गरुड़ पुराण की कथा garud puran katha in hindi

garud puran katha in hindi

दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से गरुण पुराण की कथा के बारे में बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम इस कथा को पढ़ते हैं ।

गरुड़ पुराण उन महान  18 पुराणों में से एक है जिन पुराणों को हिंदू धर्म के लोग पूजते हैं । गरुण पुराण में , वर्तमान में 7000 श्लोक हैं । गरुण पुराण को वैष्णव धर्म के लोग पूजते हैं । गरुण पुराण के देव विष्णु हैं इसलिए इस पुराण को वैष्णव पुराण भी कहते हैं । जब किसी के घर में किसी की मृत्यु हो जाती है तब गरुड़ पुराण पढ़ा जाता है । जो व्यक्ति अपने जीवन जो कर्म करता है उसके कुछ परिणाम यही पर प्राप्त होते हैं और कुछ परिणाम मृत्यु के बाद प्राप्त होते हैं ।

garud puran katha in hindi
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गरुण पुराण कथा – गरुड़ पुराण की यह कथा महर्षि कश्यप एवं तक्षक नाग पर आधारित है । अब हम इस कथा को पढ़ेंगे । एक राज्य का एक राजा था जिसका नाम परीक्षित था । उस राजा को एक ऋषि का श्राफ था कि उसे एक जहरीला नाग डस लेगा और उसकी मृत्यु हो जाएगी ।  उस ऋषि के श्राफ को पूरा करनेेे के लिए तक्षक नाग राजा परीक्षित को डसने के लिए जा रहा था । एक महर्षि कश्यप नाम के ऋषि थे । महर्षि कश्यप जी ने परीक्षित राजा को बचाने का प्रण लिया था ।

तक्षक नाग राजा को डसनेेेे के लिए जा रहा था उसी समय महर्षि कश्यप भी राजा को बचाने के लिए जा रहे थे । जब तक्षक नाग ने महर्षि कश्यप को जाते हुए देखा तब तक्षक नाग ने एक ब्राह्मण का रूप धारण किया और महर्षि कश्यप के पास पहुंच गए । महर्षि कश्यप से यह पूछने लगे कि इतनी जल्दी में आप कहां जा रहे हो । महर्षि कश्यप ने उस तक्षक नाग से कहा की राजा परीक्षित को तक्षक नाग डसने वाला है । मैं अपने मंत्रों से राजा परीक्षित को उस नाग के जहर से बचा लूंगा ।

ऐसा सुनकर तक्षक नाग ने अपनी सारी कहानी महर्षि कश्यप को बता दी थी । तक्षक नाग महर्षि कश्यप  को वापस  जाने के लिए  कह रहा था लेकिन  महर्षि कश्यप वापस  जाने के लिए  तैयार  नहीं थे ।  तक्षक नाग ने महर्षि ऋषि से कहने लगा कि मेरे जहर से कोई भी व्यक्ति नहीं बचता है । फिर तुम कैसे परीक्षित राजा को मेरे जहर से बचा लोगे । तक्षक नाग ने महर्षि ऋषि को कहां की मैं इस वृक्ष को अपने शहर से मार देता हूं यदि तुुुुम इस वृक्ष को पुनः हरा भरा कर दोगे तो मैं मान लूंगा कि तुम  राजा  परीक्षित को  मेरे जहर से  बचा लोगे ।

तक्षक नाग ने  अपने जहर से  उस पौधे को मृत कर दिया था , भस्म कर दिया था । महर्षि कश्यप ने उस पौधे  की भस्म को अपने हाथ मेंं उठा कर अपने मंत्रों से उस पौधे को  पुनः हरा भरा कर दिया था । तक्षक नाग यह देख कर समझ गया था कि यह महर्षि कश्यप  मेरे जहर से  राजा परीक्षित को  अवश्य बचा लेंगे । तक्षक नाग ने  अपनी बुद्धि का इस्तेमाल किया और महर्षि ऋषि सेे पूछा की तुमको ऐसा करनेे से क्या लाभ होगा ।

महर्षि ऋषि तक्षक नाग से कहने लगे की मैं जब राजा परीक्षित को बचा लूंगा तब मुझे राजा परीक्षित के द्वारा अधिक धन मिलेगा । ऐसा सुनकर तक्षक नाग ने महर्षि कश्यप को राजा से भी ज्यादा धन दे दिया था और महर्षि कश्यप को वापस भेज दिया था । इसके बाद तक्षक नाग ने राजा परीक्षित को डस लिया था और राजा परीक्षित की उस जहर से मृत्युु हो गई थी ।

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