दशहरा पर भाषण Dussehra speech in hindi

dussehra speech in hindi

दोस्तों नमस्कार, आज हम आपके लिए लाए हैं दशहरे पर हमारे द्वारा लिखित यह स्पीक आप इसे जरूर पढ़ें, इस स्पीक की मदद से आप अपनी परीक्षाओं की अच्छी तैयारी कर सकते हैं। दोस्तों दशहरा हम सभी भारतीयों का एक पर्व है जो हम बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं इस दिन भगवान श्रीराम ने लंकेश्वर रावण का वध किया था तभी से यह त्योहार हर साल मनाया जाता है चलिए पढ़ते हैं दशहरे पर हमारे द्वारा लिखित भाषण को

Dussehra speech in hindi
Dussehra speech in hindi

यहां पर बैठे देवियों और सज्जनों, आप सभी का मैं आनंद कुमार दिल से स्वागत करता हूं दोस्तों आज दशहरा है आज बड़ी ही खुशी का दिन है क्योंकि आज बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी। लंकेश्वर रावण जोकि बुराई का प्रतीक है जिसने मानव जाति पर कई तरह के अत्याचार किए थे, ऋषि-मुनियों को परेशान किया था और माता सीता का अपहरण किया था उसका दहन होता है। राक्षस राज रावण को हम दशानन भी कहते हैं क्योंकि उनके  10 सिर थे।

भगवान श्रीराम ने राक्षस राज रावण को मारने की कई कोशिश की थी लेकिन उसका वध नहीं हो रहा था लेकिन जब विभीषण ने श्री रामचंद्र जी को रहस्य बताया कि कैसे रावण का वध किया जा सकता है तभी रावण का वध हुआ था और इस दुनिया से बुराई का अंत हो गया था तभी से हम बड़े ही हर्षोल्लास के साथ हर साल यह त्यौहार मनाते हैं। दशहरा जोकि नव दुर्गा के बाद में आता है कुछ समय बाद ही जब श्री रामचंद्र जी अयोध्या पहुंच जाते हैं तब उनकी आने की खुशी में अयोध्या वासियों ने काफी धूमधाम से उनका स्वागत किया था इस त्योहार को हम दिवाली कहते हैं जो कि आज से दो-तीन सप्ताह बाद आने वाला है।

दोस्तों यहां पर बैठे हर एक व्यक्ति को आज दिल से यह सोचने की जरूरत है कि हम सभी इस बुराई रूपी दशहरे का दहन कर देते हैं और बड़े ही खुश होते हैं कि चलो बुराई का अंत हो गया, राक्षस राज रावण का दहन हो गया लेकिन यदि हम आज के दिन अपने अंदर छुपी बुराई को खत्म नहीं करेंगे तो फिर दशहरा मनाने का कोई मकसद पूरा नहीं हो सकता क्योंकि दशहरा सिर्फ इसलिए मनाया जाता है कि हम अपने अंदर की बुराइयों का भी खात्मा कर दें और अच्छाई को अपनाएं।

आज हम देखें तो आज कई बुराइयां हमारे समाज में देखने को मिलती हैं आज भले ही रावण का दहन हम कर देंगे और हर साल भी करते हुए आए हैं लेकिन फिर भी समाज में हमें कई तरह की बुराइयां देखने को मिलती हैं। दूसरों पर अत्याचार, घमंड, लालच, स्त्रियों के साथ बुरा व्यवहार करना, अत्याचार करना और किसी का अपमान करना जैसे कई बुराइयां हमें समाज में देखने को मिलती हैं जिन्हें नष्ट करना बहुत ही जरूरी है और हमारा कर्तव्य भी है। आज हम यहां पर प्रण लेंगे कि हमारे अंदर की हर एक बुराई का नाश हो जाए और अच्छाई का उदय हो।

हम भगवान श्री रामचंद्र जी के बताए मार्गो पर चलेंगे, हम सभी को यह प्रण लेने की जरूरत है, हमें सत्य और अच्छाई के मार्ग पर चलना चाहिए, हमेशा गरीबों की मदद करनी चाहिए, दूसरों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए और अपने माता-पिता या बड़े बुजुर्गों को सम्मान देना चाहिए, हमें स्त्री जाति का सम्मान करना चाहिए और हमेशा नम्र व्यवहार रखना चाहिए और यदि कोई हम पर अत्याचार करे तो उसके खिलाफ भी आवाज जरूर उठाना चाहिए तभी दशहरा मनाने का उद्देश्य पूरा हो सकता है।

साथियों दशहरा एक ऐसा पर्व है जो जब आता है तो बच्चे, बूढ़े, नौजवानों हर किसी के चेहरे पर खुशियां लाता है लेकिन आज हम सभी को दशहरा मनाने का उद्देश्य समझने की जरूरत है। लंकेश्वर रावण एक बहुत बड़ा विद्वान था लेकिन उसके घमंड और अहंकार के कारण वो इतना क्रूर और पापी बन गया की सदियों गुजर जाने के बाद भी आज भी उसको जलाया जाता है यह याद दिलाता है हमें की दुनिया से बुराई किस तरह से नष्ट होती है। हम सभी को चाहिए कि हम अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दें, उन्हें सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दें, दूसरों के प्रति अच्छा व्यवहार रखने की प्रेरणा दें और अहंकार, घमंड आदि को दूर ही रखने की सीख दे।

इसी उम्मीद और विश्वास के साथ कि आप दशहरे को मनाने का असली मकसद समझ ही गए होंगे आप सभी को मेरा धन्यवाद।

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