फसलों एवं उसके प्रकार पर निबंध Essay on crops in hindi

Essay on crops in hindi

दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से फसलो के बारे में बताने जा रहे हैं । फसल कितने तरह की होती है , इसके उत्पादन का मनुष्य के जीवन में क्या महत्व होता है इसके बारे में इस आर्टिकल के माध्यम से आपको बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और फसलों के जीवन चक्र को जानते हैं ।

Essay on crops in hindi
Essay on crops in hindi

फसल के बारे मे – हमारे लिए एक वरदान है । प्रकृति ने मनुष्य और जीव-जंतुओं को एक शक्ति दी है । प्रकृति में कुछ ऐसे गुण छुपे हुए हैं जिसके द्वारा मनुष्य के जीवन को जीने का मकसद मिला है । हर तरह की फसलें किसानों के द्वारा खेतों में उगाई जाती हैं । फसलों का उगना मनुष्य के जीवन को एक शक्ति मिलना है क्योंकि मनुष्य का जीवन उसके शरीर की शक्ति पर निर्भर करता है । यदि मनुष्य के शरीर के अन्दर पोषक तत्व , पोषक आहार नहीं जाएंगे तो मनुष्य का शरीर शक्तिशाली नहीं बन सकता है ।

मनुष्य की भूख को मिटाने के लिए कई तरह की फसलों की खोज हुई हैं  जिस फसल का उपयोग करके मनुष्य अपनी भूख मिटाता है । मनुष्य ही नहीं बल्कि पृथ्वी पर रहने वाले जीव जंतु , पेड़ पौधे , जानवर , पशुओ को भी भोजन के रूप में प्रकृति के द्वारा कई फसलें प्राप्त हुई हैं । किसी भी देश की आर्थिक स्थिति वहां पर होने वाली फसलों पर निर्भर रहती है । फसलें कई तरह की होती हैं और सभी फसलों का जीवन चक्र भी अलग-अलग होता है , सभी फसलों की उपयोगिता भी अलग अलग होती है । फसलों का उत्पादन मौसम के हिसाब से होता है ।

कुछ ऐसी फसलें भी होती हैं जो किसी भी समय पर बोई जा सकती हैं । कुछ फसलें ऐसी भी होती हैं जो 12 महीने प्रकृति के माध्यम से प्राप्त होती है । इस तरह से फसल मनुष्य के जीवन के लिए बहुत उपयोगी होती हैं ।

मनुष्य के जीवन में फसलों का महत्व – मनुष्य के जीवन में फसलों का बड़ा महत्व होता हैं क्योंकि फसल के बिना मनुष्य का जीवन अधूरा है । फसल के माध्यम से मनुष्य को अनाज प्राप्त होता है और वह अनाज मनुष्य की भूख को मिटाता है । जिससे मनुष्य को शक्ति मिलती है । मनुष्य को प्रकृति के माध्यम से कई फल , फ्रूट प्राप्त होते हैं जिनको खाकर मनुष्य को कई शक्ति मिलती है , फलों को खाकर मनुष्य के शरीर के अंदर मिनरल्स , प्रोटींस , विटामिंस जाते हैं और मनुष्य के शरीर की शक्ति का विकास होता है ।

भारत में जितनी फसलें बोई जाती हैं उन फसलों में से 90% फसलें मनुष्य के लिए बहुत उपयोगी होती हैं ।मनुष्य उन फसलों के माध्यम से प्राप्त अनाज का उपयोग करके अपने शरीर की जरूरतों को पूरा करता है , अपने परिवार की भूख मिटाता है और देश के कई लोग उस अनाज को खाकर जीवित रहते हैं । देश की आर्थिक स्थिति पूरी तरह से फसलों पर निर्भर रहती है । जिस देश की फसल उत्तम और अधिक होती है उस देश की आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत होती है ।

