्री रामचंद्र जी ने अपने मित्र सुग्रीव की मदद करने के लिए सुग्रीव को उनका राज और पत्नी दलवाई और बाली का संघार किया तभी से गुड़ी पड़वा मनाई जाती है
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