रामायण का आपके जीवन में क्या प्रभाव पर निबंध Doordarshan se prasarit ho rahi ramayan ka aapke jeevan mein kya prabhav essay in hindi

Doordarshan se prasarit ho rahi ramayan ka aapke jeevan mein kya prabhav essay in hindi

दोस्तों कैसे हैं आप सभी, आज हम आपके लिए लाए हैं रामायण का आपके जीवन में क्या प्रभाव है पर निबंध आप इसे जरूर पढ़ें।

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रामायण एक ऐसा ग्रंथ है जिसके जरिए हमें एक नहीं कई सारी सीख मिलती हैं। यदि हर कोई इंसान अपने जीवन को रामायण के अनुसार बिताएं तो वास्तव में उस इंसान का कल्याण हो जाएगा, वह इंसान जीवन में अपनी कई तरह की समस्याओं को हल कर सकता है तो चलिए पढ़ते हैं रामायण का हम सभी के जीवन में क्या प्रभाव पड़ता है।

अधर्म पर हमेशा धर्म की जीत होती है- यदि हम धर्म के मार्ग पर जीवन में चलते हैं तो हमारी जीत होना निश्चित है। जीवन में हो सकता है अधर्म कुछ समय तक आगे रहे लेकिन कुछ समय बाद उस अधर्म को हारना ही पड़ेगा, यह दुनिया का एक सत्य है। लंकापति रावण जिन्होंने माता सीता का हरण किया, वह अधर्म के मार्ग पर चल रहा था इसी वजह से आखिर में उसकी हार हुई। हमें जीवन में हमेशा धर्म के मार्ग पर ही चलना चाहिए।

संगति का बहुत असर होता है- रामायण देखने के बाद हमें पता चलता है कि जीवन में संगति का बड़ा ही असर होता है। केकई जो कि भरत की माता थी लेकिन वह श्री राम को भरत से भी ज्यादा प्रेम करती थी लेकिन जब मंथरा नाम की एक दासी ने केकई से भरत को लेकर कुछ बातें कहीं तो केकई के विचार बदल गए वह जिस श्रीराम से सबसे ज्यादा प्रेम करती थी उन्ही श्री रामचंद्र जी को वन में 14 वर्ष रहने का दशरथ जी से वर मांगा था इसलिए हमें अपने जीवन में हमेशा ऐसी संगति अपनानी चाहिए जिससे हमारा भविष्य उज्जवल हो वरना बुरी संगति अच्छे इंसान को भी बुरा बना देती है।

हमें बड़ों का हमेशा आदर करना चाहिए- हमे बड़ो की बातों को मानना चाहिए भले ही हमें जीवन में कष्ट झेलना पड़े जिस तरह से श्री रामचंद्र जी ने अपने माता पिता की बात मानी और 14 वर्ष तक बन में रहने का निर्णय लिया वह जानते थे कि इसमें कष्ट होगा लेकिन वह अपने माता-पिता की बात की अवहेलना नहीं करना चाहते थे। हमें भी अपने जीवन में ऐसा ही करना चाहिए अपने माता-पिता के द्वारा कही हुई बात का पालन अवश्य करना चाहिए।

भाई भाई का प्रेम- आजकल हम समाज में देखते हैं कि भाई भाई आपस में लड़ते झगड़ते रहते हैं लेकिन रामायण देखने के बाद हमें सीख मिलती है कि भाई भाई में कैसा प्रेम होना चाहिए। रामायण में भगवान श्री राम और लक्ष्मण जी का प्रेम जिसमें दिखाया गया है कि लक्ष्मण जी भगवान श्रीराम यानी अपने बड़े भाई के बगैर नहीं रह पाते थे वह वन में भी अपने बड़े भाई के साथ में ही गए थे, यह उनके भाई के प्रति प्रेम को दिखाता है। इसी तरह राम और भरत का प्रेम भी भाई भाई के प्रेम को दिखाता है। भरत चाहते तो अयोध्या में राज करते लेकिन उन्होंने अपने बड़े भाई को ज्यादा महत्व दिया क्योंकि वह अपने बड़े भाई से बहुत ज्यादा प्रेम करते थे हमें भी इस कलयुग में अपने भाइयों से प्रेम करना चाहिए।

भक्ति और विश्वास- श्री हनुमान जी महाराज भगवान श्री राम जी के अनन्य भक्त थे, वह भगवान श्रीराम में विश्वास रखते थे एवं उनकी अनन्य भक्ति करते थे उन्होंने भगवान श्री राम की हमेशा सेवा की है। भगवान श्रीराम एवं लक्ष्मण जी जब भी किसी विकट परिस्थिति में फंसे तो हनुमान जी महाराज उन्हें उस विकट परिस्थिति से निकाल लाए। हम सभी को भी जहां तक हो सके दूसरों की सेवा करनी चाहिए, जिसपर हम विश्वास रखते हैं उसके लिए हमेशा कार्य करना चाहिए, सेवा भाव से यदि हम किसी की सेवा करते हैं तो हमें उसका फल जरूर मिलता है। हमें ईश्वर की सेवा भी हनुमान जी महाराज की तरह करना चाहिए।

शक्तियों को पहचानना- हनुमान जी महाराज को बचपन में किसी ऋषि ने श्राप दिया था कि वह अपनी शक्तियों को भूल जाएंगे और जब कोई उन्हें उनकी शक्तियों की याद दिलाएगा तब उनकी वह शक्तियां फिर से जागृत हो जाएगी। जब माता सीता की खोज के लिए समुद्र पार जाना था तब उन्हें उनकी शक्तियां याद दिलाई गई थी और फिर हनुमान जी महाराज लंका जाकर सीता जी की खोज कर पाए थे उसी तरह हम सभी के अंदर भी कई तरह की शक्तियां हैं। यदि हमें कोई वह शक्तियां याद दिलाता है तो हम भी बहुत कुछ कर सकते हैं हमें अपने आपको कमजोर बिल्कुल भी नहीं समझना चाहिए।

घमंड बिल्कुल भी ना करें- शक्तिशाली और ज्ञानी को भी घमंड मार डालता है। रावण जो कि महाज्ञानी था, उसे वेद शास्त्रों का बड़ा ही ज्ञान था लेकिन रावण को अपने ज्ञान, शक्तियों पर इतना ज्यादा घमंड हो गया था कि वह अधर्म के मार्ग पर चल पड़ा था जिस वजह से उसकी मृत्यु हो गई। हम सभी कितने भी शक्तिशाली एवं ज्ञानी क्यों ना हो जाएं हमें कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए क्योंकि घमंड विनाशकारी होता है।

शत्रु को कभी भी कमजोर नहीं समझना चाहिए- रावण हमेशा सोचता था की वन वन भटकने वाले बनवासी मेरा क्या बिगाड़ लेंगे यही उसकी भूल उसकी मृत्यु का कारण बनी थी। यदि हम अपने शत्रु को कमजोर समझते हैं तो यह हमारी सबसे बड़ी भूल होती है।

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