मनुष्य के शरीर की भूख मिटाने के लिए गेहूं की आवश्यकता होती है और जब गेहूं की फसल पक कर तैयार हो जाती है और गेहूं पीला पड़ जाता है तब उसे काटकर एकत्रित कर लिया जाता है । जब गेहूं  की फसल कटके बाजार में आती हैं तब उस  गेहूं की फसल को बाजार में बेच दिया जाता है और वह गेहूं हम सभी के पास आता है और हम उस गेहूं को चक्की केे माध्यम से पिसबाकर उसका आटा बना लेते हैं और उस आटे से रोटी बनती हैं । जिसे खाकर हमें ऊर्जा प्राप्त होती है ।

इसलिए मनुष्य के जीवन में फसलों का बहुत अधिक महत्व होता है । जब कोई व्यक्ति बीमार पड़ जाता है तब उसका शरीर कमजोर हो जाता है । जब शरीर कमजोर हो जाता है तब डॉक्टर उस व्यक्ति को , मरीज को ताकत वाले फल खाने के लिए कहता है जो फल प्रकृति के माध्यम से हमें प्राप्त हुए हैं । इसलिए मनुष्य के जीवन में फसलों का बड़ा महत्व है । प्राचीन समय से ही फसलों का मनुष्य के जीवन में बड़ा महत्व रहा है ।

जब से फसलों का आविष्कार हुआ है तब से मनुष्य का जीवन सही ढंग से बीत रहा है क्योंकि उसको जीने का मकसद प्राप्त हुआ है । मनुष्य अनाज की फसल की पैदावार करने के लिए बहुत मेहनत करता है । हमारे भारत देश की 100% जनता में से 70% जनता गांव में निवास करती है । गांव में रहने वाले व्यक्ति फसल के माध्यम से अपना जीवन यापन करते हैं । हमारे भारत देश की जितनी जीडीपी है उस जीडीपी में 16% जीडीपी का योगदान कृषि क्षेत्र का होता है ।

इसीलिए कई देशों की आर्थिक स्थिति उसकी कृषि पर निर्भर रहती है , फसल के उत्पादन पर निर्भर करती है । भारत देश में 50% से ज्यादा लोगों की संख्या कृषि के क्षेत्र में काम करके अपना जीवन यापन करते हैं ।

पूरे विश्व में फसलों की उपयोगिता – हमारा देश भारत अधिक उपज के लिए जाना जाता है । पृथ्वी पर जितने भी देश है और जहां पर मनुष्य निवास करते है वहां पर फसल की आवश्यकता होती है क्योंकि मनुष्य का जीवन फसल के बिना अधूरा है । रबी और खरीफ फसल का मनुष्य के जीवन पर एवं उसकी आर्थिक स्थिति पर बड़ा महत्व होता है । भारत में रबी एवं खरीफ फसल अधिक मात्रा में उगाई जाती है ।

जब रबी एवं खरीफ फसल तैयार हो जाती है तब उसके द्वारा प्राप्त अनाज को हम उपयोग में लाते हैं और विदेशों में भेजते हैं जिससे हमारे देश की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है । भारत के साथ साथ नेपाल , पाकिस्तान आदि देशों में भी खरीफ एवं रबी फसलों का बड़ा महत्व है । इन सभी देशों में  अधिक मात्रा में रबी एवं खरीफ की फसलें बोई जाती हैं । रबी एवं खरीफ फसलों का जीवन चक्र अलग अलग होता है । हर देश में तरह-तरह की फसलों का उत्पादन होता है और उन फसलों का मनुष्य के जीवन में बड़ा महत्व होता है ।

पूरे विश्व में कई तरह की फसलें बोई जाती हैं । कई ऐसे विकसित देश भी हैं जो फसलों के लिए जाने जाते हैं । जहां पर अधिक मात्रा में फसल बोई जाती हैं वहां पर प्राप्त फसल को देश , विदेशों में निर्यात करके वहां की आर्थिक स्थिति सुधारी जाती है । पूरे विश्व में फसलों का आदान-प्रदान होता है और जहां पर फसल नहीं बोई जाती वहां पर अन्य देशों के माध्यम से फसलों से प्राप्त अनाज को भेजा जाता है । जिससे कि वहां के मनुष्य को भी अपना पेट भरने के लिए अनाज  मिल सके ।

