मानवता का त्रास हरे हम पर निबंध Manavta ka tras hare hum essay in hindi
Manavta ka tras hare hum essay in hindi
Manavta ka tras hare hum – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से मानवता का त्रास हरे हम पर निबंध के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर मानवता का त्रास हरे हम पर निबंध के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं ।
मानवता का त्रास हरे हम के बारे में – दोस्तों आज हम देख रहे हैं कि मानवता किस तरह से खोती जा रही है । जैसे-जैसे समय गुजरता जा रहा है वैसे वैसे ही इंसान की मानवता खोती जा रही है । आज एक इंसान दूसरे इंसान के बारे में नहीं सोचता है । मानवता का नष्ट होने का सबसे बड़ा कारण मनुष्य का लालच होता है । मनुष्य धन , दौलत को प्राप्त करने के लिए मानवता को खोता जा रहा है । आज भाई भाई का रिश्ता भी कमजोर होता जा रहा है । प्राचीन समय में भाई का रिश्ता बहुत मजबूत होता था ।
परंतु धन दौलत और जायदाद के पीछे आज इंसान इस तरह से लालची हो गया है कि वह रिश्तो और नातो को भी भुला देता है । यदि इंसान मानवता को इसी तरह से खोता गया तो वह अपनी इंसानियत को भी खोता जाएगा जिसके दुष्परिणाम देखने को मिलेंगे । इंसान का सबसे बड़ा धर्म मानवता ही है । आज कम लोगों में मानवता देखने को मिलती है । हम देख रहे हैं कि कुछ लोग धन के लालच में किसी को भी नुकसान पहुंचाने के लिए तैयार रहते हैं । कुछ लोग दुखी व्यक्ति को दुख पहुंचा कर अपने कार्य को पूरा करते हैं ।
आज यदि कोई गरीब व्यक्ति भूखा है तो बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो उस गरीब की बुरी हालत को देखकर उसकी मदद करते हैं । परंतु कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो दुखी व्यक्ति की गरीबी का मजाक उड़ाते हैं । व्यक्ति को कभी भी अपने आप पर घमंड नहीं करना चाहिए और मानवता को नहीं खोना चाहिए क्योंकि इंसान का जन्म होता है अच्छे कर्म करने के लिए , दूसरों की मदद करने के लिए । जो इंसान सिर्फ अपनी खुशियों के लिए कार्य करता है वह इंसान नहीं होता है । इंसान को ईश्वर ने अच्छे कर्म करने के लिए धरती पर भेजा है परंतु इंसान लोभ को पालने में लगा है ।
कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अपने बूढ़े माता-पिता को घर से बाहर निकाल देते हैं ।वह यह नहीं सोचते कि जिन माता-पिता ने भरण पोषण के लिए पूरा जीवन लगा दिया आज उन माता-पिता को उनकी जरूरत है । परतुं वह उनको भटकने के लिए छोड़ देते हैं । वह लोग यह नहीं सोचते कि आज वह आज जिस तरह से अपने माता-पिता के साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं आने वाले समय में उनके बच्चे भी उनके साथ दुर्व्यवहार करेंगे । मानव ना जाने कहां अपनी मानवता खोता जा रहा है । कई बार तो यह देख कर बड़ा दुख होता है कि इंसान कितना पाप कर रहा है ।
भगवान भी इंसान को देखकर यह सोचता होगा कि जिन इंसानों को धरती पर अच्छे कर्म करने के लिए भेजा है वह अपनी इंसानियत को खोकर बुरे कर्म कर रहे हैं । इंसान की मानवता सिर्फ इंसान की सोच के कारण नष्ट होती है । कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनके अंदर मानवता का भंडार होता है । वह दूसरों की भलाई के लिए निरंतर कार्य करते हैं । वह लोग ही एक अच्छे इंसान कहलाने के लायक होते हैं । जो इंसान पशु , पक्षी , जानवरों पर दया दिखाता हैं , असहाय लोगों की मदद करता हैं उस इंसान को सम्मान देना चाहिए , उसका आदर करना चाहिए ।
जो लोग अपनी मानवता खो चुके हैं वह लोग इंसान कहलाने के लायक नहीं होते हैं । आज इंसान अपने-अपने धर्म को लेकर लड़ाई झगड़े करता है । परंतु मानवता से बढ़कर कोई भी धर्म नहीं होता है । किसी भी धर्म में यह नहीं लिखा है कि व्यक्ति को अपनी मानवता खो देना चाहिए । भगवान की पूजा करने से भगवान प्रसन्न नहीं होते हैं । भगवान इंसान से तब खुश होता हैं जब वह अपनी मानवता को जिंदा रखकर असहाय लोगों की मदद करता है । संसार में कुछ अच्छे लोग भी हैं जो लोग लोगों की भलाई के लिए कार्य करते हैं ।
माता पिता को अपने बच्चों को यह सभी बचपन में ही बताना चाहिए कि इंसान का सबसे बड़ा धर्म मानवता है और वह किसी लालच में आकर अपनी मानवता को ना खोए । जब इंसान की मानवता चली जाती है तब वह एक राक्षस के समान हो जाता है ।
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