चित्तरंजन दास का जीवन परिचय chittaranjan das biography in hindi
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चितरंजन दास जी हमारे भारत के बहुत ही अच्छे स्वतंत्रता सेनानी और उस समय के अच्छे राजनेता थे । उन्होंने अपनी राजनीति से अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे । वह अंग्रेजों की कूटनीति का विरोध करते रहते थे । उन्होंने कभी भी गरीब , अमीर व्यक्ति का भेदभाव नहीं किया । वह सभी धर्म को मानते थे और जो लोग धर्म के नाम पर लड़ते थे उन लोगों को यह समझाते थे कि हम सभी को साथ चलकर हमारे देश को आजाद कराना है । उनके जीवन का एक ही मकसद था हमारे देश को आजाद कराना । वह देश भक्ति को ही सबसे बड़ा धर्म मानते थे । अब हम सभी यह जानेंगे कि चितरंजन दास ने कितना महत्वपूर्ण योगदान दिया था ।
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जीवन परिचय – चितरंजन दास का जन्म 5 नवंबर 1870 में कोलकाता में हुआ था । उनके पिताजी का नाम भुवन मोहन दास एवं माता का नाम निस्तारिणी देवी था । चितरंजन दास का पूरा नाम चितरंजन भुवन मोहनदास था । उनके माता-पिता उनको बहुत ही प्रेम करते थे । उनका विवाह सन 1897 में बसंती देवी से हुआ था । जिनके द्वारा एक पुत्र चिरंजन दास एवं पुत्री अपर्णा देवी , कल्याणी देवी था । उनके भाई का नाम सतीश रंजन दास, एवं बहन का नाम सुधी रंजन दास , सरला रॉय , लेडी अल्वा बॉस था । उनके एक पोते का नाम सिद्धार्थ शंकर राय , और पोती मंजुला बॉस है। उनकी भाभी जी का नाम उर्मिला देवी है ।
शिक्षा – चितरंजन भवन मोहन दास जी ने अपनी पढ़ाई 1990 में प्रेसिडेंसी कॉलेज कोलकाता से की थी। जहां उन्होंने बी ए पास किया था । इसके बाद वह लंदन चले गए और वहां से उन्होंने 1892 में बैरिस्टर की उपाधि हासिल की थी । वह पढ़ाई के समय बड़ी मेहनत करते थे और वह ज्यादा से ज्यादा ज्ञान प्राप्त करने की आदि थे । b.a. करने के बाद उनके जीवन में बड़ा बदलाव आया जिसके कारण उन्होंने फैसला किया कि अब मैं आगे की पढ़ाई लंदन में जाकर के करूंगा और वह लंदन चले गए जहां पर बैरिस्टर की उपाधि हासिल की थी ।
सामाजिक कैरियर की शुरुआत – सन 1909 में चितरंजन दास भवन मोहनदास ने अपने सामाजिक कैरियर की शुरुआत की थी । उन्होंने देश को आजाद कराने के लिए अपना योगदान देना प्रारंभ कर दिया था । सन 1922 के असहकार आंदोलन में श्चितरंजन दास की महत्वपूर्ण भूमिका थी । उन्हीं के कारण इस आंदोलन को सफल बनाया गया था । इस आंदोलन में उनकी पत्नी बसंती देवी और भाभी उर्मिला देवी ने उनका साथ दिया था । यह कहा जाता है कि उनके इस काम में उनका पूरा परिवार उनका साथ देता था । क्योंकि वह अपने परिवार को यह कहते थे कि हम जब सफल होंगे जब हमारा देश आजाद हो जाएगा ।
इस आंदोलन में उनकी भाभी उर्मिला देवी को अंग्रेजों ने गिरफ्तार भी कर लिया था यह कहा जाता है कि इनकी भाभी प्रमिला देवी देश की पहली महिला थी जो कि अंग्रेजो के द्वारा गिरफ्तार की गई थी । चितरंजन मनमोहन दास जी बड़े शांत और अच्छे स्वभाव के व्यक्ति थे । उन्हें कविता , निबंध लिखने का बड़ा शौक था । चितरंजन दास ने कविता और निबंध के माध्यम से कई लोगों को जागरुक भी किया था , देश भक्ति भावना को लोगों के दिलों में जगाई थी। वह उस समय के बहुत अच्छे राजनेता थे । उन्होंने सन 1923 में स्वराज्य पार्टी की स्थापना की थी । जिसका उद्देश्य था लोगों को अंग्रेजों से बगावत करने के लिए जागरूक करना एवं अपने देश को आजाद करने का जज्बा पैदा करना ।
मृत्यु – वह सामाजिक सुधार के कार्य करते रहते थे । सन 1925 में उनकी सेहत धीरे-धीरे गिरने लगी थी और वह कमजोर हो गए थे । तब उन्होंने कुछ समय के लिए राजनीति से दूर रहने का फैसला किया। लेकिन उनकी बीमारी में किसी तरह का सुधार नहीं आया और सन 1925 में उनका निधन हो गया था । उनका अंतिम संस्कार महात्मा गांधी जी के द्वारा किया गया था। उनके संस्कार के समय महात्मा गांधी जी ने कुछ बातें भी उनके बारे में कहीं थी की चितरंजन दास जी हमारे भारत के बहुत ही अच्छे व्यक्ति थे । उन्होंने देश को आजाद कराने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए अपना योगदान दिया था । उनके अंदर देशभक्ति कूट-कूट कर भरी हुई थी। इसलिए मैं उनको देश बंधु भी कहता हूं । ऐसे व्यक्ति की कमी हमें हमेशा खलती रहेगी उनके इस बलिदान को हम जब सफल मानेंगे जब हम सभी मिलकर अपने देश को आजाद करा पाएंगे ।
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