सूर्यकांत त्रिपाठी निराला पर निबंध Essay on suryakant tripathi nirala in hindi
Essay on suryakant tripathi nirala in hindi
हिंदी साहित्य के सबसे बड़े और महान कवि जिनके द्वारा कई कहानी , कविताएं , निबंध लिखे गए हैं। ऐसे महान लेखक और कवि का नाम सूर्यकांत त्रिपाठी निराला है । सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी के जीवन में कई संकट आए और उन्होंने कभी संकटों से हार ना मानकर अपने नाम का डंका हिंदी जगत के साहित्यकारों और कवियों के रूप में बजाया । आज हम इन्हीं के बारे में जानेंगे ।
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी का जन्म 1896 मे हुआ और सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी के द्वारा लिखी गई कहानी संग्रह लिली में उनकी जन्म तारीख 21 फरवरी 1899 लिखी गई है । सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी के पिता का नाम पंडित रामसहाय तिवारी है । इनके पिता उत्तर प्रदेश के उन्नाव के रहने वाले थे । इनके पिता महिषादल मैं सिपाही की नौकरी किया करते थे। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला धीरे धीरे बड़े होने लगे और जब उनकी उम्र 3 वर्ष की हुई तब उनकी मां का देहांत हो गया और उन्होंने अपनी मां को सदा के लिए खो दिया ।
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी को उनके पिता के द्वारा शिक्षा दी जाने लगी और वह अपने पुत्र श्रीकांत त्रिपाठी निराला को मां और बाप दोनों का प्यार देने लगे । सूर्यकांत त्रिपाठी निराला पढ़ाई करने लगे और हाई सेकेंडरी पढ़ने के बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी इसके बाद वह अपने घर पर ही संस्कृत और अंग्रेजी , विज्ञान जैसे कई विषयों पर अध्ययन करने लगे लेकिन दोस्तों सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी को अपने जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ा।
जब वह 3 वर्ष के थे तो उनकी मां का देहांत हुआ और जब वह युवा हुए तब उनके पिता भी उनको छोड़ कर चले गए । कठिनाइयों का दौर उनके जीवन से जा ही नहीं रहा था । उनके पिता का देहांत हुआ तब वह पूरी तरह से टूट गए फिर उन्होंने अपने पिता के महिषादल में सिपाही की नौकरी के लिए आवेदन किया लेकिन उनको नौकरी पर नहीं रखा गया और वह कठिनाइयों से जूझने लगे ।
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी का विवाह मनोहरा देवी से हुआ । सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी बंगाल के रहने वाले थे और उन्होंने बंगाल की भाषा में कविताएं लिखना प्रारंभ किया फिर उन्होंने विवाह के बाद अपनी पत्नी के द्वारा हिंदी सीखी और हिंदी में कविता, निबंध लिखना शुरू किया लेकिन उनके जीवन के दुख उनका पीछा नहीं छोड़ रहे थे जब वह 20 साल के थे तब उनकी पत्नी उनको छोड़ कर चली गई ,प्रथम विश्व युद्ध के बाद जो महामारी पड़ी थी उसी में उनके चाचा , भाई , भाभी और पत्नी का स्वर्गवास हो गया और वह पूरी तरह से टूट गए ।
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी इलाहाबाद में रहने लगे और वहां पर रहकर उन्होंने कई कविताएं , कहानी , उपन्यास , निबंध लिखकर अपना जीवन व्यतीत किया । वह इलाहाबाद के ही शहर में दारागंज मोहल्ले में रहते थे। दारागंज मोहल्ले में ही उनके प्रिय मित्र राय साहब रहते थे और वहीं पर उन्होंने अपनी बची जिंदगी को निकाल दिया और सन 1971 को उनका स्वर्गवास हो गया और हमारी दुनिया से हमारे भारत के लोकप्रिय कवि कहानीकार और उपन्यास लिखने वाले महान कवि हम सभी को छोड़कर चले गए और उनके द्वारा लिखी गई कविताएं, निबंध और उपन्यास जो हम पढ़ते हैं और आनंद लेते हैं
दोस्तों अब मैं आपको हमारे लोकप्रिय कवि के द्वारा लिखी गई कविताएं बताने जा रहा हूं।
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी की कविता भिक्षुक, तोड़ती पत्थर, प्राप्ति ,खून की होली जो खेली, बसंत आया, बापू तुम मुर्गी खाते यदि यह प्रमुख कविताएं श्रीकांत त्रिपाठी जी के द्वारा लिखी गई हैं जिनको पढ़कर हम आनंद लेते हैं । सूर्यकांत त्रिपाठी जी की प्रथम कविता परिमल जो कि 1929 में प्रकाशित की गई । इसके बाद उन्होंने कई कविताओं को भी लिखा जैसे कि अणिमा ,आराधना ,बेला ,अर्चना ,नए पत्ते, गीतिका, कुकुरमुत्ता, तुलसीदास ,अनामिका आदि।
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी ने खंडकाव्य में तुलसीदास ,राम की शक्ति पूजा आदि खंडकाव्य लिखे हैं । सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी के द्वारा कई कहानियां भी लिखी गई है जो कि चतुर चमार, सुकुल की बीवी, सखी ,लिली आदि। इसके अलावा सूर्यकांत त्रिपाठी जी के द्वारा कई उपन्यास भी लिखे गए हैं जो कि बिल्लोसुर बकरिहा ,कुल्ली भाट ,अप्सरा, प्रभावती, अलका ,अप्सरा, निरुपमा ,चमेली यह उपन्यास लिखे गए हैं।
निराला जी के द्वारा कई निबंध भी लिखे गए हैं जैसे कि प्रबंध – पदम ,प्रबंध – परिचय ,प्रबंध- प्रतिभा आदि।
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