फसल और मौसम का संबंध – फसल और मौसम का संबंध बड़ा गहरा होता है क्योंकि फसल मौसम के हिसाब से होती है । हर किसी मौसम में हर फसल नहीं बोई जाती है क्योंकि सभी फसलों का अपना अपना अलग-अलग महत्व होता है । किसी फसल को अधिक ठंड के मौसम की आवश्यकता होती है तो किसी फसल को कम ठंड वाले मौसम की आवश्यकता होती है । इसलिए हर फसल मौसम के आधार पर बोई जाती है ।

किसान जब किसी मौसम में फसल बोता है तब उस मौसम को देखकर उस फसल की बोनी करता है क्योंकि किसान यह जानता है कि यदि सही मौसम में फसल की बोनी की जाए तो उसका उत्पाद अधिक मात्रा में हो सकता है । इसलिए किसान मौसम के हिसाब से तरह-तरह की फसलें उगाता है । जिससे अधिक मात्रा में उपज उत्पन्न होती है और किसान अपने परिवार की जरूरतों की पूर्ति करता है । इसीलिए फसल और मौसम दोनों का आपस में गहरा संबंध है ।

किसान का जीवन फसलों पर आधारित होता है क्योंकि उसके पूरे परिवार की आर्थिक स्थिति उसकी फसल पर निर्भर करती है । किसान अपना जीवन फसल के जरिए ही गुजारता है । इसीलिए ग्रामीण क्षेत्र का जीवन अधिकतर फसल पर ही निर्भर रहता है ।

भारत में सबसे ज्यादा बोई जाने वाली फसलें – भारत में सबसे ज्यादा रबी , खरीफ एवं जायद फसलें बोई जाती हैं । जिससे भारत देश की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है ।भारतीय किसानों का जीवन इन तीन फसलों पर निर्भर रहता है । रबी की फसल , खरीफ की फसल , जायद की फसल आदि । रबी की फसल में चना , गेहूं , जौ , सरसों , बरसीम , मटर , आलू , रिजका , मशूर , लाही , तंबाकू , जंई आदि फसलें बोई जाती हैं । भारत में रवि की फसलें  सर्दी के मौसम में  बोई जाती हैं क्योंकि  गेहूं  , सरसों , मटर आदि की फसल को ठंडे मौसम की आवश्यकता  होती है ।

इसीलिए यह फसल  सर्दियों के दिनों में  बोई जाती है । वैज्ञानिकों  ने  कई बार रिसर्च करके  सभी फसलों का समय निर्धारण किया है । जब से  वैज्ञानिकों के द्वारा  फसलों का समय  निर्धारित किया गया है तब से  फसल की पैदावार बढ़ गई है । वैज्ञानिकों  ने अपने अथक प्रयासों से  यह पता लगाने में कामयाबी हासिल की है कि  कौन सी फसल किस मौसम में बोना चाहिए । मौसम के हिसाब से फसल को बोने से अधिक पैदावार होती है ।

इसके बाद खरीफ की फसल में मक्का , धान , बाजरा , मूंगफली , कपास , मूंग , शकरकंद , उर्द , लोबिया , मोठ , ग्वार , ज्वार , तिल , अरहर , जूट , सनई , गन्ना , भिंडी , सोयाबीन , ढैंचा आदि आती हैं । खरीफ की फसल बरसात के मौसम में ही बोई जाती है । जब बरसात का मौसम आता है तब  खरीफ की फसलों की बोनी की जाती है क्योंकि खरीफ की फसल को  अधिक मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है । यदि खरीफ की फसल को  आवश्यकतानुसार पानी नहीं मिलता है तो  खरीफ की फसल का उत्पादन कम होता है  ।

इसीलिए  खरीफ की फसल को  बरसात के समय में बोया जाता है । इसके बाद भारत के किसान जायद फसलों की भी खेती करते हैं । जायद फसलों में किसान खरबूजा , कद्दू , लोकी , तरबूज , खीरा , तोरई , मूंग , सूरजमुखी , मिर्च , टमाटर आदि फसलों की बोनी करके अपना जीवन व्यतीत करते हैं । यह सभी फसलें मनुष्य को एक शक्ति देती हैं । इन फसलो के माध्यम से प्राप्त होने वाली सब्जी से मनुष्य को पोस्टिक आहार  प्राप्त होता है जिससे उसको एक शक्ति प्राप्त होती है ।

सभी फसलों का जीवन चक्र अलग अलग होता है , फसलों का जीवन चक्र – भारतीय फसलो का जीवन चक्र इस तरह से होता है । 1 वर्षीय फसलें , 2 वर्षीय फसलें , बहु वर्षीय फसलें आदि । 1 वर्षीय फसलों में चना , धान , गेहूं , मूंग , डेंचा , बाजरा , मूंग , सरसों , कपास , मूंगफली , आलू , शकरकंद , लौकी , कद्दू , सोयाबीन आदि आती है  । 2 वर्षीय फसलों में नेपियर घास , फल वाली फसलें , रिजका आदि फसलें बोई जाती हैं  । इस तरह से फसलों का जीवन चक्र होता है । इन जीवन चक्र के द्वारा फसल का उत्पादन किया जाता है ।

फसलों का वर्गीकरण –  जब फसलों का वर्गीकरण किया गया तब सभी फसलों का नामकरण किया गया था । उन  सभी फसलों को अलग-अलग भाग में विभाजित करके उनका नाम रख दिया गया था और उन फसलों के नाम इस प्रकार से हैं । धान्य फसलें , दलहनी फसलें , तिलहनी फसलें , चारा फसलें , मसालेदार फसलें , फलदार फसलें , रेशेदार फसलें , उद्दीपक फसलें , जड़ औषधीय फसलें एवं कंद वाली फसलें , शर्करा फसलें आदि । धान्य फसलों में जौ , चना , धान , गेहूं , ज्वार , बाजरा , मक्का आदि फसलें आती हैं ।

दलहनी फसलों में मूंग , चना , उर्द , अरहर , मटर , मसूर , सोयाबीन , मूंगफली आदि फसलें आती है । इन सभी फसलों को दलहनी फसले कहते है ।तिलहनी फसलों में सरसों , तिल , अरंडी , अलसी , मूंगफली , सूरजमुखी , सोयाबीन , तोरिया , राई आदि फसलें आती हैं । इन फसलों से जो अनाज उत्पन्न होता है उस अनाज से तेल बनाया जाता है । इसलिए इन सभी फसलों को तिलहनी फसलें कहा जाता है ।

रेशेदार फसलें , रेशेदार फसलों में जूट , सनई , कपास , टैंचा , पेटसन आदि फसलें आती हैं । मसालेदार फसलें , मसालेदार फसलों में मिर्ची , धनिया , अदरक , पुदीना , प्याज , लहसुन , शॉप , अजवाइन , जीरा , इलायची , हल्दी , काली मिर्च , तेजपात आदि फसलें आती हैं और इन फसलों को मसालेदार फसलें कहा जाता है । चारा फसलें , चारा फसलों में लूसर्न , बरसीम , लोबिया , नेपियर घास ,ज्वार आदि फसलें आती हैं ।

फलदार फसलें , फलदार फसलों में नाशपाती , आम , नीबू , अमरूद , केला , लिखी , पपीता आदि आते हैं । उद्दीपक फसलों में पोस्त , तंबाकू , धतूरा , भांग , कॉफी , चाय आदि की फसलें आती हैं । शर्करा फसलें , शर्करा फसलों में चुकंदर , गन्ना की फसलें आती हैं । जड़ एवं कंद फसलें , जड़ एवं कंद फसलों में शकरकंद , गाजर , आलू , अदरक , रतालू , मूली , अरबी , सरगम , टेपियोका आदि फसलें आती है ।औषधीय फसलें , औषधीय फसलों में पुदीना , हल्दी , अदरक , तुलसी , मेंथा आदि की फसलें आती हैं ।

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